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क्या बांग्लादेश Operation Save Hindus, Hindu Sanskriti चाहता है? |
जब कोई भीड़ किसी कवि के घर पर हमला करती है, तो वह केवल ईंट-पत्थर को नुकसान नहीं पहुंचाती। वह स्मृति पर हमला करती है, पहचान को चुनौती देती है और सहिष्णुता को खामोश करने की कोशिश करती है। 8 जून को यही हुआ बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में। जहां रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक आवास रवींद्र कचहरीबाड़ी पर उन्मादी भीड़ ने हमला बोला और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का क्षतिग्रस्त घरइस घटना के बाद भारत सरकार ने बेहद सख्त तेवर अपनाते हुए बांग्लादेश की यूनुस सरकार को साफ शब्दों में चेताया—“कट्टरपंथियों को अब लगाम दो, नहीं तो इसके अंजाम गंभीर हो सकते हैं।”
भारत की चेतावनी क्यों मायने रखती है?
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान जारी कर कहा: यह हमला गुरुदेव टैगोर की समावेशी विचारधारा और सांस्कृतिक विरासत पर एक संगठित प्रहार है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अब कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों।
बांग्लादेश में रबीन्द्रनाथ टैगोर के घर में हुई तोड़फोड़ को लेकर भारत ने लताड़ लगाई है। भारत ने बांग्लादेश को इस मामले में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। विदेश मंत्रालय ने इसे रबीन्द्रनाथ टैगोर की स्मृति का अपमान करार दिया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार (12 जून, 2025) को इस घटना पर बयान दिया। उन्होंने कहा, “हम 8 जून 2025 को रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर भीड़ द्वारा किए गए घृणित हमले और तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं।”
इसके साथ ही उन्होंने इस हिंसक कृत्य को नोबेल पुरस्कार विजेता की स्मृति और समावेशी दर्शन का अपमान बताया। विदेश मंत्रालय देश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को इस घटना में शामिल चरमपंथी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है।
गौरतलब है कि मंगलवार (10 जून, 2025) को 50-60 लोगों की भीड़ ने रवींद्र कचहरी बाड़ी में घुसकर तोड़फोड़ की, जिसमें एक संग्रहालय भी शामिल है। इतना ही नहीं सभागार और संरक्षक कार्यालय में तोड़फोड़ की गई, जिससे ऐतिहासिक इमारत को काफी नुकसान पहुंचा है।
टैगोर—जिन्हें भारत ही नहीं, बांग्लादेश भी अपना मानता है
रवींद्रनाथ टैगोर कोई साधारण लेखक नहीं थे। वे पहले एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता, भारत के राष्ट्रगान के रचयिता और बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान “आमार सोनार बांग्ला” के रचनाकार भी थे। यानी टैगोर दोनों देशों की आत्मा में बसे हुए हैं। लेकिन जब उन्हीं की विरासत पर हमला होता है तो उसका असर सिर्फ दीवारों पर नहीं देशों के रिश्तों पर भी होता है।
हमला कैसे हुआ?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना पार्किंग विवाद से शुरू हुई थी। लेकिन जल्दी ही हालात बिगड़े और भीड़ ने टैगोर के स्मृति स्थल पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में ‘घृणित नारे’ और हिंसक व्यवहार साफ नजर आया।
टैगोर का घर सिर्फ एक मकान नहीं
‘रवींद्र कचहरीबाड़ी’ वह जगह है जहां टैगोर ने ना सिर्फ अपना समय बिताया बल्कि कई कालजयी रचनाएं भी लिखीं। यह स्थान एक तरह से भारत और बांग्लादेश की साझा चेतना का स्मारक है। इसलिए जब यहां हमला होता है, तो भारत सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता—वह अपनी सांस्कृतिक चेतना की रक्षा करता है।
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