एक समय था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनाव रैलियों में फ्रीबीस को कोसते थे, लेकिन दिल्ली हथियाने के लिए खुद ही केजरीवाल के जाल में फंस फ्रीबीस के आधार पर दिल्ली हथियाने में सफल हो गए। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बांटे जा रहे हैं, लाखों को फ्री राशन देने और BPL के अंतर्गत जो राशन बांटा जा रहा है क्या कभी इन सबका आर्थिक सर्वे किया? यदि नहीं तो क्यों? आखिर सरकारी धन का दुरूपयोग कब बंद होगा? या फिर कहा जाये कि जो प्रधानमंत्री मोदी करे वह ठीक दूसरा करे तो फ्रीबीस?
IT क्षेत्र की शीर्ष भारतीय कम्पनियों में शामिल इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति ने ‘रेवड़ी कल्चर’ पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि देश में मुफ्त चीजें देने से गरीबी नहीं खत्म होने वाली है। उन्होंने गरीबी खत्म करने का तरीका ज्यादा से ज्यादा नौकरियाँ पैदा करना बताया है। उन्होंने इसके साथ ही सरकारी सब्सिडी की कड़ी देखरेख की वकालत की है।
मुंबई में स्टार्टअप इकोसिस्टम को लेकर आयोजित एक इवेंट में बोलते हुए नारायणमूर्ति ने कहा, “मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि आप में से हर आदमी आने वाले समय में लाखों नौकरियाँ पैदा करेगा और ऐसे ही आप गरीबी की समस्या का समाधान कर सकते हैं, आप फ्रीबीस (रेवड़ियों) से गरीबी की समस्या का समाधान नहीं कर सकते, कोई भी देश इसमें सफल नहीं हो सका है।”
नारायणमूर्ति ने इस दौरान कहा कि सरकार जो भी सुविधाएँ मुफ्त दे, उनको लेकर कड़ी मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने इसके लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली का उदाहरण दिया। नारायणमूर्ति ने कहा कि जिस भी परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए, 6 महीने बाद उसको लेकर जाँच की जाए कि वह इसका उपयोग कैसे करते हैं।
रेवड़ी कल्चर पर नारायणमूर्ति ने स्पष्ट किया है कि वह किसी पार्टी के वादों पर टिप्पणियाँ नहीं कर रहे बल्कि नीतिगत व्यवस्था पर बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई फायदा जनता को दिया जा रहा है तो इसके बदले में सरकार को कुछ शर्तें भी लगानी चाहिए।
नारायणमूर्ति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियाँ नकद ट्रांसफर, मुफ्त बिजली, मुफ्त बस यात्रा, राशन या फिर बाकी तरीकों का इस्तेमाल करके चुनाव में उतर रही हैं। बीते कुछ चुनावों में यह चलन तेजी से बढ़ा है।
भारतीय राजनीति में रेवड़ी और मुफ्त में सुविधाएँ दिए जाने का चलन आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में आजमाया था और उसे 2015 तथा 2020 के चुनाव में बड़ी सफलता मिली थी। इसके बाद कॉन्ग्रेस को भी ऐसे ही वादों के सहारे कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में बड़ी सफलताएँ मिलीं।
रेवड़ी कल्चर का पहला विरोध करने वाली भाजपा ने भी बाद में महिलाओं को नकद राशि जैसे वादे किए हैं। हालाँकि, अर्थशास्त्रियों ने इस चलन को बजट के लिए खतरनाक बताया है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ बताया है। कर्नाटक में कॉन्ग्रेस सरकार के रेवड़ी बाँटने के असर बजट पर दिखाई भी दिए हैं।
कर्नाटक में कॉन्ग्रेस सरकार दलितों और जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए बनाया गया बजट अपनी ‘गारंटी स्कीम’ में लगा दिया है। हजारों करोड़ रूपए की धनराशि गारंटी स्कीम में लगाई गई है। कर्नाटक ने कई टैक्स भी बढ़ा दिए हैं। हालाँकि, इससे कर्नाटक में गरीबी रेखा पर कोई असर पड़ा हो, ऐसी जानकारी नहीं सामने आई है। नारायणमूर्ति ने इसी से जुड़ी बात कही है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी देश इसमें सफल नहीं हुआ है। दरअसल, उनका इशारा वेनेजुएला जैसे देशों की तरफ था। वेनेजुएला ने भी तेल की कमाई के सहारे अपने नागरिकों को रेवड़ियाँ बाँटनी चालू की थी। उसने सरकारी नौकरियाँ आदि भी खूब बाँटी थी। बाद में वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।
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अतिशय उत्तम आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद जी
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