मन्‍नान वानी की मौत पर AMU में कश्मीरी छात्रों ने लगाए आजादी के नारे

Mannan Wani
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के पीएचडी स्कॉलर रहे मन्‍नान वानी जो बाद में हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी बन गया था उसको कुपवाड़ा में सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया है। इसके बाद से AMU में पढ़ रहे कुछ कश्मीरी छात्र बेहद परेशान हैं और बताया जा रहा है कि कैंपस में आजादी के नारे भी लगाए गए हैं।
इस मामले में कुछ कश्मीरी छात्रों ने जनाजे की नमाज पढ़ने का भी प्रयास किया था हालांकि नमाज पढ़ने से पहले ही उन्हें रोक दिया गया था। बताया जा रहा है कि नमाज़ पढ़ने से रोकने व मन्नान वानी की मौत से क्षुब्ध कश्मीरी छात्रों ने आजादी के नारे लगाए। एएमयू कैम्पस में आजादी के नारे लगने से हड़कंप मच गया।
इन छात्रों के खिलाफ राजद्रोह, दंगा और धमकी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है। बताया जा रहा है कि ये कश्मीरी छात्र इतना उग्र थे कि उनको रोकने वालों के संग उन्होंने धक्कामुक्की के साथ गालीगलौज भी किया। कैंपस में शोक सभा आयोजित करने के मामले में एचआरडी मिनिस्ट्री ने एएमयू प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। 
एएमयू के शोध छात्र से आतंकी बने मन्नान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर के दर्जनों छात्रों ने कैनेडी हॉल में नमाज-ए-जनाजा पढ़ने का प्रयास किया था। हालांकि प्रॉक्टोरियल टीम एवं सीनियर छात्रों की सूझबूझ एवं विरोध के कारण कश्मीरी छात्र नमाज-ए-जनाजा पढ़ने में कामयाब नहीं हुए। इस क्रम में कश्मीरी छात्रों ने नारेबाजी एवं प्रॉक्टोरियल टीम के साथ बदतमीजी की थी।
एएमयू प्रशासन द्वारा इस मामले में तीन छात्रों को निलंबित करने एवं चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का बयान दिया गया था, लेकिन बाद में एएमयू प्रशासन को अपनी गलती का अहसास हुआ।
Human Resource Development Ministry has asked Aligarh Muslim University for a report on the mourning incident in AMU campus over the death of terrorist who was shot dead yesterday during Handwara encounter in .
विश्‍वविद्यालय प्रशासन इस मामले में 3 छात्रों  वसीम अयूब मलिक, पीएचडी छात्र (शोपियां, जम्मू-कश्मीर) और अब्दुल हसीब मीर, पीएचडी छात्र (हंदवाड़ा, कुपवाड़ा, जम्मू-कश्मीर) को पहले ही निलंबित कर चुका है। अब तक नौ छात्रों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दो को निलंबित करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। छात्रों को 48 घंटे में नोटिस का जवाब देना है। इसके अतिरिक्त डिप्टी प्रॉक्टर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। सीसीटीवी एवं अन्य साक्ष्य देखकर कमेटी को यह तय करना है कि नमाज-ए-जनाजा एवं हंगामा में कौन-कौन छात्र शामिल थे। 
इन छात्रों को कारण बताओ नोटिस 
जिन छात्रों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है उनमें वसीम अयूब मलिक, पीएचडी छात्र (शोपियां, जम्मू-कश्मीर), अब्दुल हसीब मीर, पीएचडी छात्र (हंदवाड़ा, कुपवाड़ा, जम्मू-कश्मीर), पीरजादा दानिश शाबिर, बीएससी छात्र (कुलगाम, जम्मू-कश्मीर),  ऐयाज अहमद भट्ट, एमएससी छात्र (अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर), मो. सुल्तान खान, एमफिल छात्र (मानसबाल, गंडरबाल, श्रीनगर जम्मू-कश्मीर), रकीब सुल्तान बीएससी छात्र (बारामुला, जम्मू-कश्मीर), समीउल्ला रॉथर बीएससी छात्र (कुलगाम, जम्मू-कश्मीर), शौकत अहमद लोन (बुडगाम, जम्मू-कश्मीर) एवं पीरजादा महबुबुल हक, बीए छात्र (ड्रगमुला, जम्मू-कश्मीर) हैं।
मन्‍नान वानी को सुरक्षा बलों ने अक्टूबर 11 को जम्मू एवं कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मार गिराया था। वह एएमयू से पीएचडी कर रहा था, लेकिन जनवरी के बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।
इस बीच हथियारों के साथ उसकी तस्‍वीरें सामने आई थीं, जिसके बाद इसका अंदेशा जताया गया कि वह जम्‍मू एवं कश्‍मीर में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने मन्‍नान वानी को निष्‍कासित कर दिया था।
मन्‍नान वानी के मारे जाने के बाद AMU कैंपस में कुछ छात्र विरोध जताने के लिए एकजुट हुए थे। बताया जाता है कि यहां करीब 15 छात्र शोकसभा के लिए जुटे थे। हालांकि इस मामले में त्‍वरित कार्रवाई करते हुए विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने 3 छात्रों को निलंबित कर दिया, जबकि 4 अन्‍य को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया।
इन पर शोकसभा के लिए जुटने वाले छात्रों को मदद देने का आरोप है। प्रशासन इन छात्रों के एकेडमिक रिकॉर्ड खंगाल रहा है। विश्‍वविद्यालय ने साफ कर दिया है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में किसी भी तरह की राष्‍ट्रविरोधी गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
ऐसी बात नहीं है कि अलीगढ विश्वविद्यालय में ऐसा पहली बार हुआ हो। विश्वविद्यालय के इतिहास के अवलोकन करने की जरुरत है। कश्मीर मुद्दे से पूर्व इसी विश्वविद्यालय में पाकिस्तान के पक्ष में प्रदर्शन आदि होते रहते थे। भारत विरोधी नारों के पोस्टर परिसर में चिपकाये जाते थे। डेस्क कार्य के अतिरिक्त, लेखन शुरू किया था। बात 1986/87 की है, एक प्रादेशिक दैनिक में अलीगढ विश्वविद्यालय में चल रही भारत विरोधी गतिविधियों से सम्बन्धित प्रकाशित समाचार को अपने अल्पज्ञान के आधार पर विस्तार से लिखा ही था कि ऑफिस में अचानक गृह मंत्रालय के एक अधिकारी आये और रिपोर्ट को देख, तुरन्त चाय पीकर रिपोर्ट लेकर चले गए। उस रिपोर्ट की मंत्रालय ने तुरन्त पुष्टि करने उपरान्त सख्त कार्यवाही करने उपरान्त सम्पादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया के पास कार्यवाही की सूचना ही नहीं दी, उच्च अधिकारीयों के साथ सम्पादक जी के साथ-साथ मुझे भी एक होटल में भोजन के आमन्त्रित किया था। यानि मेरी आयु के वरिष्ठ पत्रकार एवं नेता, चाहे वह किसी भी पार्टी से सम्बंधित हों, अलीगढ विश्वविद्यालय में होती भारत विरोधी गतिविधियों से अच्छी तरह परिचित होंगे। 

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