अफगानी जनता को स्टेडियम में जमा किया, फिर हत्या के दोषी 4 लोगों को खड़ा कर सबके सामने गोलियों से भूना: तालिबान ने कहा- यह इस्लाम का हिस्सा, पश्चिमी कानूनों की नहीं जरूरत

                                   हिबतुल्लाह अखुँदजादा, तालिबानी नेता (साभार : indiatoday)
इस्लामी आतंकी संगठन तालिबान ने कहा है कि सजा के रूप में सरेआम हत्या करना इस्लाम का हिंसा है। तालिबान ने यह बात अफगानिस्तान में हाल ही में 4 लोगों को सरेआम गोलियों से भून कर सजा देने के बाद कही है। तालिबान ने कहा है कि उन्हें पश्चिमी देशों के कानूनों की कोई आवश्यकता नहीं है।

अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इसको लेकर एक ऑडियो जारी किया है। यह ऑडियो तालिबान के मुखिया और अफगानिस्तान के अमीर हिबैतुल्लाह अखुँदजादा कहते हैं, “हमें सिर्फ नमाज या इबादत तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस्लाम एक पूरा जीवन पद्धति है, जिसमें अल्लाह के सारे हुक्म शामिल हैं। इनमें सजाएँ देना भी जरूरी है।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फाँसी की आलोचना पर अखुँदज़ादा ने कहा कि अल्लाह ने लोगों को इबादत करने और सजा चुनने का आदेश दिया है। तालिबान का संघर्ष कभी सत्ता या धन के लिए नहीं था, बल्कि ‘इस्लामी कानून’ को लागू करने के लिए था। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के कानूनों की अफगानिस्तान में कोई जरूरत नहीं है।

ये बातें तालिबान मुखिया ने दक्षिणी कंधार प्राँत में हज प्रशिक्षकों के एक सेमिनार में 45 मिनट के भाषण के दौरान कहीं। उन्होंने ये भी कहा कि इस्लाम का एक भी आदेश अधूरा नहीं छोड़ा जाना चाहिए। गौरलतब है कि शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025) को तालिबान ने 4 लोगों की फायरिंग करके हत्या कर दी थी। 

तालिबान ने अफगानिस्तान के तीन राज्यों में 4 लोगों को यह सजाएँ दी थीं। इनमें से बडघीस के काला-ए-नौ में 2 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसके अलावा एक को निमरोज के जरांज और एक को फराह में मार दिया गया था। इन्हें 6-7 बार गोली मारी गई।

तालिबान ने यह सजाएँ दिखने के लिए यहाँ के लोगों को बुलाया भी था। यहाँ तक कि मृतकों के रिश्तेदारों को भी इस दौरान शामिल किया गया था। बताया गया है कि इन पर हत्या का आरोप सिद्ध हुआ था और तभी इन्हें मौत की सजा दी गई थी। इन लोगों ने माफी भी माँगी थी लेकिन कोई राहत नहीं दी गई थी।

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