मोर्चे भारतीय सेना के लिए केवल चीन और पाकिस्तान ही नहीं हैं ; मोर्चे तो आज चार हैं; चुनौती गंभीर है; 1965 इंडो-पाक युद्ध के दौरान रफ़ी का गीत आज 60 सालों बाद भी चीख-चीखकर सच्चाई बोल रहा है

सुभाष चन्द्र

अभी हाल ही में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी जी ने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच नजदीकी का स्तर बहुत ऊंचा है और इसका मतलब यह है कि दो मोर्चों पर खतरा एक वास्तविकता है। 

हमारे पूर्व CDS बिपिन रावत जी कहा करते थे कि भारतीय सेना ढाई मोर्चे पर एक साथ युद्ध के लिए तैयार रहती है दो मोर्चे तो वो चीन और पाकिस्तान को मानते थे और आधा मोर्चा भारत में अंदरूनी शक्तियों को समझते था लेकिन आज वह अंदरूनी मोर्चा आधा नहीं है बल्कि एक पूरा मोर्चा बन चुका है और बांग्लादेश चौथा मोर्चा खड़ा हो गया है कुल मिला कर भारत के सामने युद्ध के लिए चार मोर्चे हैं

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पूर्व CDS बिपिन रावत ने कोई गलत नहीं कहा था, उनकी बात समझने के लिए 1965 इंडो-पाक युद्ध के दिनों को याद करना होगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने युद्ध के दौरान ऐसे निर्भीक निर्णय लिए थे जो शायद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए असंभव होगा। एक से बढ़कर एक धुरंदर देश के गद्दारों को जेल और house arrest कर दिया था। यह देश का दुर्भाग्य और उन गद्दारों की खुशकिस्मती थी कि ताशकंत से शास्त्रीजी का मृतक शरीर आया, शायद मुस्लिम और पाकिस्तान परस्त नेताओं की वजह से उनका न ही पोस्टमॉर्टेम और न हो मृत्यु की जाँच करवाई गयी। 

दूसरे, उन दिनों बहुचर्चित गायक मोहम्मद रफ़ी का एक बहुचर्चित  गैर-फ़िल्मी गीत 'कहनी है एक बात हमें देश के पहरेदारों से, संभलकर रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से ...' जो आज 60 सालों बाद भी चीख-चीखकर सच्चाई बोल रहा है।      फिर हमारा मीडिया भी कुछ कम नहीं। याद करिये 1962 इंडो-चीन युद्ध, जब कम्युनिस्टों ने कहा था कि हमारा कोई कार्यकर्ता फौजियों के लिए खून नहीं देगा और हमारा मीडिया उसी वामपंथियों को चर्चा में बुलाकर गौरविन्त होते हैं।      

द्विवेदी जी ने बांग्लादेश का भी जिक्र करते हुए कहा कि “आतंकवाद का केंद्र एक ख़ास देश है और उसका रिश्ता पडोसी देश के साथ है तो मुझे चिंतित होना चाहिए क्योंकि आतंकवाद का रास्ता उस देश से भी इस्तेमाल किया जा सकता है और आज की तारीख में यह मेरी सबसे बड़ी चिंता है

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी कहा कि मौजूदा संघर्षों को देखते हुए एक सबक लेना चाहिए कि हमें लंबे समय तक चलने वाले युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए उन्होंने उद्योग जगत के समर्थन की जरूरत की बात की और वायुसेना की क्षमता बढ़ाने की बात की

पिछले 10 साल में भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि की है हर तरह के रक्षा संबंधी हथियार या तो भारत में ही बन रहे हैं या आयात किए गए है जहां यूपीए सरकार के पास एक भी राफेल खरीदने के पैसे नहीं थे, वहीं मोदी ने 60 के करीब विमानों का सौदा कर लिए, 36 तो आ गए और 24 के आर्डर दिए हैं

चीन गलवान और ढ़ोकलाम में भारत की शक्ति को चख चुका है बस छुटपुट हरकत कर सकता है लेकिन युद्ध में उलझने की हिमाकत कदाचित नहीं करेगा और अगर अमेरिका और रूस की करीबी बढ़ जाती है और साथ में भारत, इज़रायल और सऊदी अरब इस गठबंधन में शामिल होते हैं तो चीन अकेला पड़ जायेगा

उधर पाकिस्तान क्या युद्ध करेगा भारत से जब वह बलूच आर्मी और TTP पर लगाम नहीं लगा पा रहा और POK में विद्रोह झेल रहा है शरारत फिर भी जारी रहेगी और उस बांग्लादेश को उकसाता रहेगा जो म्यांमार की अराकान आर्मी का मुकाबला नहीं कर पा रहा 

असली मोर्चा तो भारत का अंदरूनी है क्योंकि सभी विपक्षी दल बस किसी भी तरह देश को आग लगाने की फ़िराक में हैं अफ़सोस की बात है उनके लिए कि  सोरोस और USAID का पैसा बंद हो गया लेकिन फिर भी किसी न किसी विषय को लेकर देश में गृह युद्ध शुरू करने की मंशा साफ़ नज़र आ रही है वक़्फ़ संशोधन पर मुस्लिम संगठन खुली धमकी दे रहे हैं क्योंकि उनके पीछे समूचा विपक्ष है इसलिए यह मोर्चा एक खतरनाक शक्ति के रूप में उभर सकता है विदेशी मोर्चों से युद्ध अलग बात होती है लेकिन अंदरूनी मोर्चे पर वैसा युद्ध नहीं लड़ सकते

तो मोर्चे तो चार हैं भारतीय सेना के सामने लेकिन अंदरूनी मोर्चे पर लड़ने के लिए पुलिस और अर्ध सैनिक बल भी काम आएंगे और यह शायद विपक्ष को समझ नहीं आ रहा गृह युद्ध की स्तिथि में पहले विपक्ष के बड़े नेताओं को अंदर करने की जरूरत होगी

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