इज़रायल ने 200 जेट्स से ईरान पर हमला किया; ईरान के 3 वरिष्ठ अधिकारी और 6 एटॉमिक वैज्ञानिक मार दिए; इज़रायल का विपक्ष नेतन्याहू से कोई सबूत नहीं मांग रहा; वहां Deep State के हाथों बिकाऊ विपक्ष नहीं

सुभाष चन्द्र

इज़रायल ने जून 12 की देर रात ईरान के बड़े बड़े सैनिक ठिकानों, नतांज में न्यूक्लियर प्लांट, परमाणु वैज्ञानिक और बैलिस्टिक मिसाइल फैसिलिटी पर हमला किया। हमले के बाद उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने ये भी कहा है कि जब तक आवश्यकता महसूस होगी, ऑपरेशन राइजिंग लॉयन चलता रहेगा......

ट्रंप को धन्यवाद क्यों दिया, ये तो नेतन्याहू ही जाने, अलबत्ता अमेरिका ने साफ़ कर दिया है कि यह हमला इज़रायल ने अकेले ही किया और अमेरिका इसमें शामिल नहीं है।  

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इज़रायल का हमला इतना भीषण था कि Islamic Revolutionary Guard Corps (IRGC) के चीफ Major General Hossein Salami जो सीधे Supreme Leader Ayatollah Ali Khamenei को रिपोर्ट करते थे; ईरान आर्मी के चीफ Major General Mohammad Bagheri और खामनेई के करीबी Ali Shamkhani सभी मारे गए और यह ईरान के लिए बहुत बड़ा झटका है। इसके अलावा 6 परमाणु वैज्ञानिक भी मारे गए। ईरान ने खुद कहा है कि इज़रायली हमले में  78 लोग मारे गए और 329  घायल हुए हैं

एक तो ईरान ने पहले से ही हमास, हिज़्बुल्ला और हाउती को इज़रायल के खिलाफ खड़ा करके और खुद उस पर विगत में हमले करके झगड़ा मोल लिया हुआ है  ईरान ऐसे आतंकी संगठनों के साथ मिलकर इज़रायल का अस्तित्व ही मिटा देना चाहता है इज़रायल को मिटाने के लिए, इस्लामिक देशों का खलीफा बनने के लिए और अमेरिका को सीधी चुनौती देने के लिए ही ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम चला रहा है

अमेरिका ईरान पर दबाव बना रहा है अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने के लिए या अमेरिका से बातचीत करने के लिए लेकिन ईरान इसके लिए राजी नहीं है। इसलिए इज़रायल हमला करने की हो सकता है ईरान की कोई मंशा रही हो लेकिन उसके पहले ही इज़रायल ने pre-emtive स्ट्राइक कर दी। जैसे भारत ने कहा है Operation Sindoor जारी रहेगा, वैसे ही इज़रायल ने कहा है उसका यह Operation Rising Lion जारी रहेगा जिसका मतलब है, यह युद्ध अब जल्दी ख़त्म नहीं होने वाला

ईरान को पता है डोनाल्ड ट्रंप उससे खिलाफ इस्लामिक देशों को अपनी तरफ खींच रहा है जिनमें शामिल हैं सऊदी अरब, सीरिया, UAE कतर जबकि इज़रायल तो उसके साथ है ही। इज़रायल ने हमास, हिज़्बुल्ला की कमर तो पहले ही तोड़ दी है अभी हाउती बचा है। पाकिस्तान इज़रायल का भी धुर विरोधी है और ईरान का भी और अमेरिका अब पाकिस्तान को सेक रहा है

इतना लाड़ बिखेर रहा है ट्रंप पाकिस्तान पर कि उसके Failed Field Marshal असिम मुनीर को अमेरिका की आर्मी डे परेड में आमंत्रित कर दिया। यह सीधा भारत को चिढ़ाने वाली बात है। लेकिन विरोध की उठती आवाज़ के चलते अपना फैसला वापस ले लिया।   

और हमें विपक्ष को सरकार के खिलाफ एक मोर्चा देने की बात है। अमेरिका यह भी तब कर रहा है जब पाकिस्तान के नेता अमेरिका पर आरोप लगा रहे है कि उसने ही 70 वर्ष से पाकिस्तान को आतंकवाद की तरफ धकेला है। यह अपने आपमें बहुत बड़ा रहस्योघाटन है। पाकिस्तान द्वारा यह बोलने से आतंकवाद के लिए अमेरिका को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। शायद यही वजह है कि पाकिस्तान अमेरिका को अपना आका मानता रहा है। 

लेकिन एक बात पर गौर कीजिए कि कोई भी विपक्षी दल नेतन्याहू से हमास के खिलाफ डेढ़ साल से चल रहे युद्ध के बारे में और ईरान पर किए गए हमले और उसमे मारे गए बड़े नेताओं के बारे में सबूत नहीं मांग रहे। इसका मतलब है इज़रायल में कोई राहुल गांधी, अखिलेश या ममता नहीं हैं, ये प्रजाति बस भारतीय राजनीति में मिलती हैं

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