तहव्वुर राणा अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में रोया कि “वह पाकिस्तान मूल का मुसलमान है, इसलिए उसे भारत में प्रताड़ित किया जायेगा; भारत में मुक़दमे का सामना करने के लिए उसके जिंदा बचे रहने की सम्भावना कम होगी; मुझे कई गंभीर बीमारियां हैं”। उसने यह भी दलील दी कि भारत में उसका प्रत्यर्पण अमेरिकी कानून और यातना के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र का भी उल्लंघन है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी लेकिन एक बार फिर उसने चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के सामने एक और आपात याचिका दायर की है लेकिन ऐसा नहीं लगता कुछ होगा।
तहव्वुर राणा, तुम्हें भारत आने में कोई डर नहीं होना चाहिए। तुम पाकिस्तानी मूल के मुसलमान हो, और भारत में पाकिस्तान के चाहने वालों की भरमार है, तुम्हारे लिए AIMPLB बोर्ड जान लगा देगा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद बड़े बड़े वकीलों की फ़ौज खड़ी कर देगा जैसा वो आतंकियों के लिए करता है। प्रशांत भूषण और उसके गिरोह के वकील मानवाधिकारों के नाम पर तुम्हें बचाने की हर कोशिश करेंगे। ओवैसी तो देश में दंगे भड़काने का इशारा भी कर सकता है तुम्हें बचाने के लिए। इसके आलावा मारकंडे काटजू में मोदी को गाली बकता हुआ तुम्हारी पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में खड़ा हो जाएगा।
पहले तो तुम्हारा केस 10 साल से पहले ख़त्म ही नहीं होने दिया जाएगा और केस के चलते तुम लालू यादव के फॉर्मूले पर चल सकते हो। जिस दिन कोर्ट में तारीख होगी, उससे पहले ही हॉस्पिटल में भर्ती हो जाना। लालू को देख लो, 32 साल के कारावास की सजा पा कर भी छुट्टा घूम रहा है।
अदालतों में केस लंबा घसीटने के इतने तरीके हैं कि बस मौज करते रहना और हमारी अदालतों पर हँसते रहना और शायद पछताओगे कि भारत आने की बजाय अमेरिका न जाते तो अच्छा होता, अगर सजा हो भी गई तो पहले तो हाई कोर्ट ही स्टे करके 3 साल लगा देगा और उसने सजा बरक़रार रखी तो सुप्रीम कोर्ट तो आजकल “औरंग़ज़ेबों” का कोर्ट बन गया है। वह तुम्हारे खिलाफ हाई कोर्ट के फैसले पर स्टे करके 5 साल के लिए सो जाएगा। तुम्हारे लिए उनके रहमोकरम का दायरा इतना तंग नहीं होगा कि तुम्हें इतनी मदद भी न कर सके।
अगर फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार भी रखी तो फिर रिव्यु पेटिशन होगी, प्रेजिडेंट के सामने दया याचिका, फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील और फिर क्यूरेटिव पेटिशन आदि आदि।
40-50 मानवाधिकारों के चैंपियन तुम्हारे लिए राष्ट्रपति को पत्र लिख कर तुम्हें माफ़ करने के लिए कहेंगे। और फिर भी उनकी बात नहीं मानी गई तो रात की अंधेरे में सुप्रीम कोर्ट खुलवाया जाएगा। तब तक तुम 75-80 साल के हो जाओगे और इतनी उम्र में कोई भी तरस खाकर तुम्हें सजा देना ठीक नहीं समझेगा।
इसलिए भारत आने से मत डरो, तुम तो यह समझ लो कि जीते जी जन्नत में आ रहे हो।
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