क्या समाजवादी पार्टी ने आत्महत्या की ठान ली है? नेता बाज नहीं आ रहे सनातन विरोधी करतूतों से, अब विधायक सरोज बोले- देवी-देवताओं के मंदिर शक्तिहीन, गौरी और गजनवी से देश को नहीं बचा पाए


अहंकार में डूबे समाजवादी पार्टी के नेता अभी तक तो रामचरितमानस को बकवास ग्रंथ बताते थे, अब वे सीधे-सीधे सर्वशक्ति भगवान को ही चैलेंज, उन्हें शक्तिहीन बताने जैसे स्तर तक नीचे गिर रहे हैं। इन नेताओं के सुप्रीमो अखिलेश यादव रात के अंधेरे में ही सही, लेकिन कुंभ स्नान तो कर आते हैं, लेकिन अपने नेताओं की सनातन विरोधी बातों पर अंकुश लगाने के बजाए अपरोक्ष रूप से उनका समर्थन ही करते दिखते हैं। अभी सपा सांसद और विधायक की टिप्पणियों पर मचा बवाल ठंडा भी नहीं पड़ा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज ने मंदिरों की भूमिका और भगवान की शक्ति पर सवाल खड़ा करके नया बवाल मचा दिया है। सरोज ने कौशांबी के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भारत के मंदिर शक्तिहीन हैं। क्योंकि अगर उनमें ताकत होती तो मोहम्मद गोरी और महमूद गजनवी भारत पर हमला नहीं कर पाते।

ये सनातन विरोधी सच्चाई को समझने में गलती कर रहे हैं कि 'जहाँ खुदा वहीँ मंदिर निकला, मंदिरों का मलवा निकला, खंडित मूर्तियां निकली।' दबे हुए मंदिर, टूटे मंदिरों का मलवा और खंडित मूर्तियों ने बताना शुरू कर दिया है कि हम यहाँ हैं।  

अगर समाजवादी इसी तरह से सनातन पर प्रहार कर रहे, निश्चित रूप से कांग्रेस से पहले ही धूमिल हो जाएगी। कालचक्र बहुत तेजी से बदल रहा है जिसे मुस्लिम वोट के भूखे नेता और उनकी पार्टियां नहीं समझ रही।      

अगर मंदिरों में शक्ति होती तो ना आते गजनवी और गोरी

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मंझनपुर सीट से विधायक इंद्रजीत सरोज का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। आंबेडकर जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत के मंदिरों को शक्तिहीन बताया। इंद्रजीत सरोज ने कहा, अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती तो मोहम्मद गोरी व महमूद गजनवी ना आया होता और इस देश को लूटने का काम ना किया होता। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि अगर ताकत है तो सिर्फ जनता के मंदिर में। जहां बाबा अपना मंदिर छोड़कर जनता के मंदिर पर विराजमान हैं।
सनातन का विरोध करने वाला सरोज का वीडियो वायरल
सपा के मंझनपुर सीट से विधायक इंद्रजीत सरोज ने अपने तीन मिनट 15 सेकेंड के वीडियो में कहा कि जब रामायण, महाभारत, गीता और रामचरितमानस की रचना की गई, उस समय भारत में शूद्रों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। अगर आप पढ़ने की कोशिश करते तो आंखें फोड़ दी जाती। अगर आप सुनने की कोशिश करते तो शीसा पिघलाकर कान में डाल दिया जाता। अगर आप जीभ से उच्चारण करते तो जीभ काट ली जाती। यह व्यवस्था थी भारत में थी। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व के काल में शूद्रों को सार्वजनिक रास्तों में चलने की इजाजत नहीं थी। जो चलता था उसे गले में हंड़िया बांधना पड़ता था। उसी में थूकना पड़ता था। यह अगर किस्सा कहानी लग रही हो तो अभी एक पिक्चर जारी हुई है, महात्मा ज्योतिबा राव फूले की, उसे देख लेना। यही सारी व्यवस्थाओं के बारे में उसमें दिखाया गया है।
विधायक सरोज ने तुलसीदासजी के बारे में भी अभद्र टिप्पणी की
विधायक इंद्रजीत सरोज ने प्राचीन ग्रंथों में कथित जाति-आधारित भेदभाव के बारे में टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया है। इंद्रजीत सरोज ने तुलसीदास पर भी हमला किया और कहा कि तथाकथित ‘नकली हिंदुओं’ के खिलाफ इतना कुछ लिखा, लेकिन मुसलमानों के बारे में उन्होंने कुछ अच्छा या बुरा क्यों नहीं लिखा? उन्हें ऐसा करना चाहिए था। मुगल काल में उनमें हिम्मत नहीं थी। हमारे लिए उन्होंने बहुत सारी नकारात्मक बातें लिखीं और हम उन्हें पढ़ते रहते हैं। आंबेडकर जयंती पर समाजवादी पार्टी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सरोज ने मंदिरों की आध्यात्मिक शक्ति पर सवाल उठाया और आक्रमणकारियों के खिलाफ उनकी कथित कमजोर ताकत को इससे जोड़ा। उन्होंने कहा कि अगर भारत के मंदिरों में शक्ति होती, तो मुहम्मद-बिन-कासिम नहीं आता, महमूद गजनवी नहीं आता, मुहम्मद गौरी आकर इस देश को नहीं लूटता। इसका मतलब है कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं थी।
सपा नेता मौर्य ने भी रामचरितमानस को बताया था बकवास ग्रंथ
इससे पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के पवित्र ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा था कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। रामचरितमानस पर बिहार के मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद को बढ़ाया था। सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। लाखों-करोड़ों लोगों ने कभी रामचरितमानस को नहीं पढ़ा है। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
सपा और कांग्रेस कर रहे चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत चरितार्थ
सपा और कांग्रेस इस मामले में चोर-चोर मौसेरे भाई की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। सपा नेता इंद्रजीत सरोज के बयान का इंडी गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस के एक नेता विजय वडेट्टीवार ने बचाव किया है। उन्होंने कहा, ‘यह भी सच है कि अगर भगवान को राजनीति में लाया जाएगा तो वह मंदिरों में भी नहीं रहेंगे। आजकल भगवान को राजनीति में लाया जा रहा है। भगवान का स्थान मंदिरों से ज्यादा दिलों में होना चाहिए। उन्हें लोगों की आस्था में होना चाहिए, अब इसके साथ भी खिलवाड़ हो रहा है, फिर मंदिरों में भगवान कैसे मिलेंगे। विजय वडेट्टीवार ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि इंद्रजीत सरोज का क्या इरादा था। मैं भगवान की शक्तियों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन उनका नाम लेकर भ्रष्ट राजनीति करना भगवान की शक्तियों को कमजोर करने और अपनी शक्तियों को बढ़ाने का प्रयास है, यही आजकल राजनीति में हो रहा है।
देवी-देवताओं ने श्राप देकर आक्रांताओं को भस्म क्यों नहीं किया
समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के बाद अब सपा राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने हिन्दू-देवी देवताओं और मंदिरों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है जिसके बाद सियासत गरमा गई है। सपा नेता ने कहा कि जब मुस्लिम आक्रांता यहां लूटपाट कर रहे थे हमारे देवी-देवता क्या करते रहे, वो उन्हें श्राप दे सकते हैं। उनको भस्म कर सकते थे। लेकिन नहीं किया, इसका मतलब है कि उनमें कुछ कमी है। हमारे देवी देवता उतने ताकतवर नहीं थे। सपा नेता यही नहीं रुके, सपा महासचिव ने कहा कि “जब मोहम्मद बिन तुगलक इस देश में आया, विदेशी आक्रांता थे वो अरब से चलकर आए थे और लूट कर चले गए, महमूद गजनबी अफगानिस्तान से आया और सोमनाथ मंदिर में 17 बार लूटकर चला गया। पहला मुस्लिम शासक मोहम्मद गौरी था तो यहां के देवी-देवता या भगवान क्या करते रहे। उन्हें श्राप दे देना चाहिए था। मुसलमान अंधे हो जाते..भस्म हो जाते। लूले लंगड़े हो जाते अपाहिज हो जाते।
चुनाव हार कर दलबदलू हुए सपा विधायक इंद्रजीत सरोज
सपा विधायक इंद्रजीत सरोज ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और राजनीति में सक्रिय हो गए। अब विवादास्‍पद बयान के बाद इंद्रजीत सरोज सुर्खियों में आ गए हैं। इंद्रजीत सरोज का जन्‍म 1 जनवरी 1963 को कौशांबी के नगरेहा खुर्द गांव पश्‍चिम शरीरा में हुआ। उस समय यह अलग जिला न होकर इलाहाबाद जिले में ही आता था। 1985 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर यहीं पर वह सामाजिक व राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गए। सरोज ने बहुजन समाज पार्टी ज्‍वाइन की। वे बसपा से विधानसभा चुनाव लड़कर मंत्री भी रहे। 2017 के चुनाव में इंद्रजीत सरोज को मंझनपुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के लाल बहादुर ने उन्हें 4,160 वोटों से हराया। 2017 का चुनाव हारने के बाद इंद्रजीत सरोज ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मतभेद होने पर 2018 में बसपा छोड़ दी और समाजवादी का दामन थाम लिया। उन्होंने 2019 में कौशांबी लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के विनोद सोनकर से करीब 38,000 वोटों से हार गए। 2022 में वह एक बार फ‍िर सपा के टिकट पर मंझनपुर से विधायक बने और अब विधानसभा में सपा के उप नेता हैं।
अब इतिहास की बातों के कन्नी काटने लगे अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन भी पिछले दिनों चर्चाओं में बने रहे। राणा सांगा को लेकर दिए गए बयान की वजह से उनकी खूब आलोचना हो रही है। करणी सेना से लेकर क्षत्रिय समाज समेत ने संगठनों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इन्हीं सब विवाद के बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव का बड़ा बयान आ गया है। अखिलेश यादव ने पार्टी के नेताओं को इतिहास की बात ना करने की सलाह दी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि मैं पार्टी से यही कहूंगा कि कोई भी सवाल इतिहास से जुड़ा न किया जाए। क्योंकि इतिहास में हर तरह की बातें होती हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि अभी सुनने में आ रहा है कि लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं।
पहले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब को बनाया था हीरो
ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘छावा’ में औरंगजेब के किरदार से ज्यादा सुर्खियों में विपक्ष ने असली औरंगजेब को ला दिया है। जिस औरंगजेब के लिए उसके पिता शाहजहां ने कहा था कि खुदा ऐसा बेटा किसी को ना दे…उसी की शान में समाजवादी पार्टी और विपक्ष के नेता कसीदे पढ़ रहे हैं। औरंगजेब को हीरो बनाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी अपने बयान से मुकरने के बाद भी माफी ना मांगने की जिद पर अड़े हैं। इतना बवाल मचने के बाद भी वे औरंगजेब को सही ठहराने पर उतारू हैं और उसका समर्थन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव करने में लगे हैं। इस विरोध के बीच सूप तो सूप, चलनी भी बोलने लगी है। शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा ने कहा कि औरंगजेब को जिस हिसाब से पोर्ट्रे किया जा रहा है, वो वैसे नहीं थे। मैंने अपने वालिद से सुना और पुरानी किताबों में काफी पढ़ा है। औरंगजेब बुरे नहीं थे। उनके विपरीत चीजें दिखाई जा रही हैं। औरंगजेब को लेकर विपक्ष की इस घटिया वकालत का भाजपा नेताओं ने करारा जवाब दिया है। योगी आदित्यनाथ ने अबू आजमी का इलाज तक करने की बात कही है।
राहुल की औरंगजेब से तुलना पर भड़क गए सपा विधायक
महाराष्ट्र के सपा विधायक अबू आजमी विधानसभा से बाहर निकल रहे थे तो चलते-चलते एक रिपोर्टर ने सवाल किया कि असम के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी की तुलना औरंगजेब से की है। अबू आजमी ने जवाब दिया, ‘मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता। जो लोग दावा कर रहे हैं कि छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच हिंदू-मुसलमान की लड़ाई थी, वे झूठ बोल रहे हैं।’ आजमी ने यह भी कहा कि ‘हमें गलत इतिहास दिखाया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए हैं। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए लड़ाई थी। अगर कोई कहता है कि यह लड़ाई हिंदू और मुसलमान को लेकर थी, तो मैं इस पर विश्वास नहीं करता।’ आजमी के बयान पर बवाल मचा और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो अगले ही दिन अबू को कहना पड़ा, ‘मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया है। फिर भी मेरी बात से कोई आहत हुआ है तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं। मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज या किसी भी महापुरुष के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है।’
योगी बोले- शाहजहां ने कहा था औरंगजेब जैसा बेटा पैदा न हो
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा ये लोग (सपा) औरंगजेब को अपना आदर्श मान रहे हैं। उसे अपना हीरो बता रहे हैं। उसका पिता शाहजहां अपनी जीवनी में लिखता है- खुदा करे कि ऐसा कमबख्त किसी को पैदा न हो। उसने शाहजहां को आगरा के किले में कैद कर रखा था। एक-एक बूंद पानी के लिए तरसाया। जिसका आचरण औरंगजेब जैसा है, वही उस पर गौरव की अनुभूति करेगा। ये लोग भारत की आस्था पर प्रहार करने वाले क्रूर शासक औरंगजेब को अपना आदर्श मानते हैं। कोई मुसलमान भी अपने बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखता। भारत की आस्था को रौंदने वाले का महिमामंडन करने वाले सदस्य को सपा को बाहर निकाल देना चाहिए। उसे (अबू आजमी) यहां बुलाइए। उत्तर प्रदेश ऐसे लोगों का उपचार करने में देर नहीं करता।

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