धनखड़ जी की बातों ने दलाल वकीलों का पिछवाड़ा लाल कर दिया; लगता है सुप्रीम कोर्ट के जजों ने ही उन्हें आगे किया है बोलने के लिए

सुभाष चन्द्र 

कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और प्रशांत भूषण जैसे वकील सबसे ज्यादा आतंकित हैं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की बातों से। और कोई बड़ी बात नहीं है सुप्रीम कोर्ट के जजों ने ही उन्हें कहा हो कि धनखड़ के बयान पर प्रतिक्रिया दो क्योंकि हम तो बोल नहीं सकते 

एक तरफ सिंघवी कह रहा है "The President of India does not comment on such things and on this issue, there is no difference between the President and the Vice President. Previous incumbents of the office have not commented on such issues and there is no reason to start this process”. 

राष्ट्रपति अगर कुछ नहीं कहते तो इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायपालिका राष्ट्रपति के खिलाफ मर्यादाहीन टिप्पणी करे और उन्हें आदेश दे आप कह रहे हो राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति में कोई अंतर नहीं होता लेकिन कपिल सिब्बल तो कह रहा है कि “राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है; राष्ट्रपति कैबिनेट अधिकार और सलाह पर काम करता है; राष्ट्रपति के पास अपना कोई निजी अधिकार नहीं होता, धनखड़ को यह बात पता होनी चाहिए” 

कपिल सिब्बल की कांग्रेस 60 साल तक राष्ट्रपति को ऐसे ही रबर स्टाम्प समझती रही थी सिब्बल कह रहा है कि कार्यपालिका काम नहीं करेगी तो सुप्रीम कोर्ट को तो बीच में आना ही पड़ेगा फिर एक बात यह भी बता दो सिब्बल मियां कि अगर न्यायपालिका काम नहीं करेगी (जो नहीं कर रही है) तो फिर कौन बीच में आएगा? न्यायपालिका तो खुद को धरती का खुदा समझ बैठी है और सुप्रीम कोर्ट के जज अपने को खुदा के पैगम्बर मानने लगे हैं

लेखक 
चर्चित YouTuber
 

बिल्कुल ताजा केस है यशवंत वर्मा का है कोई जवाब कि जब सुप्रीम कोर्ट काम नहीं कर रहा इस मामले में तो कौन करेगा या न्यायपालिका में भ्रष्टाचार बेलगाम हो जाएगा? राष्ट्रपति को आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने भीतर ही अराजकता फैला दी तो देश में कैसे नहीं फैलेगी लालू यादव जैसे सजायाफ्ता मुजरिम को 32 साल की सजा होने के बाद भी छुट्टा छोड़ा हुआ है जमानत पर, यह कैसी न्यायपालिका है? केजरीवाल को बेल दिलाने के लिए सिंघवी ने क्या किया, यह वो ही जानता है जो 9 महीने में संजीव खन्ना के आदेश के बाद 3 जजों की बेंच नहीं बनी अब बताओ सिब्बल मियां सुप्रीम कोर्ट काम नहीं कर रहा तो कौन करेगा?

सिब्बल, सिंघवी, भूषण और कई वकील है जो सीधे सुप्रीम कोर्ट में घुसते हैं जैसे अंदर से आवाज़ आती हो, “कुंडी मत खटकाओ राजा, सीधा अंदर आओ राजा” पूरी सेटिंग रहती है जो तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत में साफ दिखाई दी थी आज सुप्रीम कोर्ट हो या हाई कोर्ट, “बेल कोर्ट” और “स्टे कोर्ट” बन चुके हैं 

कपिल सिब्बल जो सुप्रीम कोर्ट की इतनी तरफदारी कर रहा है, उसी ने 8 अगस्त, 2022 को कहा था कि 50 साल की प्रैक्टिस के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से कोई उम्मीद नहीं रही अब मुझे सीखना पड़ेगा कौन सा केस हाई कोर्ट में ले जाना है और कौन सा सुप्रीम कोर्ट में अगर आपको लगता है सुप्रीम कोर्ट से कोई रियायत मिलेगी तो आप गलती पर हैं 

सिब्बल बुरी तरह भड़के हुए थे उस समय और कहा कि You talk about progressive judgements delivered by the Supreme Court but there is huge difference of what happens at the ground level. The Supreme Court gave judgement on privacy and ED officers come to your home… Where is your privacy?” ED के अधिकारियों का जजों के घर जाने का बहुत गंभीर आरोप लगाया था सिब्बल ने जबकि उसे पता है कौन कौन वकील जजों के घर जाते हैं?

सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट पर और भी ज्यादा गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ““sensitive cases” are assigned to only select judges and the legal fraternity usually knows beforehand what would be the outcome of the judgment”. सिब्बल को तकलीफ थी कि जकिया जाफरी की मोदी को फ़साने के उद्देश्य से दायर याचिका खारिज हो गई

आज वह सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के गलत निर्णयों के लिए भी उसके साथ खड़ा है और उपराष्ट्रपति धनखड़ पर आग उगल रहा है

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