जल्द ही भारत की कच्चे तेल के लिए निर्भरता विदेशों पर खत्म हो सकती है। भारत के खुद के पास भविष्य में इतना तेल हो सकता है कि वह अपनी जरूर पूरी करने के साथ ही विदेशों को भी बेचे। यह संभावनाएँ पेट्रोलियम मामलों के केन्द्रीय मंत्री के एक बयान से पैदा हुई हैं।
द न्यू इंडियन से बात करते हुए केन्द्रीय पेट्रोलियम मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अंडमान निकोबार में चल रही तेल की खोज जल्द ही पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा है कि अंडमान में मिलने वाला तेल भण्डार गुयाना जितना हो सकता है। उनके इस बयान के बाद कयास तेज हो गए हैं।
हरदीप सिंह पुरी ने इस इंटरव्यू में कहा, “जब मैंने कृष्णा गोदावरी बेसिन के बारे में यह बयान दिया, तो उस समय, यह एक जगह थी। अब हमें ग्रीन शूट, तेल और कई अन्य स्थान मिले हैं। और मुझे लगता है कि यह केवल समय की बात है इससे पहले कि हम अंडमान सागर में एक बड़ा गुयाना जैसा तेल का भण्डार पाएँगे। इस पर अभी काम चल रहा है।”
अंडमान में क्यों हो रही खोज?
अंडमान निकोबार में सरकारी तेल कम्पनियाँ ONGC और OIL तेल की खोज में लगे हुए हैं। ONGC ने मई , 2024 अंडमान के इलाकों में कुँए खोदने चालू किए थे। अंडमान में 500 से अधिक तेल के कुँए अब तक ONGC खोद चुकी है। मंत्री हरदीप सिंह पुरी का मानना है कि यहाँ जल्द ही तेल मिलेगा।
उन्होंने यह भी बताया है कि यदि यहाँ तेल का भण्डार मिला तो भारत की अर्थव्यवस्था को 5 से 6 गुना का लाभ मिलने वाला है। अंडमान का इलाका भारत के साथ ही म्यांमार और इंडोनेशिया में भी फैला हुआ है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह दोनों देश यहाँ से तेल पा चुके हैं और इसका लाभ भी उठा रहे हैं।
भारत को यहाँ पहले कुछ जगहों पर गैस मिल भी चुकी है। इंडोनेशिया को भी बड़े गैस भण्डार मिले हैं। अंडमान में गैस के 610 मिलियन टन भण्डार होने की बात लगातार चलती आई है। ऐसे में भारत को यहाँ सफलता मिल सकती है। अंडमान में खोज का सबसे बड़ा कारण लगातार छोटे-छोटे भण्डार मिलने रहना है, जिससे लगातार आशा बनी हुई है।
गुयाना से क्यों की गई तुलना?
दक्षिण अमेरिका में स्थित देश गुयाना की भी इस तरह से किस्मत बदली है। पहले काफी गरीब माने जाने वाले देश में गुयाना में 2015 में तेल की खोज हुई थी। इसके बाद से लगातार यहाँ तेल के कुँए मिल रहे हैं। यहाँ 11 बिलियन बैरल कच्चा तेल मिल चुका है।
गुयाना की सरकार को इससे आगे 15 वर्षों तक 100 बिलियन डॉलर (₹8.5 लाख करोड़) की कमाई होने की संभावना है। यह कमाई तब होगी जब यहाँ मिले तेल से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा विदेशी कम्पनियाँ ले जाती हैं।
गुयाना में तेल की खोज के चलते लोगों का भाग्य बदल गया है। गुयाना बीते लगभग 2 वर्षों से 33% की GDP वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है। यहाँ प्रति व्यक्ति आय भी तेजी से बढ़ी है। यह 2020 में $7000 से 2020 में $28000 पहुँच गई है। तेल का इसमें बड़ा योगदान है। गुयाना को नए क़तर की संज्ञा दी जा रही है।
भारत को अगर गुयाना जितना ही तेल अंडमान में मिल जाए तो उसे लगभग एक दशक तक बाहर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
कितनी होगी बचत?
भारत की 80% तेल की जरूरतें विदेशों से आने वाले कच्चे तेल से पूरी होती हैं। वित्त वर्ष 2025 में ही भारत को 137 बिलियन डॉलर (₹10 लाख करोड़ से अधिक) का खर्च तेल आयात के लिए करना पड़ा था। यदि अंडमान में गुयाना जितना भी तेल मिले तो भारत को यह पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा।
ऐसे में भारत को पाँच वर्षों में ₹50 लाख करोड़ से अधिक की बचत होगी। यह पैसा देश में रहने से अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और साथ ही हमारा व्यापार घाटा भी कम करेगा। ऐसे में केन्द्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं।
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