हिंडनबर्ग को फाउंडर नेट (बाएँ) ने बंद करने का ऐलान (साभार: Gulf Indian, FT & Indian Express)
भारतीय कारोबारी अडानी ग्रुप को लगातार निशाना बनाने वाले अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपना बोरिया बिस्तर बाँध लिया है। इसके फाउंडर ने ऐलान किया है कि हिंडनबर्ग को अब बंद कर दिया गया है। इसके फाउंडर ने बताया है कि हिंडनबर्ग को बंद करने का प्लान लम्बे समय से चल रहा था।
हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट पर भारतीय भी बहुत उछल रहा था। खूब संसद में हंगामा कर रहा था, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता संभालने से पहले ही जॉर्ज सोरोस समेत deep state भी अमेरिका से भागने शुरू हो चुके हैं। इन लोगों ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को चौपट किया है। भारत में भी बिकाऊ विपक्ष के माध्यम से चोट पहुंचा रहा था। गौतम अडानी और अम्बानी को राहुल गाँधी समेत सारा विपक्ष पानी पी-पीकर कोसता आ रहा है, लेकिन अपनी ही पार्टियों के राज्यों में इन दोनों द्वारा निवेश करने पर चुप्पी साधे रहते हैं, क्यों? अब इसे भारतीय विपक्ष का दोगलापन नहीं कहा जाये तो क्या जाये?
15 जनवरी, 2025 को फाउंडर नेट एंडरसन ने यह घोषणा की। इसको लेकर उन्होंने हिंडनबर्ग की वेबसाइट पर पूरा बयान छापा। इसमें उन्होंने लिखा, “मैंने पिछले साल के आखिर समय में ही अपने परिवार, दोस्तों और अपनी टीम के साथ हिंडनबर्ग को साझा करने की बात बताई थी। योजना यह थी कि हम जिन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे, उन्हें पूरा होने के बाद इसे बंद कर दिया जाएगा। और अब हमने पोंजी स्कीम वाला काम पूरा कर लिया है, ऐसे में वह दिन आज है।”
नेट ने इस बयान में हिंडनबर्ग पर ताला लगाने के पीछे कोई एक कारण होने से इनकार किया है। नेट ने कहा, “आखिर हम भी अपनी कम्पनी क्यों बंद कर रहे हैं? इसका कोई ख़ास एक कारण नहीं है, ना ही कोई खतरा है, ना कोई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है और ना ही कोई बड़ी व्यक्तिगत समस्या।” नेट ने हिंडनबर्ग को एक लव स्टोरी जैसा बताया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म को नेट एंडरसन ने 2017 में शुरू किया था। यह फर्म बड़ी कंपनियों के विषय में महीनों तक रिसर्च करती थी। इस दौरान मिली गड़बड़ियों या फिर आरोपों को इकट्ठा करती थी और एक बड़ी रिपोर्ट तैयार करती थी।
इसी दौरान यह उस कम्पनी के शेयर स्टॉक मार्केट में शॉर्ट (किसी शेयर पर यह दांव लगाना कि इसका भाव गिरेगा) करती थी। सही मौका देख कर यह रिपोर्ट सनसनीखेज तरीके से जारी की जाती थी। इसके बाद जब उस कंपनी के शेयर का दाम गिरता तो यह लोग करोड़ों डॉलर कमाते थे।
भारत के अडानी समूह के मामले में हिंडनबर्ग ने यही किया था। इसके चलते भारतीय निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था। हालाँकि, अडानी पर हिंडनबर्ग ने जो आरोप लगाए उनमें से अधिकांश हवा हवाई थे और उनके बारे में पहले से ही जानकारी सार्वजनिक थी।
बाद में हुई जाँच में भी अडानी समूह के खिलाफ कोई अपराध सामने नहीं आए थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारत में सियासी बवाल भी हुआ था। हालाँकि, अडानी समूह वापस पटरी पर आ चुका है लेकिन हिंडनबर्ग को बंद करने की नौबत आ गई है।
हिंडनबर्ग को बंद करने का फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में निजाम बदल रहा है। नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी, 2025 को पदभार संभालेंगे। ट्रम्प प्रशासन में टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क काफी ताकतवर होंगे। हिंडनबर्ग बायडेन प्रशासन के दौरान एलन मस्क के भी पीछे पड़ गया था।
ट्विटर डील में मस्क के खिलाफ कार्रवाई होने के कयास लगाते हुए इसने ट्विटर पर पैसा लगाया था। अब जब मस्क के समर्थन वाली सरकार सत्ता में आ रही है, तो यह कामधाम समेट रहा है।एलन मस्क, जॉर्ज सोरोस के खिलाफ भी रहे हैं। जॉर्ज सोरोस की ही संस्थाएँ हिंडनबर्ग को फंडिंग दिया करती थी।
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