यूक्रेन के रूस पर हमले ने KGB को विफल साबित किया; लगता है इस हमले का आभास ट्रंप को पहले से था

 (#5% आबादी की कौम अल्पसंख्यक हो)

सुभाष चन्द्र
यूक्रेन ने जिस तरह रूस के एयरबेस उड़ाए और 40 से ज्यादा फाइटर जेट्स बर्बाद किए, वह रूस के लिए बहुत बड़ा झटका है। यूक्रेन ने अपने ड्रोन ट्रकों में लाद कर रूसी सीमा में अंदर तक भेज कर 4000 किलोमीटर तक मार की, उससे लगता है रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी विफल साबित हुई

यूक्रेन का दावा है कि इस हमले की तैयारी वह 18 महीने से कर रहा था लेकिन रूस को इसकी भनक तक नहीं लगी

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चर्चित YouTuber 
चार दिन पहले ट्रंप ने कहा था कि पुतिन आग से खेल रहे हैं जिस पर रूस ने जवाब दिया था कि अमेरिका को वास्तविकता का पता नहीं है और तीसरे विश्व युद्ध की भी धमकी दे दी थी ट्रंप के  बयान से माना जा सकता है कि उसे कल यूक्रेन के हमले के बारे में आभास था जेलेंस्की ने शांति वार्ता के एक दिन पहले रूस पर प्रहार किया जिससे पता चलता है कि जेलेंस्की शांति चाहता ही नहीं है 

जैसाकि चर्चा है कि जिस तरह पाकिस्तान की मिट्टी में भी आतंकवादी पैदा होते हैं, ठीक उसी तरह अमेरिका से किसी भी तरह दोस्ती पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई और भारत और पाकिस्तान के लड़ाई में अमेरिका की बहरूपिया रंग देखा जा सकता है। अमेरिका को सिर्फ अपने हथियार बेचने से मतलब है। लेकिन क्या यूक्रेन को उकसाकर अमेरिका ने पुतिन को परमाणु इस्तेमाल करने के लिए मजबूर कर दिया है? मीडिया में भी कल से यही चर्चा बहुत गर्म है। इतने भारी नुकसान पर पुतिन आसानी से चुप बैठने वाला भी नहीं। बदला लेगा जो शायद बहुत भयंकर हो सकता है। देखना है अमेरिका यानि ट्रम्प यूक्रैन को कब तक और कितना साथ देता है।    

चीन ने कहा है कि रूस यूक्रेन युद्ध के लिए अमेरिका जिम्मेदार है हो सकता है यह बात सत्य भी हो क्योंकि अमेरिका ने ही जेलेंस्की के दिमाग में फितूर डाला था कि उसे NATO में शामिल किया जा सकता है जो पुतिन को पसंद नहीं था 3 साल के युद्ध के बाद भी यूक्रेन को NATO में शामिल नहीं किया गया लेकिन अमेरिका और यूरोप के देश जिसमें अधिकांश NATO सदस्य हैं, यूक्रेन को हथियार देते रहे अमेरिका समेत ये सभी यूरोपीय देश रूस के साथ Proxy War लड़ रहे हैं जिसके लिए अमेरिका समेत सभी ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा कर उसे आर्थिक तौर पर तोड़ने की कुटिल चाल चली 

जेलेंस्की ने हमला तो कर दिया लेकिन उसे पता है पुतिन शांत बैठने वाला नहीं है इसलिए आज की शांति वार्ता से पहले ही जेलेंस्की ने ट्रंप से गुहार लगाई कि अगर शांति वार्ता विफल होती है तो रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं ऐसे प्रतिबंध लगा कर युद्ध को एकतरफा करने की कोशिश माना जाएगा क्योंकि प्रतिबंध से Level Playing Field तो ख़त्म हो गया अमेरिका और यूरोप को Proxy War लड़नी भी थी तो रूस पर प्रतिबंध लगाए बिना लड़ते 

जेलेंस्की को मोहरा बना कर ये सभी देश रूस को खोखला करने में लगे हैं जेलेंस्की को युद्ध से आखिर क्या मिला, उसके 12 लाख लोग देश छोड़ कर दूसरे देशों में शरणार्थी बन गए, 5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और यूक्रेन के अनेक शहर खंडहर बन गए उधर रूस का भी कम नुकसान नहीं हुआ, उसके भी लाखों लोग और सैनिक मारे गए लेकिन अंततः युद्ध एक नाक की लड़ाई बन कर रह गया है

रूस के साथ जेलेंस्की को आगे करके Proxy War लड़ने से बेहतर था यूक्रेन को NATO में शामिल कर लेते और NATO के 32 देश एक साथ रूस के साथ लड़ने की हिम्मत करते लेकिन सच यह है कि ऐसा करके NATO को विश्व युद्ध छिड़ने का खतरा था जो अभी भी बना हुआ है

यूक्रेन ने रूस पर हमला तो कर दिया लेकिन अब उसे रूस के प्रतिकार के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि पुतिन भी हार कर बैठने वाला नहीं है वो कैसा और कब यूकेन पर भीषण और विध्वंसक हमला करेगा, कोई नहीं जानता

ट्रंप ने खेल खेला जो घर बुला कर जेलेंस्की को जलील भी किया और फिर उसके साथ यूक्रेन के खनिजों का भी समझौता कर लिया जबकि हथियार तो पहले से ही उसके बिक रहे हैं 

एक तरफ रूस की केजीबी विफल हुई तो दूसरी तरफ इज़रायल की MOSAD और अमेरिकी CIA भी विफल रही जो डेढ़ साल में इज़रायल के बंधकों का पता नहीं लगा सके जबकि पूरा गाज़ा इज़रायल ने खोद डाला 

रूस और यूक्रेन दोनों को युद्ध से कुछ नहीं मिलेगा दोनों ने ही अमेरिका और यूरोप के कुचक्र में फंसकर अपने अपने देशों को बर्बाद कर लिया और आगे कितनी बर्बादी होती है, कोई नहीं जानता 

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