पत्थरों से भरी ट्रॉली, तेज धार हथियार, खास (हिंदुओं के) घर-दुकान निशाना: CM फडणवीस ने नागपुर हिंसा को बताया ‘साजिश’, कहा- पहले से थी तैयारी, DCP पर कुल्हाड़ी से हुआ हमला

भारत में जब कभी कहीं भी हिन्दू-मुस्लिम दंगा होने पर इनके आकाओं द्वारा 'गंगा-जमुनी तहजीब' जैसे ढोंगी फरेबी नारे लगाने वाले दंगाइयों को बाहरी कहकर बचने की कोशिश करते है। लेकिन कभी इनसे यह नहीं पूछा जाता कि आखिर किस के कहने पर बाहरी आए? इनको पत्थर और पेट्रोल बम किसने दिए? इन बाहरी दंगाइयों को कितने रूपए देकर बुलाया गया? अगर दंगाई बाहरी थे फिर स्थानीय लोगों ने उनको क्यों पनाह दी? अपने घरों पर पत्थर और पेट्रोल बम जमा किए? दंगाई बाहरी लोग थे या स्थानीय इसका खुलासा तभी होगा जब सरकार पुलिस को blind firing का आदेश देकर भेजे। blind firing पर जख्मी होने वालों से इस सच्चाई का खुलासा होगा कि दंगाई बाहरी है या स्थानीय। 

दूसरे, जिन घरों से पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए योगी आदित्यनाथ की तरह उन घरों पर बुलडोज़र चलाना चाहिए। और अगर कोई कोर्ट रोक लगाती है तो उसी समय कोर्ट से पूछा जाना चाहिए कि क्या दंगाइयों को ऐसे ही छोड़ दिया जाये? नकाब पहनकर दंगा करना क्या उचित है? अगर पुलिस को blind firing देकर दंगा-ग्रस्त इलाके में भेजा जाता DCP पर कुल्हाड़ी से हमला नहीं होता। पुलिस वालों के भी परिवार होता है। भेज दिया जाता है हाथ में डंडा लेकर जैसे ढोल पीटना हो। बहुत हुआ तो टियर गैस दे दी। जहाँ पेट्रोल बमों का इस्तेमाल हो रहा हो नकाब पहन पत्थरबाज़ी हो रही हो, वहां इस पुरानी सोंच को दरकिनार करना होगा।            
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में हुई हिंसा को एक सोची-समझी साजिश करार दिया है। महाराष्ट्र की विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि नागुपर की हिंसा सुनियोजित थी और इसे अंजाम देने के लिए पहले से तैयारी की गई थी।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि हिंसा में 33 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें तीन डीसीपी शामिल हैं। एक डीसीपी पर तो कुल्हाड़ी से हमला किया गया, जो इसकी गंभीरता दिखाता है। पाँच आम नागरिक भी घायल हुए, जिनमें से तीन को अस्पताल से छुट्टी मिल गई, लेकिन एक अभी भी आईसीयू में है। उन्होंने खुलासा किया कि हिंसा वाली जगह से पत्थरों से भरी एक ट्रॉली मिली और तेज धार वाले हथियारों का इस्तेमाल हुआ। कुछ खास (हिंदुओं) घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया, जिससे साफ है कि यह सब पहले से प्लान था।

सीएम फडणवीस ने सख्त लहजे में कहा कि पुलिस पर हमला बर्दाश्त नहीं होगा और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। अब तक पाँच एफआईआर दर्ज की गई हैं और 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। नागपुर के 11 पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। उन्होंने हिंसा की वजह औरंगजेब की कब्र को लेकर फैली अफवाह को बताया, जिसमें कहा गया कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने धार्मिक चीजें जलाईं। सीएम ने कहा, “छावा फिल्म ने औरंगजेब के खिलाफ गुस्सा भड़काया, लेकिन शांति बनाए रखना जरूरी है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि कानून हाथ में न लें और पुलिस का साथ दें। जाँच जारी है ताकि इस साजिश का पूरा पर्दाफाश हो सके।

इस मामले में बीजेपी विधायक प्रवीण डटके ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि नागपुर में हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए यह हिंसा प्लान की गई थी। डटके ने हंसापुरी इलाके का जिक्र करते हुए बताया कि वहाँ की एक पार्किंग में हमेशा हिंदू और मुस्लिम अपनी गाड़ियाँ खड़ी करते थे, लेकिन 17 मार्च 2025 को एक भी मुस्लिम की गाड़ी नहीं थी। फिर उस पार्किंग में आग लगा दी गई। उन्होंने कहा, “जिन गाड़ियों, दुकानों और घरों को जलाया गया, वे सभी हिंदुओं के थे। मुस्लिमों का कोई नुकसान नहीं हुआ।” डटके ने इसे सुनियोजित साजिश बताया और कहा कि बाहरी लोग आए थे, जिन्होंने सीसीटीवी तोड़े ताकि सबूत मिट जाएँ। उनका दावा है कि यह हिंदुओं के खिलाफ टारगेटेड हमला था।

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सोमवार (17 मार्च 2025) को नागपुर के कुछ इलाकों में मुस्लिमों ने हिंदुओं को निशाना बनाकर हमले किए। हिंदुओं के घरों पर पत्थरबाजी हुई। तलवार से हमले हुए, पेट्रोल बम की सहायता से गाड़ियाँ फूँकी गई और गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की गई। इस दौरान पुलिसकर्मियों को भी निशाना बनाया गया, जिसके बाद प्रशासन ने पूरे इलाके में कर्फ्यू लागू कर दिया। कुछ समय तक इलाके में इंटरनेट सेवाओं को भी बंद कर दिया गया था, हालाँकि कुछ ही घंटों में इंटरनेट सेवाएँ बहाल कर दी गईँ।

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