Colgate again: मोदीराज में अडानी ने किया 29 हजार करोड़ का कोयला आयत घोटाला

Image result for मोदी राज में कोयला घोटालास्वामी विवेकानन्द का एक कथन है "उपदेशक नहीं बल्कि उसके उपदेश को मानो", आज भारत की राजनीती में चरितार्थ होने को लालायित है। आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल जो अपनी "hit and run" नीति के कारण बदनाम है, लेकिन जब वह प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी पर अम्बानी और अडानी की गिरफ्त में होने का आरोप लगाते हैं, आखिर कुछ तो सच्चाई है।
कांग्रेस राज में हुए घोटालों में एक था, कोयला घोटाला, जिस पर बहुत शोर हुआ था। लेकिन अब मोदी सरकार में वही कोयला घोटाला उजागर हो रहा है। राफेल में हुए कथाकथित घोटाले से मुक्ति मिली नहीं कि एक और घोटाला सामने आया है, और वह घोटाला भी छोटा मोटा नही है पूरे 29 हज़ार करोड़ का घोटाला है। छत्तीसगढ़ को अडानी के हाथों बेच दिया गया है ढाई हजार मिलियन टन क्षमता वाले छह कोल ब्लॉक को नीलाम न करके तीन भाजपा शासित राज्यों की सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों को आवंटित कर दिया गया है।

कांग्रेस का दावा: मोदीराज में अडानी ने किया 29 हजार करोड़ का कोयला आयत घोटाला

कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी ने कोयला आयत में 29 हज़ार करोड़ का घोटाला किया है। पार्टी ने दावा किया कि उसके पास इस घोटाले के पुख्ता सबूत मौजूद हैं।
एक प्रेस कांफ्रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि इस बारे में एक पत्र के जवाब में सिंगापुर से एसबीआई ब्रांच का जवाब दिया गया कि सिंगापुर के कानून के मुताबिक यह दस्तावेज किसी को नहीं दिए जा सकते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि आखिर जब भारतीय कंपनी और भारतीय बैंक के बीच इस घोटाले को अंजाम दिया गया, तो कैसे मामले को सिंगापुर के कानून के तहत देखा जा रहा है।
जयराम रमेश ने कहा कि बीते तीन साल के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी तीन बार सिंगापुर गए लेकिन जांच को आगे बढ़ाने के लिए यह दस्तावेज सिगापुर से नहीं लाया जा सका।
इस दौरान अडानी समूह के गौतम अडानी सिंगापुर की अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए गुहार लगाते हैं कि मामले से जुड़े दस्तावेज भारत सरकार को न दिए जाएं जिसके बाद कुछ महीनों तक सिंगापुर हाईकोर्ट ने सुनवाई की लेकिन डेढ़ महीने पहले गौतम अडानी की याचिका को खारिज कर दिया। जब अडानी सिंगापुर हाईकोर्ट में हार गये तो ये स्वाभाविक है कि डीआरआई को कोयला आयात घोटाले से जुड़े दस्तावेज मिलने चाहिए।
मुंबई हाई कोर्ट में दायर की है याचिका
कांग्रेस नेता ने बताया कि अब अडानी मुंबई हाईकोर्ट में याचिका में गुहार लगाई है कि डीआरआई के लेटर रोगेटरी को मंजूरी न दी जाए। इस मामले में मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि केन्द्र सरकार को किसी बड़े वकील को नियुक्त करते हुए हाईकोर्ट में अडानी की याचिका का विरोध करना चाहिए जिससे 29,000 करोड़ रुपये के उस घोटाले से पर्दा उठाया जा सके।
कई जांच हो चुकी हैं प्रभावित
कांग्रेस नेता का आरोप है कि अडानी समूह पीएम नरेन्द्र मोदी से अपनी नजदीकी के चलते कई जांच को प्रभावित करने का काम कर चुके हैं। पिछले दो तीन साल में जब कहीं अडानी कंपनी के बारे में जांच शुरू हुई तो केन्द्र सरकार ने जल्द से जल्द उस जांच को बंद करा दिया है।
उन्होंने कहा कि पॉवर उपकरण के आयात का पहला मामला डीआरआई की एक नोटिस से सामने आया। इस मामले में डीआरआई ने लगभग 6600 करोड़ के घोटाला की बात कही थी। 2014 में डीआरआई ने कहा कि जिस मूल्य पर पावर उपकरण का आयात होना चाहिए था उससे 6600 करोड़ रुपये अधिक दिया गया लेकिन यह मामला बंद कर दिया गया।

Modi ने DRI में किया 29 हजार करोड़ का कोयला घोटाला। कांग्रेस ने दिए सबूतों से BJP की हालत पतली

by News Reaction TV   2 weeks ago
कहने को कोल ब्लॉक्स कागजों में तो सार्वजनिक क्षेत्र वाली कंपनियों के हैं, लेकिन उनकी असली संपत्ति एक निजी कंपनी अडानी को माइन डेवलप एंड ऑपरेट (एमडीओ) नियुक्त करके सौंप दी गई है।
इसका मतलब यह है कि प्रदेश में कुल 88 मिलियन टन प्रति वर्ष कोयला निकालने का काम या तो अडानी के पास पहुंच चुका है या फिर इसकी तैयारी अंतिम चरणों में है।
उदाहरण पतुरिया गिधमुड़ी कोल ब्लॉक भैया थान पॉवर प्रोजेक्ट के लिए आवंटित किया गया है। यह पॉवर प्रोजेक्ट इंडिया बुल्स के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ सरकार को बनाना था लेकिन यह परियोजना शुरु ही नहीं हो सकी और इंडिया बुल्स वापस चली गई। लेकिन इस कोल ब्लॉक से कोयला निकालने की तैयारी हो रही है जब परियोजना ही नहीं है तो फिर कोयला क्यों निकाला जाएगा ? किसके लिए निकाला जाएगा ? छत्तीसगढ़ सरकार कोयला व्यापारी तो है नहीं तो फिर यह मोदीजी के इशारे पर अडानी को उपकृत करने के अलावा और क्या है ? और इन्हीं आधार पर अडानी कह रहे हैं कि कि अगले दशक में उनका कोयला उत्पादन 150 मिलियन टन हो जाएगा।
अवलोकन करें:--
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जिन खदानों से जुड़े हुए कोल ब्लॉक में हिंडाल्को 3500 रु प्रति टन कोयला निकाल रही हैं वही अडानी को मात्र 100 रु प्रति टन में ठेका दिया गया है कहने को तो यह आरोप कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष भूपेश पटेल लगा रहे है लेकिन स्वतंत्र स्त्रोतों से भी इसकी पुष्टि होती है कि किस तरह से सरकारी अधिसूचनाओ में मनमाने परिवर्तन करा कर अडानी किस तरह से कोयले को खुले बाजार में बेच कर अरबो खरबो के मुनाफे का खेल खेलने को तैयार बैठे है।
दिन रात 2 जी स्कैम ,राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, कोल ब्लॉक में भ्रष्टाचार आदि घोटाले की राग रागनियों को गा कर जो लोग सत्ता में आये थे वो ही आज नया कोयला घोटाला करने से बाज नही आ रहे है।
पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस आदि पर दाम बढ़ने पर भाजपा खूब शोर मचाती थी, लेकिन आज उसी भाजपा के राज में इन्ही चीजों के दाम आसमान छूने को लालायित हैं। इसके पीछे  गहरी राजनीती है। चुनाव में धन लगाने वाले कारोबारियों को धन संचय करवाया जा रहा है, जो चुनाव घोषित होने पर इन्ही चीजों के दाम कल्पना के विपरीत ऐसे गिरने शुरू हो जाएँगे। जो मतदान तिथि आने तक उम्मीद से अधिक नीचे आ जायेंगे और जनता इस समय हुई वृद्धि को भूल, पुनः भाजपा को वोट देने के लिए विवश हो जायेंगे।
और जहाँ तक घोटालों की बात है, वह तो थमने का नाम नहीं ले रहे। उधर मध्य प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने व्यापम घोटाले को पुनः जीवित कर दिया है। 
व्यापम घोटाले में बढ़ सकती है शिवराज की बढ़ी मुश्किलें, दिग्विजय ने ठोका मुकदमा
मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश से जुड़े और लम्बे समय तक विवादों में घिरे व्यापमं घोटाला मामले में अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ सकती है।  मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में इस मामले में  विशेष न्यायालय में एक मुकदमा दर्ज करवाया है। 
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सितम्बर 19 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समेत कई अन्य अधिकारीयों पर व्यापमं कांड से जुडी एक एक्सेल शीट में फेरबदल करने का आरोप लगते हुए विशेष न्यायालय में एक मुकदमा दर्ज करवाया है। इस मुक़दमे में उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और कई अन्य  पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक 27,000 हजार पन्नों का परिवाद दायर किया है। 
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष न्यायालय ने इससे जुडी सुनवाई के 22 सितंबर 2018 की तिथि नियत की है। इसके साथ ही  विशेष न्यायालय पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को सामन भेज कर कहा है कि वे इस तिथि से पहले न्यायालय में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज करे। आपको बता दें कि इस विशेष न्यायलय का गठन व्यापम घोटाले से जुड़े  मामलों के लिए ही किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई  विशेष न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश सिंह द्वारा की जायेगी। 

   

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