याद कीजिए जुलाई, 2023 में मणिपुर में एक किस्सा हुआ था जिसमें आरोप था कि दो लड़कियों को वस्त्रहीन कर सड़क पर परेड कराई गई। तत्कालीन चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का पारा आसमान पर चढ़ गया और 20 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट से सीधे मोदी को धमकी दी कि अगर सरकार कुछ नहीं करेगी तो हम कार्रवाई करेंगे -
![]() |
लेखक चर्चित YouTuber |
वो 4 मई का वीडियो था जो जुलाई में संसद सत्र शुरू होते ही सामने लाया गया। यानी उकसावे के लिए बाहर निकाला गया जिसे 2 महीने छुपा कर रखा गया। मणिपुर में 3 मई से ही इम्फाल में बहुसंख्यक मैती और पहाड़ों पर बसे कुकी समुदायों की बीच हिंसा चल रही थी जिसमे तब तक 160 लोग मारे जा चुके थे। वो हिंसा राजनीतिक थी और सुनियोजित थी लेकिन चंद्रचूड़ अपनी ही राजनीति खेल गए।
सुप्रीम कोर्ट के दोहरे रवैये ने सुप्रीम कोर्ट ही संदेह के घेरे में आ गया है। जितना महत्व सुप्रीम कोर्ट कट्टरपंथियों और उनको समर्थन दे रहे वकीलों पर देती है उतना महत्व हिन्दुओं के उत्पीड़न पर क्यों नहीं देती? क्या इस दोहरे मापदंड से न्याय हो सकता है? आधी रात को जेहादियों की फांसी रुकवाने के कोर्ट खोल दी जाती है, क्यों? इस्लामिक किताबों को पढ़े बिना या सच्चाई को अनदेखा कर नूपुर शर्मा पर टिप्पणी कर दी जाती है, क्यों? दूसरे, जिस वक़्फ़ के जिस मुद्दे को लेकर हिन्दू सुप्रीम कोर्ट जाता है उसे हाई कोर्ट जाने के लिए कह दिया जाता है, लेकिन जब उसी मुद्दे को लेकर कट्टरपंथी जाता है उस पर सुनवाई की जाती है, क्यों? क्यों नहीं उन्हें भी हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया? ये कोई बहुत गहरा षड़यंत्र है, जिसकी जाँच बहुत जरुरी है। वैसे एक जस्टिस के घर नोटों का अम्बार अपने आप में सबसे बड़ा सबूत है। केंद्र सरकार को खुलकर सुप्रीम कोर्ट के इस दोहरे मापदंड पर सुप्रीम कोर्ट पर महामहिम से सख्त कार्यवाही करवानी चाहिए।
13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया और तब से दोनों समुदायों के बीच कोई खास हिंसा सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी 22 मार्च, 25 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की टीम मणिपुर के चूड़चंदरपुर के दौरे पर गई और विस्थापित लोगों से मुलाकात की। टीम के सदस्य थे जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, एमएम सुंदरेश, के के विश्वनाथन और एन कोटीश्वर सिंह जो मैती समुदाय से संबंध रखते हैं।इसलिए कोटीश्वर सिंह कुकी बहुल चूड़चंदरपुर नहीं गए क्योंकि वहां के वकीलों ने उनके आने पर आपत्ति जताई थी। वो विरोध कुकी समुदाय का ही रहा होगा। अब आप समझ सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का मान सम्मान भी कुकी समुदाय ने ख़ाक मिला दिया। जबकि विपक्ष लगातार मोदी को मणिपुर जाने के लिए उकसाता रहा क्योंकि वहां उनकी हत्या की पूरी तैयारी थी, ऐसा मुझे लगता है वरना विपक्ष क्यों इतना जोर देता मोदी के जाने को लेकर।
यह मामला तो मणिपुर का था जहां दो महिलाओं के साथ हुई अभद्रता ने सुप्रीम कोर्ट को हिला दिया लेकिन अब बंगाल को देख लीजिए जहां हिंदुओं के प्रति बर्बरता की सभी सीमाएं पार कर दी गई। उनकी महिलाओं का बलात्कार किया गया क्योंकि मुस्लिमों के निशाने पर सबसे पहले निशाने पर हिंदू महिलाएं ही होती है। कई वीडियो ऐसे देखे जिनमें मुस्लिम दंगाई हिंदू महिलाओं से कह रहे हैं कि अपना सिंदूर पौंछ दो, पति को छोड़ दो, हमसे बलात्कार करा लो, हम तुम्हे और तुम्हारे परिवारों को छोड़ देंगे। सैंकड़ो लोग पलायन कर गए।
इन महिलाओं का दर्द सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना या किसी भी जज को दिखाई नहीं दिया। और सुप्रीम कोर्ट की किसी टीम ने मुर्शिदाबाद या अन्य दंगाग्रस्त क्षेत्रों में जाने की जहमत नहीं उठाई। शायद ये दर्द हिंदुओं का है, केवल इसलिए मौन हैं।
ममता बनर्जी कह रही है कि वह उचित समय पर वहां जाएगी और गवर्नर समेत सभी राजनीतिक दलों से अभी दंगाग्रस्त इलाकों में जाने से मना किया। शायद इसलिए कि पीड़ित लोग वहां की सच्चाई सामने न ले आएं। ममता ने यह भी कहा है कि अब हालात सामान्य हो रहे हैं और विस्थापित लोग वापस घरों को लौट रहे हैं। इसका मतलब वह मान रही है कि हिंदुओं को पलायन करना पड़ा था।
मणिपुर की दो महिलाओं से भी भयंकर पीड़ा बंगाल में महिलाओं को दी गई। मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने कहा था कि this is not acceptable in democracy, ठीक कहा लेकिन फिर जो बंगाल में हुआ वह कैसे acceptable है? आपको क्या सच में लगता है कि ममता सरकार राज्य को “कानून का शासन” दे रही है? 2 मई 2022 से 3 दिन तक हिंदुओं पर तांडव हुआ था पर सुप्रीम कोर्ट चुप था।
सुप्रीम कोर्ट अपना दोहरा मापदंड बंद करे। मैं फिर कहता हूं समय रहते सुधर जाओ वरना कुदरत सुधार देगी और फिर बड़ी तकलीफ होगी।
No comments:
Post a Comment