उत्तर प्रदेश : मुलायम सरकार ने वापस लिए संभल दंगों से जुड़े केस? आदेश की कॉपी सोशल मीडिया में वायरल, पीड़ित बोले- दोबारा हो जाँच

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य में कब दंगा हो जाए कुछ पता नहीं होता था। राज्य में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या समाजवादी पार्टी की, दंगों में पीड़ित हिन्दू ही होता था। मुसलमान और मुस्लिम कट्टरपंथी 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को पानी पी-पीकर कोसते हैं। लेकिन दंगे की जड़ को भूल जाते हैं। दूसरे, 2002 से पहले गुजरात भी दंगों में उत्तर प्रदेश से पीछे नहीं था। लेकिन 2002 दंगों में नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को नहीं बख्शा, यही असली वजह है कि मुस्लिम कट्टरपंथी और छद्दम धर्म-निरपेक्ष की चादर ओढे ढोंगी मोदी को कोसते रहते हैं। दंगाइयों को ठिकाने की वही नीति योगी आदित्यनाथ ने अपनाई हुई है, जिसने गंगा-जमुना तहजीब और सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं को प्रताड़ित करने वालों की नींद, रोटी और पानी पीना तक हराम हो गया है। हिन्दू खुलकर अपना कोई त्यौहार तक नहीं मना पाते थे। पास में मुसलमानों का मौहल्ला होने के कारण होली तक खेलना दुष्कर था। 

दूसरे, गुजरात दंगों पर मोदी को कोसने वाले अक्ल से पैदल मुसलमानों को कांग्रेस राज में हुए ईद-उल-फितर के दिन मलियाना दंगों को क्यों भूल जाते हैं? गुजरात दंगों को कट्टरपंथियों साबरमती ट्रेन में जिन्दा राम कारसेवकों को जिन्दा जलाये जाने पर हुए थे, लेकिन मलियाना में जो भयानक दंगा हुआ उसे अक्ल से पैदल नहीं भूलते। फिर भी ये कांग्रेस के तलवे चाटते रहते हैं।              
साल 1978 में उत्तर प्रदेश के संभल में हुए दंगों के मामले एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उस समय की मुलायम सिंह यादव सरकार ने कथित तौर पर दंगों से जुड़े आठ केस वापस ले लिए थे, जिसके बाद अब एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 

2024 चुनावों में संविधान बचाने की दुहाई देने वालों जवाब दो कि "क्या दंगाइयों के केस वापस लेने की संविधान इजाजत देता है? संविधान की धज्जियाँ किसने उड़ाई? यानि चोर मचाये शोर।  

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पत्र 1993 में तत्कालीन विशेष सचिव (जस्टिस) आरडी शुक्ला द्वारा मुरादाबाद डीएम को भेजा गया था, जिसमें 16 मामलों में से आठ को वापस लेने का आदेश था। हालाँकि, मुरादाबाद प्रशासन ने पत्र की पुष्टि नहीं की है।

                                     संभल 1978 दंगों से जुड़ा कथित पत्र वायरल (फोटो साभार: न्यूज18)

इन मामलों में रिजवान, मुनाजिर, मिंजार और इरफान जैसे लोग मुख्य आरोपित थे। इन दंगों में आरोप था कि मुस्लिम दंगाइयों ने हिंदू व्यापारियों को लूटा और कई हिंदुओं की हत्या की। मामले में मुआवजे को लेकर भी पीड़ितों में नाराजगी है, क्योंकि उन्हें जो मुआवजा मिला था, वह बहुत कम था।

अब दंगा पीड़ित हिंदू समुदाय के लोग मुलायम सिंह यादव सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं और योगी सरकार से इन दंगों की फिर से जाँच करने की माँग कर रहे हैं। वे न्याय की उम्मीद में हैं कि दोषियों को सजा मिल सके।

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