अप्रैल 7 को उत्तर प्रदेश के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने एक छोटे से मामले में बिना दिमाग लगाए कह दिया कि राज्य में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने पुलिस द्वारा नोएडा कोर्ट में एक दीवानी मामले को आपराधिक केस में बदलने पर पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि “उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है”। जजों ने डीजीपी, केस के जांच अधिकारी और संबंधित थानाध्यक्ष को जवाब दाखिल करने को कहा है।
एक छोटे से केस पर योगी के राज में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त बता दिया - माफ़ कीजिए मीलॉर्ड ऐसी बात को कोई नशा करके ही कह सकता है। एक कहावत है -
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लेखक चर्चित YouTuber |
“बोल अमोलक बोल हैं, बोल सके तो बोल,
पहले भीतर तौल के, फिर मुख बाहर खोल”।
मीलॉर्ड, आप न्यायाधीश हैं कोई अखिलेश यादव की तरह नेता नहीं है जो आए दिन आरोप लगाते रहता है कि यूपी में कानून व्यवस्था ठप हो गई है।
मामला दो व्यक्तियों, देबू सिंह और दीपक सिंह का था जिनके पिता बलजीत सिंह ने शिकायतकर्ता से 25 लाख उधार लिए थे और बदले में पिता ने 25 लाख का चेक दिया था जो बाउंस हो गया। पुलिस ने बाद में पिता के साथ इन दोनों याचिकर्ताओं पर भी आपराधिक मामला दर्ज कर दिया। कोर्ट ने आपराधिक मामले पर रोक लगाते हुए कहा कि उनके खिलाफ चेक बाउंस का मामला चलता रहेगा। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ आपराधिक मामला खारिज करने की मांग खारिज कर दी थी।
NI Act के सेक्शन 138 के अनुसार यदि insufficient balance के कारण चेक बाउंस होता है तो वह एक दंडनीय अपराध है (Criminal Offence)। ऐसे में पुलिस को पहले ही ऐसा केस दर्ज कर देना चाहिए था और अगर अब आपराधिक केस बना दिया तो उनमें कुछ गलत नहीं किया गया।
लेकिन मीलॉर्ड ने एक छोटे से केस के लिए पूरे राज्य में कानून के शासन को पूरी तरह ध्वस्त कहते हुए दिमाग नहीं लगाया (It is an unwarranted sweeping statement on the administration of Chief Minister Yogi”).
पुलिस में दोष निकालते हुए मीलॉर्ड भूल गए कि अभी एक महीना पहले महाकुंभ में 50 हजार पुलिसकर्मियों ने दिन रात जान लगा कर आयोजन को सफल बनाया था। वह भी क्या बिना कानून के शासन के संभव था। आज उत्तर प्रदेश में माफिया और अपराधी भागते फिर रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट अपराधियों पर बुलडोज़र चलाने से रोक कर उनका जीवन रक्षण कर रहा है। योगी जैसा कानून का शासन आज तक उत्तर प्रदेश को नहीं मिला लेकिन लगता है योगी से सुप्रीम कोर्ट को कुछ खास घृणा है। असल में तो सुप्रीम कोर्ट में कानून का रक्षण नहीं भक्षण हो रहा है।
मीलॉर्ड को याद होगा मुख़्तार अंसारी के केस की सुनवाई करने की इलाहाबाद हाई कोर्ट के दर्जन भर जजों की हिम्मत नहीं हुई और जिसने उसे सजा देने के हिम्मत दिखाई आपने उसका ट्रांसफर कर दिया। आप क्या चाहते है यूपी में फिर से लूट और डकैती शुरू हो जाए, महिलाओं का अपहरण और बलात्कार हों, तभी कानून का शासन मानेंगे क्या आप?
मैं बस इतना याद दिलाना चाहता हूं, योगी चायवाला नहीं है, वो गाय वाला है और सांडों के सींग उखाड़ने का दम रखता है। भविष्य में वह ही प्रधानमंत्री बनेगा और वह कुछ भूलेगा नहीं।
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