जब से भारत में जाति आधारित पार्टियों की बाढ़ आयी है दंगों की भी बाढ़ आयी हुई है। क्या इन जाति आधारित पार्टियों के अध्यक्षों को सफेदपोशी गुंडा कहा जाए तो कोई अतिशियोक्ति नहीं? चुनाव आयोग भी इस ऐसी पार्टियों की हरकतों पर चुप्पी साधे हुए है। काश!(TNSheshan) टी एन शेषन(भूतपूर्व चुनाव आयुक्त) वर्तमान में चुनाव आयुक्त होते। क्योकि जो निर्णय लेने में शेषन सक्षम थे उतनी शक्ति किसी भी आयुक्त में दिखाई नहीं देती। उनकी सख्ती से हर पार्टी के पाजामे गीले हो जाते थे। शिवसेना तत्कालीन अध्यक्ष बालासाहेब ठाकरे ने जब राष्ट्रपति पद को उन्हें उम्मीदवार बनाया किसी ने समर्थन नहीं किया था। चुनावों में गलत एफेडेविट दिए जा रहे हैं चुनाव आयोग विषय सामने आने पर चुप रहता है। इन गंभीर मुद्दों पर केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग को गंभीरता से लेने की जरुरत है। मुफ्त रेवड़ियों के लालच में वोट देने वाली जनता भी किसी दोषी से कम नहीं।
पुलिस के अनुसार जून 29 को प्रयागराज में दंगे भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद के अपने कार्यकर्ताओं को उकसाने की वजह से हुए। चंद्रशेखर के इशारे पर उसके लड़कों ने तांडव कर अनेक संपत्तियों को आग लगा दी, गाड़ियां फूंक दी और जगह जगह तोड़फोड़ की। आधा दर्जन से अधिक बसों, पुलिस की चार गाड़ियों समेत अन्य चार वाहनों पर पथराव कर क्षतिग्रस्त कर दिया।
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लेखक चर्चित YouTuber |
दरअसल इसौटा गांव के रहने वाले कथित दलित देवीशंकर की 13 अप्रैल को आग से झुलसकर मौत हो गई थी लेकिन आरोप लगाया गया कि उसे upper caste के लोगों ने जलाकर मार डाला गया। तहसील प्रशासन ने मृतक के स्वजनों को जमीन का पट्टा, सरकार से आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया था। लेकिन इधर कुछ दिन पहले भीम आर्मी के स्थानीय नेताओं ने कहा कि मृतक के स्वजनों को कोई सहायता नहीं दी गई है।
कल चंद्रशेखर रावन देवीशंकर के परिजनों से मिलने जाना चाहता था लेकिन सर्किट हाउस में ही उसे नज़रबंद कर दिया गया जिससे कानून व्यवस्था न बिगड़े लेकिन उसके चेले चपाटों ने तो तांडव मचा दिया और अब सुना है योगी की पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर 40 को गिरफ्तार कर लिया है जिन पर NSA लगा दिया है। और इन दंगाइयों के आका चंद्रशेखर ने भी उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया है।
अब आलम यह है कि जिन लड़कों को हिंसा की आग में झोंक दिया उनके फ़ोन भी नहीं उठा रहा चंद्रशेखर यानी उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया।
लेकिन ये कहानी कुछ और भी हो सकती है। इंदौर की रहने वाली पढाई के लिए जो स्विट्ज़रलैंड गई थी, डॉ रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उसने कहा कि स्विट्ज़रलैंड में पढाई के दौरान वो चंद्रशेखर के संपर्क में आई और 3 साल उसके साथ रेलशनशिप में रही, चंद्रशेखर अपने को कुंवारा बताता था और मुझसे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाता रहा।(नीचे दिए लिंक में पढ़ा जा सकता है) ऐसा वो अन्य लड़कियों के साथ भी करता था जबकि वो विक्टिम नंबर 3 थी। उसने राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज की है और पिछले सोमवार 23 जून को आयोग ने केस दर्ज कर लिया है। क्या यह दंगा उस आरोप से ध्यान भटकाने के लिए है?
डॉ रोहिणी घावरी ने यह भी कहा कि एक 12 साल के बेटी को चंद्रशेखर ट्रेन से अपने घर ले आया और शोषण किया और फिर अपने भाई से शादी करा दी लेकिन वह बाद में भाग गई। वो मुझे भी क्राइम पार्टनर बनाना चाहता था लेकिन वह उसके झांसे में नहीं आई।
इसके अलावा भी एक खबर के अनुसार सहारनपुर की हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा ने भी चंद्रशेखर पर यौन शोषण और जान से मारने की धमकी देने के आरोप लगाए हुए हैं जिनकी जांच चल रही है।
कल प्रयागराज में बलवा कहीं डॉ रोहिणी घावरी के मामले से ध्यान भटकाने के लिए तो नहीं किया गया, वैसे तो चंद्रशेखर का विवादों से नाता बहुत पुराना है लेकिन डॉ रोहिणी का मामला गंभीर मोड़ ले सकता है। अगर लोक सभा इसका संज्ञान लेकर गंभीरता से कार्यवाही करे?
अवलोकन करें:-
कई दलों की आदत बन चुकी है कि अपनी सोच के अनुसार राजनीति के लिए अपने कार्यकर्ताओं को दंगों में उलझा देते है और जब पुलिस उन्हें अंदर कर देती है तो ये नेता भाग लेते हैं। उधर अखिलेश के यादवों और ब्राह्मणों में झगड़े में दंगे हो गए और अनेक लोग गिरफ्तार हो गए जो खुद ही भुगतेंगे पर कोई उन्हें बचाने नहीं आएगा। किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को दंगे करने से पहले 50 बार सोच लेना चाहिए। आजकल CCTV से पहचान हो जाती है जहां भी लगे हो और फिर संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी सरकार करने के लिए ऐसी तैसी कर देती है।
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