इस्लामिक धर्मातरण और जेहादी हरकतों के लिए हमारी अदालतें और पिछली सरकारें जिम्मेदार ; ‘छांगुर’ रहे ना रहे चलना चाहिए इस्लामी धर्मांतरण का काम…क्या ‘शिजर-ए-तैयबा’ किताब छपवाने का ये था मकसद: ATS रिपोर्ट में खुलासा- जलालुद्दीन कव्वाली सुनाकर करता था ब्रेनवॉश, खतने के लिए डॉक्टर भी तैयार थे

   किताब की तस्वीर (बाएँ), धर्मांतरण का साजिशकर्ता जलालुद्दीन छांगुर पीर (दाएँ), (फोटो साभार : FB_AMP News)
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण की बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ, जिसमें जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर मुख्य आरोपित है। जाँच एजेंसियों का मानना है कि यह एक बड़ा धर्मांतरण गैंग है। इसका मकसद हिंदुओं का ब्रेनवॉश करके उनका धर्म परिवर्तन करना और उनके नाम पर अवैध जमीन करना था।

इस केस को दोबारा खोलने की जरुरत है 
ATS और ED छांगुर पीर के बताए ठिकानों पर लगातार छानबीन कर रही है। इसी कड़ी में ATS को ‘शिजर-ए-तैयबा’ नाम की किताब मिली है, जिसमें छांगुर पीर के सभी काले-चिट्ठे शामिल है। यह किताब धर्मांतरण की पूरी थ्योरी बयान कर रही है।
दरअसल, कांग्रेस सरकारों ने देश को आत्मसम्मान कम और विवाद ज्यादा देकर जनता को उनमे उलझाए लगा।  जिसमे साथ हमारी अदालतों ने भी दिया। सबूत मिलने के बावजूद सरकारी दबाव में फैसले कुछ और दिए जाते हैं। क्यों? सबूत छुपाने के आरोप सिद्ध होने पर अदालतों ने वकीलों के खिलाफ कार्यवाही क्यों करती?
शिया वक्फ बोर्ड पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सच्चाई जानने की बजाए रिज़वी पर जुर्माना ठोक दिया। जहाँ अदालतों में सच्चाई को सामने लाने में दिक्कत हो उस अदालत से न्याय की कैसे उम्मीद की जा सकती? अक्ल से पैदल जस्टिस ने अगर 31 जुलाई 1986 को दिए तीस हज़ारी कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट Z S Lohat के साहसिक फैसले का ही संज्ञान ले लिया होता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत के फैसले का संज्ञान लेने में नाक कटने का डर था शायद। 
लगता है हमारी अदालतें ढोंगी सेक्युलरिस्ट्स के चुंगल में फंसी हुई है। अयोध्या में रामजन्मभूमि मन्दिर कितने सालों तक न्याय के लिए चिल्ला रहा था लेकिन अदालतें झूठे बयानों पर तारीख पर तारीख देकर विवाद को जीवित रखे रहीं। कभी कोर्ट ने यह पूछने की हिम्मत नहीं कि कि आखिर किस आधार पर राम को काल्पनिक बता रहे हो? किस आधार पर रामसेतू को काल्पनिक बताया जा रहा है? अगर राम और रामसेतू काल्पनिक हैं फिर किस आधार पर नवरात्रों पर रामलीला मंचन होने और दशहरे पर राम मंचन स्थलों पर क्यों जाते हो? इतना ही नहीं अगर राम काल्पनिक है तो क्यों दशहरे की क्यों सरकारी छुट्टी घोषित की? यही स्थिति अन्य धार्मिक स्थलों की भी है।

  
दूसरे, अभी दिल्ली हाई कोर्ट ने कन्हैया लाल की हत्या पर निर्मित फिल्म पर किस आधार पर स्टे लगाया? क्या हाई कोर्ट सच्चाई सामने आने नहीं देना चाहती? चलो माना अगर फिल्म के प्रदर्शन से शांति भंग होने का डर था तो कन्हैया के कातिलों को अब तक क्यों नहीं फांसी हुई? क्यों तारीख पर तारीख दी जा रही है? क्या तारीख पर तारीख देकर सद्भावना हो रही है या साम्प्रदायिकता को पाला-पोसा जा रहा है? क्या नूपुर शर्मा के खिलाफ हंगामा करने वालों से किसी कोर्ट ने यह पूछने की हिम्मत की कि जो नूपुर ने कहा है वह इस्लामिक किताबों में लिखा है या नहीं, अगर लिखा हुआ है फिर विवादित क्यों? दूसरे नूपुर को उस बात को क्यों कहना पड़ा? क्यों नहीं तस्लीम रहमानी के खिलाफ आवाज़ उठाई जो शिव लिंग पर विवादित बयानबाज़ी कर रहा था? क्या वह उचित था?                

निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट और कपिल सिबल जैसे वकीलों को इन किताबों को भेंट दें 
हिन्दुओं के खिलाफ चल रही इस साज़िश पर सारे मुल्ला, मौलवी, तथाकथित इस्लामिक स्कॉलर और INDI गठबंधन में ख़ामोशी क्यों? इस साज़िश का मुंह कुचलने के लिए सारे हिन्दू संगठनों को गूगल से अनवर शेख की पुस्तकें अगर नहीं मिल पाएं तो अली सीना की Understanding Mohammad And Muslim का वितरण करना चाहिए। जिस दिन हिन्दू संगठनों ने इस शुभ काम को करना शुरू किया सारे हिन्दू विरोधी सड़क आकर चील-कौओं की चीखते हुए बाहर निकल आएंगे। अली का कहना है कि इस किताब को पढ़कर मुसलमान इस्लाम छोड़ रहे हैं बल्कि मेरा मानना है कि अनवर शेख को पढ़ इस्लाम छोड़ रहे हैं। शायद यही वजह की अब तक एक्स-मुस्लिम की आबादी लगभग 15/16 हो चुकी। 
 
जिस दिन हिन्दू संस्थाओं और शांतिप्रिय मुसलमानों ने घर-घर इन पुस्तकों का वितरण शुरू कर दिया और अगर 10,000 मुसलमानों ने भी इन किताबों को पढ़ लिया देश की दिशा और दशा में जबरदस्त बदलाव आना शुरू होगा। कोई सनातन के खिलाफ बोलना तो दूर कोई फतवा देने से पहले हज़ार बार सोंचेंगा। "सिर तन से जुदा गैंग" के खिलाफ मुसलमान ही सड़क पर आकर इनको जल्दी से जल्दी से फांसी की मांग करते सड़क पर होगा।    

सलमान रुश्दी की The Satanic Verses के खिलाफ फतवा देने वाला अयातुल्ला खोमैनी भी अनवर शेख द्वारा किताबें लिखने पर खामोश रहे। इतना ही नहीं जितने भी इस्लामिक स्कॉलर थे सबकी बोलती बंद थी। गौरतलब बात यह है कि इस्लामिक धर्मांतरण में हमारी अदालतें और पिछली सरकारें दोषी हैं। दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट Z S Lohat कुरान की 24 आयतों के खिलाफ 31 जुलाई 1986 को फैसला देने की हिम्मत कर सकते हैं लेकिन Calcutta High Court में दर्ज 124 आयतों के खिलाफ सबूतों के होते हुए क्यों नहीं फैसला दे पाए इसे जानने के लिए The Quran Petition को पढ़ना ही नहीं देशहित में इस केस को दोबारा खोलना होगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी का कार्यकाल था और हिन्दू अयोध्या में रामजन्मभूमि का ताला खुलने की ख़ुशी मना रहा था। अगर जस्टिस जीवित हो उनसे पूछा जाये आखिर किस दबाब में उचित फैसला क्यों नहीं दिया? 

‘शिजर-ए-तैयबा’ किताब मिली

न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी ATS को छांगुर पीर के ठिकाने से एक अहम किताब मिली है। इस किताब का नाम ‘शिजर-ए-तैयबा’ है। ATS का मानना है कि यह किताब लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल की जा रही थी।

यह किताब खुद छांगुर पीर ने छपवाई थी। इस किताब का मकसद लोगों का ब्रेनवॉश करना था। किताब में ऐसे लोगों का जिक्र किया गया है, जो इस्लाम के लिए अपनी जान दे सकते हैं। किताब में यह भी बताया गया है कि कैसे युवाओं को इस्लाम की तरफ आकर्षित किया जाए। यह किताब विदेशी पैसों से छपी थी।

रिपोर्ट बताती है कि किताब सोशल नेटवर्किंग और धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए युवाओं तक पहुँचाई जाती थी, जिससे वे धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित होते जाए। इस किताब को छपवाने का मकसद ये भी था, कि छांगुर पीर ने ना होने पर उसका गैंग इसके माध्यम से धर्मांतरण का काम जारी रखें।

‘किताब’ नहीं ‘हथियार’ है

पुलिस और ATS ‘शिजर-ए-तैयबा‘ नाम की किताब की गहराई से जाँच कर रही है। उनका मानना है कि यह कोई सामान्य धार्मिक किताब नहीं है। बल्कि, यह एक खतरनाक हथियार है।

इस किताब का इस्तेमाल लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण के लिए किया गया। ATS अब यह पता लगा रही है कि इस किताब की कितनी कॉपियाँ बनाई गईं। यह किताबें किन-किन लोगों तक पहुँचीं और कहाँ-कहाँ भेजी गईं।

जाँच एजेंसियों का मानना है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। इसका मकसद सुनियोजित तरीके से लोगों का धर्मांतरण कराना और कट्टरपंथी सोच फैलाना था।

त्रिशुल और कव्वाली से किया जाता था धर्मांतरण

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और ED छांगुर पीर के साथियों के बैंक खातों की जाँच कर रही हैं। छांगुर पीर के 4 करीबी दोस्त पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) के जिलों में अवैध तरीके से लोगों का धर्म बदलवाते थे।

यह लोग मजार (दरगाह) जैसी जगहों पर त्रिशूल लगाते थे और कव्वाली गाते थे। ऐसा करने से ये लोगों को इस्लाम की तरफ आकर्षित करते थे और हिंदू धर्म की मान्यताओं को गलत बताते थे। उनका मकसद लोगों को लालच देकर धर्म बदलवाना था।

लड़कियों को ‘प्रोजेक्ट’ कहने का कोडवर्ड

जानकारी के अनुसार, जाँच में खुलासा हुआ कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर अपने साथियों से बात करने के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था। वह गरीब, विधवा और प्रेमजाल में फँसी हिंदू लड़कियों को बहला-फुसलाकर निशाना बनाता था। इन लड़कियों को कोडवर्ड में ‘प्रोजेक्ट‘ कहा जाता था।

धर्मांतरण को ‘मिट्टी पलटना‘ और मानसिक रूप से प्रभावित करने या ब्रेनवॉश करने को ‘काजल करना‘ कहा जाता था। छांगुर पीर से मिलवाने के लिए ‘दर्शन‘ शब्द का इस्तेमाल होता था।

डॉक्टर्स करते खतना

आजतक की रिपोर्ट में एक पीड़िता ने खुलासा किया है कि छांगुर पीर के गैंग के 30-40 लोग अभी भी बाहर हैं। वे बरेली और आजमगढ़ में धर्मांतरण का नेटवर्क चला रहे हैं।

इस गैंग में कई प्रभावशाली लोग और डॉक्टर भी शामिल हैं। कुछ डॉक्टर हिंदुओं का धर्म बदलकर उनका खतना भी करते थे। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही है।

पीड़िता का खुलासा

बलरामपुर में छांगुर पीर नाम का एक व्यक्ति था। वह एक बड़ी दरगाह चलाता था। छांगुर पीर ने दावा किया था, “मैं इतना ताकतवर हूँ कि मुझे कोई छू नहीं सकता।”
जनजातीय महिला ने बयान दिया कि वह एक दिन महबूब की दुकान से कपड़े लेकर आई थी। कपड़े फटे थे और वह उन्हें बदलवाने के लिए दुकान गई। महिला को वहाँ से महबूब के घर जाने के लिए कहा गया।
महिला जब घर पहुँची तो उसे वहाँ छांगुर पीर, नीतू और महबूब था। महिला ने कपड़े वापस करवाने के लिए महबूब को बुलाने को कहा। नीतू उर्फ नसरीन ने महबूब को बुलाया और खुद छांगुर पीर के साथ नीचे चली गई।
महिला ने बताया कि महबूब और नदीम मुझे पकड़कर कमरे में ले गए और मेरे साथ रेप किया। इसकी शिकायत जब मैंने छांगुर पीर से कही तो उसने कहा ‘इसमें गलत क्या है?’
फिर छांगुर पीर ने कहा कि इस्लाम कबूल कर लो, यहाँ तुम्हें पैसा, आराम शोहरत सब कुछ मिलेगा। महिला ने छांगुर पीर की बात नहीं मानी। फिर छांगुर पीर ने कहा कि जाओ, हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, ‘मैं इतना ताकतवर हूँ कि मुझे कोई छू नहीं सकता।’
पीड़ित महिला की पुकार जब स्थानीय पुलिस ने नहीं सुनी तो वे कुछ समय बाद लखनऊ गई, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया। पीड़िता का कहना है कि इन्हें फाँसी हो जाए।
मामले में, यूपी ATS का कहना है कि छांगुर पीर धर्मांतरण का एक बड़ा रैकेट चला रहा था। यह रैकेट ₹100 करोड़ से ज़्यादा का है। इसे खाड़ी देशों से पैसा मिलता था।
यह रैकेट गरीब, दलित और विधवा हिंदू महिलाओं को निशाना बनाता था। वह लालच और धमकी देकर उनका धर्म बदलवाता था।

छांगुर पीर का धर्मांतरण मामला

बलरामपुर में एक बड़े अवैध धर्मांतरण नेटवर्क को चलाने वाला जमालुद्दीन उर्फ छांगुर पीर (जिसे हाजी पीर जलालुद्दीन, पीर बाबा या हजरत बाबा भी कहा जाता है) पुलिस की गिरफ्त में हैं। छांगुर पीर पर हिंदू लड़कियों, गरीब और असहाय लोगों को बहला-फुसलाकर जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप है।
छांगुर पीर का नेटवर्क खाड़ी देशों से ₹100 करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग प्राप्त करता था। इस फंडिंग से धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजमा देता था। गैंग के पास 40 से अधिक बैंक खाते थे, जिनमें बड़े पैमाने पर लेनदेन होता था।
छांगुर पीर इन पैसों से लग्जरी गाड़ियाँ, बंगले और अन्य संपत्तियाँ खरीदता था। गैंग जाति के आधार पर धर्मांतरण के लिए पैसा देता था। गैंग में शामिल मुस्लिम युवक हिंदू पहचान बताकर युवतियों को प्रेमजाल में फँसाते और उनका ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण करवाते।
छांगुर पीर के साथ नीतू रोहरा उर्फ नसरीन भी पुलिस की गिरफ्त में है। ATS ने बताया कि पूरा नेटवर्क भारत में फैला है। इस गैंग के 14 अन्य सदस्य फरार हैं, जिनकी तलाश में टीमें जुटी हुई हैं।
फिलहाल छांगुर पीर की अवैध ठिकानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है और उसके खिलाफ ATS, पुलिस और ED समेत कई एजेंसियाँ जाँच कर रही हैं।
अवलोकन करें:-
 
मीलॉर्ड और हिन्दू विरोधी कपिल सिबल जवाब दो कन्हैया लाल की हत्या से क्या मोहब्बत के फूल बरसे थे?
छांगुर पीर का मामला केवल धर्मांतरण का नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित आपराधिक गैंग का है। विदेशी फंडिंग और ‘शिजर-ए-तैयबा’ जैसी सामग्री का उपयोग करते हुए, यह रैकेट ‘लव जिहाद’ और लालच के माध्यम से कमजोर वर्गों (खासकर हिंदुओं) को निशाना बना रहा था। एटीएस और ईडी की लगातार कार्रवाई इस गहरी साजिश की परतों को खोल रही है।

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