चंद्रचूड़ के खिलाफ शिकायत तीस्ता सीतलवाड़ के लिए एक दिन में दो बेंच बना कर जमानत देने के लिए; शिकायत करने वाले रिटायर्ड जज का किस्सा मजेदार है; कैसे अपने लोगों को बचाते है मीलॉर्ड

सुभाष चन्द्र

पटना हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस राकेश कुमार ने राष्ट्रपति को तत्कालीन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के खिलाफ तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के मामले में अतिसक्रियता का आरोप लगाते हुए शिकायत की है। उन्होंने कहा है कि चंद्रचूड़ ने कोर्ट में न होते हुए भी एक दिन दिन में 2 बेंचों का गठन किया और सीतलवाड़ की जमानत हो गई। यह शिकायत उन्होंने 8 नवंबर 2024 को भेजी थी और चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हुए और शिकायत में जस्टिस राकेश कुमार ने CBI जांच की मांग की है

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लेकिन यह शिकायत आज 5 महीने बाद प्रिंट मीडिया में आई है जिससे लगता है जस्टिस राकेश कुमार इसे आगे बढ़ा रहे हैं और वो चुप नहीं बैठे। मीडिया में आने के बाद आज खबर है कि Law & Justice मंत्रालय ने उनकी शिकायत DOPT को उचित कार्रवाई के लिए भेजी है

अब जस्टिस राकेश कुमार का किस्सा सुनो। अगस्त 2019 में उन्होंने पटना हाई कोर्ट के जज रहते हुए हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला सुनाया था। उसके बाद विवाद बढ़ने पर पहले उनसे हाई कोर्ट का काम वापस लिया गया और 2 महीने बाद उनका तबादला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में कर दिया गया

एक IAS अधिकारी KP Ramaiah ने महादलित विकास निगम में CEO रहते हुए 5 करोड़ का घपला किया था और उनकी जमानत अर्जी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने खारिज कर दी थी लेकिन फिर भी उसे vigilance court के vacation judge ने जमानत दी दी जबकि नियमित जज छुट्टी पर था

मामले की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस राकेश कुमार ने District Judge को जांच करने को कहा और अपनी रिपोर्ट 4 सप्ताह में देने के आदेश दिए। उन्होंने DJ को पता करने के लिए कहा कि क्या नियमित जज (regular judge) किसी Genuine cause के लिए छुट्टी पर थे या किसी calculated way में छुट्टी पर थे और उनके द्वारा दिए गए पिछले 6 महीनों के फैसलों का भी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा

 

जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायपालिका पर भी गंभीर टिप्पणियां की। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में जब भी Lower Judiciary के जजों के भ्रष्टाचार के मुक़दमे आए, तब मेरे विरोध के बावजूद उन्हें हल्की फुल्की सजा देकर छोड़ दिया गया

जस्टिस राकेश कुमार ने अपने आदेश में यह भी कहा कि taxpayers’ का पैसा जजों के घरों और बंगलों की Renovation और furnishing पर खर्च किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके आदेश की प्रति CJI, प्रधानमंत्री और Law Ministry को भेजी जाए

पटना हाई कोर्ट के जजों के दिलों में तो जैसे आग लग गई। जस्टिस राकेश कुमार का फैसला single judge का फैसला था जिस पर Double Bench भी रोक लगा सकती थी लेकिन आश्चर्य की बात थी कि उनके आदेश पर विचार के लिए 11 जजों की बेंच बैठी जिसने उनके फैसले पर रोक लगा दी, उनसे काम छीन लिया गया और फिर 2 महीने बाद ट्रांसफर कर दिया गया

यह है न्यायपालिका का मर्यादाहीन आचरण। अपने खिलाफ किसी की कोई बात सुनना ही नहीं चाहते और इसलिए ही जस्टिस यशवंत वर्मा के घपले को बर्फ में लगाने की कोशिश की गई

Judicial Fraternity पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए चाहे कोई जज कितना भी उचित निर्णय लेने की हिम्मत क्यों न करे। लोकपाल को भी जांच से इसलिए ही रोक रहे हैं कि कहीं हाई कोर्ट के जज सच में न नप जाएं। चंद्रचूड़ के खिलाफ CBI जांच की अनुमति भी चीफ जस्टिस से लेनी होगी जो वो देगा नहीं

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