भारत में किसी भी सियासतखोर में दंगा करवाने की औकात नहीं, ये सिर्फ जेहादियों को संरक्षण दे सकते हैं, इससे ज्यादा इनकी औकात नहीं। CAA विरोध में बने शाहीन बाग़, तथाकथित किसान आंदोलन, पहलवानों का प्रदर्शन आदि आदि जितने भी आंदोलन हुए सब विदेशी भीख से हुए। केंद्र सरकार भी जानती है सवाल यह है कि मोदी सरकार क्या कर रही है? आखिर कब तक भारत विरोधी कुर्सी के भूखे नेताओं की तिजोरी भर देश को अशांत करते रहेंगे?
CAA विरोध से लेकर अब बंगाल के मुर्शिदाबाद में दंगा में भी विदेशी फंडिंग की बात सामने आ रही है, आखिर हमारी गुप्तचर संस्थाएं और केंद्र सरकार क्या कर रही है? हिन्दू के त्योहारों पर पत्थरबाज़ी क्या तमाशा है? मोदी सरकार एक हिन्दू त्यौहार बताए जिस पर जेहादियों ने पत्थरबाज़ी नहीं की हो? कुर्सी के भूखे नेता सारा दोष हिन्दुओं पर पटक जेहादियों के बचाव में खड़े होने वालों पर क्यों नहीं कार्यवाही करती?
मुर्शिदाबाद में हिंसा के मामले में ममता बनर्जी सरकार कदम-कदम पर बुरी तरह फेल साबित हुई है। अब यह बड़ा खुलासा हुआ है कि यहां पर हिंसा की सुनियोजित साजिश तीन महीने से ज्यादा समय से चल रही थी। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद को छोटा बांग्लादेश बनाने के लिए उपद्रवियों और दंगाइयों के पास पैसा तुर्किए तक से आ रहा था। पत्थरबाज, उपद्रवी और आगजनी करने वालों को बकायदा इसके लिए पांच-पांच सौ रुपए तक दिए गए। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाने के लिए विदेशों तक से फंडिंग हो रही थी और राज्य की तृणमूल सरकार हाथ पर हाथ धरे मौन ही बैठी रही। इसका खामियाजा निर्दोष हिंदुओं ने आगजनी, मारपीट और पलायन के रूप में भुगता। वक्फ कानून को लेकर विरोध में पश्चिम बंगाल में भारी हिंसा देखने को मिली। मुर्शिदाबाद में हिंसा में 4 लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा। सैकड़ों लोग घायल हुए तो वहीं कई लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह पलायन को मजबूर होना पड़ा। हिंसा को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षा बल को तैनात किया गया और हिंसाग्रस्त इलाके में कड़ा पहरा है।
इस बीच मुर्शिदाबाद दंगा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। भारतीय जांच एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो इस हिंसा की प्लानिंग लंबे समय से की जा रही थी। पिछले 3 महीनों से इलाके के लोग इस घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी। पूरे मामले की जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि यह आतंकवाद फैलाने का नया तरीका है। दो महीने पहले अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एटीबी) के दो जाने-माने सदस्य मुर्शिदाबाद आए और कहा कि एक बड़ी दावत होगी। वे ट्रिगर पॉइंट का इंतजार कर रहे थे। शुरू में रामनवमी की तारीख तय थी, लेकिन सुरक्षा के कारण चीजें बदल गईं, लेकिन वक्फ बिल ने ट्रिगर पॉइंट दे दिया।
उपद्रवकारियों को विदेशों से हो रही थी फंडिंग और ट्रेनिंगसुरक्षा जांच एजेंसियों के मुताबिक हमलावरों और उपद्वियों से कहा गया था कि वे जितनी ज्यादा चीजों को खराब करेंगे उन्हें उतना ही ज्यादा पैसा दिया जाएगा। शुरू में एक सूची बनाई गई थी कि यदि वे अपने किए का ब्यौरा देंगे तो उन्हें कितना धन दिया जाएगा। इसी कड़ी में ट्रेनों को बाधित करना, सरकारी संपत्ति को खत्म करना, हिंदुओं की हत्या करना, घरों को लूटना उनका टारगेट था। इसके लिए उन्हें बकायदा विदेशों से फंडिंग और ट्रेनिंग भी दी गई। बता दें कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 10 अप्रैल से हिंसा जारी है। मुर्शिदाबाद में पहले से ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के करीब 300 जवान तैनात हैं और केंद्र ने व्यवस्था बहाल करने में मदद के लिए केंद्रीय बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियां तैनात की हैं।
मुर्शिदाबाद को छोटा बांग्लादेश बनाने की थी साजिशमुर्शिदाबाद हिंसा की प्लानिंग और पूरे खर्च का दारोमदार तुर्की और बांग्लादेश के भरोसे चल रहा था। यहीं से हिंसा को लेकर पूरा फंड दिया जा रहा था। जांच एजेंसियों की माने तो इस योजना में शामिल हर हमलावर और पत्थरबाजों को लूटपाट के लिए 500-500 रुपए दिए गए थे। इनकी पिछले तीन महीनों से लगातार ट्रेनिंग चल रही थी। साजिशकर्ताओं ने बंगाल को भी छोटा बांग्लादेश बनाने की योजना बनाई थी। जैसे दंगे बांग्लादेश हिंसा में देखने को मिले थे, ठीक वैसे ही यहां भी प्लान था। बता दें कि केंद्र सरकार के वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों को आग लगा दी, सड़कों पर मारपीट और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की भी घटनाओं को अंजाम दिया गया।
मुर्शिदाबाद हिंसा और उपद्रव में बांग्लादेशी कट्टरपंथी भी शामिलहाल ही में मुर्शिदाबाद हिंसा में बांग्लादेशी कनेक्शन भी सामने आया। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि बांग्लादेश के दो कट्टरपंथी संगठनों जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) ने इसे अंजाम दिया था। हिंसा में पिता-पुत्र की हत्या मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी बीरभूम और दूसरा बांग्लादेश बॉर्डर से पकड़ा गया है। इनके नाम कालू नदाब और दिलदार नदाब हैं। मुर्शिदाबाद हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई, जबकि 15 पुलिसकर्मी घायल हैं। अब तक 300 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बलों के 1600 जवान तैनात हैं।
दहशतजदा लोग बोले- BSF हटाई तो फिर होगी दिक्कतमुर्शिदाबाद में हिंसा के 5 दिन बाद हालात सामान्य हो गए हैं। प्रशासन ने कहा- हिंसा वाले शहर धुलियान में स्थिति नियंत्रण में है। लोग अब धीरे-धीरे काम पर लौट रहे हैं। धुलियान से पलायन कर चुके 500 से ज्यादा लोग अब वापस आ रहे हैं। हिंसा प्रभावित शमशेरगंज के एक निवासी हबीब-उर-रहमान ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा- BSF और CRPF की तैनाती होने के बाद ही माहौल कुछ शांत हुआ है। प्रशासन ने हमसे दुकान खोलने और अनुशासन बनाए रखने को कहा है। कई लोगों ने BSF की स्थायी तैनाती की मांग भी की है। उनका कहना है कि अगर BSF हटी तो फिर से हालात खराब हो सकते हैं। दूसरी ओर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मुर्शिदाबाद में हुई हालिया हिंसा की जांच के लिए एक जांच कमेटी बनाई है। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर खुद हिंसा-प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगी और पीड़ितों से मुलाकात करेंगी। NCW ने यह भी कहा है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
हिंदुओं को मौत की नींद सुलाने के लिए पानी में मिलाया जहरइससे पहले पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में उपद्रवकारियों की एक और करतूत का खुलासा हुआ था। इन आताताइयों ने हिंदुओं को मौत की नींद में सुलाने के लिए इनके क्षेत्र की पानी की टंकी में जहर मिला दिया! ताकि जहरीला पानी पीने के बाद लोग मौत के शिकार बन जाएं और इन पर कोई शक भी ना करे। इतना ही नहीं उपद्रवकारियों ने नैतिकता की सारी सीमाएं लांघकर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की और कई गैस सिलेंडरों को आग के हवाले कर दिया। एक जाति विशेष के इन बदमाश अपराधियों ने अपना इतना खौफ पैदा कर दिया कि हिंसाग्रस्त इलाकों से हिंदुओं का पलायन करना ही शुरू हो गया है। इतना सब होने के बावजूद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकारी अमले ने इस ओर से आंखें मूंद लीं है। इससे दंगाइयों के हौंसले और बढ़ गए हैं।
पीड़ितों का दर्द सुनकर आगबबूला हो जाएंगे आपमुर्शिदाबाद में हिंसा की वजह से हिंदुओं को पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है। उपद्वियों के डर से भागे लगभग 500 हिंदू परिवारों ने मालदा जिले के एक स्कूल में शरण ली है। उनकी आंखों में अब भी डर और असुरक्षा की झलक साफ देखी जा सकती है। उन्होंने जो आपबीती बताई, उसे सुनकर आप भी आगबबूला हो जाएंगे। शमशेरगंज और धुलियान जैसे हिंसा-प्रभावित इलाकों से भागे हुए लगभग 500 परिवारों ने मालदा जिले के वैष्णवनगर परलाल हाई स्कूल में शरण ली है। पीड़ितों के मुताबिक, उन्हें अपने घर जलते हुए छोड़कर नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ी। अब वे एक स्कूल के छोटे-छोटे कमरों में बेजान हालात में जी रहे हैं। शुक्रवार और शनिवार को प्रदर्शन के नाम पर हिंसा, आगजनी और लूटपाट का ऐसा तांडव हुआ कि लोग जान बचाकर गांव छोड़ने को मजबूर हो गए। इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
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