कल मैंने अपने लेख “महाकुंभ में पिट गए तो औरंगज़ेब की गोद में बैठ गए” के अंतिम पैरा में लिखा था कि “सबसे बड़े औरंगज़ेब तो सुप्रीम कोर्ट में बैठे हैं। अबू आज़मी पर FIR को वो रद्द करते हुए कह सकते हैं कि यह आज़मी की अभिव्यक्ति की आज़ादी है”।
ऐसा आचरण सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दिखाते आए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा भगवान राम के अपमान को उन्होंने “Line of Thought” कह दिया।
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लेखक चर्चित YouTuber |
औरंगज़ेब ने सनातन और हिंदुओं पर अत्याचार किए और उदयनिधि ने सनातन धर्म को मलेरिया, डेंगू कह कर उसे समाप्त करने को कहा लेकिन इसे मीलॉर्ड किसी तरह की “Hate Speech” नहीं मानते। मतलब साफ़ है मीलॉर्ड सनातन के शत्रु से भाईचारा निभा रहे हैं और उसे बचाने की कोशिश में लगे हैं।
उदयनिधि ने वह बयान सितंबर 2023 में दिया था और तब से सुप्रीम कोर्ट की छत्रछाया उस पर बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में “औरंग़ज़ेबों “को बस हिंदुओं पर बरसना आता है जिनके लिए कोई रियायत नहीं दी जाती। नूपुर शर्मा पर आग उगल रहे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पारदीवाला और मुस्लिमों द्वारा उदयपुर में कन्हैया के सर कलम करने के लिए भी नूपुर शर्मा पर दोष मढ़ दिया था।
अवलोकन करें :-
स्वामी प्रसाद मौर्या ने दिन रात भगवान राम और रामचरितमानस का अपमान किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे उसका Line of Thought कह दिया। सनातन और हिंदू बहुसंख्यकों के लिए बात कहने पर जस्टिस शेखर यादव के पीछे पड़ गए थे। हिंदू संतों को Hate Speech के लिए जेल में डाल दिया था। लेकिन मीलॉर्ड याद रहे, जब राम की लाठी पड़ती है तो आवाज़ नहीं होती, आज स्वामी प्रसाद मौर्या का कहीं अता पता नहीं है, मिल गया नतीजा राम से टकराने का।
गिरफ़्तारी पर रोक लगाते हैं लेकिन ट्रायल कोर्ट में चार्ज शीट दायर कर केस ख़त्म करने के निर्देश नहीं देते। उदयनिधि का केस Open & Shut केस है। क्या सबूत चाहिए उसमें क्योंकि वह कभी बयान से मुकरा नहीं?
ये DMK वो घटिया पार्टी है जो मंदिरों का धन लूट रही है और सनातन को ख़त्म करने का अभियान चलाती है। और साथ मिल जाता है सुप्रीम कोर्ट का। मैंने कल कहा था देश में आज भी “औरंग़ज़ेबों” की कमी नहीं है।
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