कोलकाता एयरपोर्ट के रनवे पर मस्जिद का क्या काम?

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि देश के सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डों में से एक कोलकाता एयरपोर्ट के रनवे के किनारे एक मस्जिद बनी हुई है। कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण और विस्तार का काम इन दिनों चल रहा है, लेकिन मस्जिद के कारण इसमें रुकावट पैदा हो गई है। मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने ट्विटर के जरिए इस मसले को उठाया है और कहा है कि यह मस्जिद हटाई जानी चाहिए। उन्होंने लिखा है कि “अब जब सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है तो फिर यह मस्जिद हटाने का रास्ता साफ हो गया है। एयरपोर्ट के आधिकारियों को रनवे पर बनी इस अवैध मस्जिद को हटाने के लिए फौरन कार्रवाई करनी चाहिए।” तथागत रॉय का ये ट्वीट आप नीचे देख सकते हैं। हवाई अड्डे के प्रशासन ने मस्जिद को हटाने के लिए कई बार बंगाल की ममता और लेफ्ट सरकारों से मदद मांगी है, लेकिन उन्होंने सहयोग करने से इनकार कर दिया।
Now that Hon’ble Supreme Court has ruled mosques are not essential for offering of Namaz,Airports Authority must take immediate steps for relocation of the sparingly-used mosque from inside NSCBI Airport Kolkata which is holding up the extension of a runway and is a security risk— Tathagata Roy (@tathagata2) September 28, 2018
तथागत रॉय का ट्वीट
एयरपोर्ट के विस्तार में रुकावट
कोलकाता एयरपोर्ट के अंदर उत्तरी छोर पर बनी ये गौरीपुर जामा मस्जिद कभी मामूली दरगाह जैसी जगह हुआ करती थी। शुरू में इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ साल में ही यह इतनी बड़ी हो गई कि अब इससे हवाई अड्डे और यहां की उड़ानों की सुरक्षा को भी खतरा पैदा होने लगा है। यह मस्जिद हवाई अड्डे के सेकेंडरी रनवे के रास्ते में आ रही है। इसके कारण इसका विस्तार अटक गया है। ऐसी हालत में एयरपोर्ट पर सिर्फ प्राइमरी रनवे से काम चलाना पड़ रहा है। फ्लाइट्स की संख्या बढ़ने के कारण सेकेंडरी रनवे के विस्तार की जरूरत समझी जा रही है, ताकि इस पर बड़े प्लेन भी उतारे जा सकें। मस्जिद हटाने से इस रनवे को 800 से 900 मीटर तक आगे बढ़ाया जा सकेगा।  एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) के अधिकारियों ने इस बारे में कई बार मस्जिद के मौलवियों से बात की कि वो मस्जिद को एयरपोर्ट परिसर के बाहर या किसी किनारे के इलाके में शिफ्ट कर दें, लेकिन वो इसके लिए कतई राजी नहीं हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि मस्जिद के मौलवी की नजर आसपास की खाली जमीन पर भी है। ये जमीन घेरकर नमाज पढ़ने में इस्तेमाल करने की तैयारी है। मस्जिद उत्तरी छोर से सिर्फ 280 मीटर की दूरी पर है। जो कि उड़ान सुरक्षा के नियमों का सरासर उल्लंघन है। इस मस्जिद का एक दरवाजा एयरपोर्ट के बाहर मेन रोड पर भी जाता है। बीते कुछ साल में इसके किनारे 10 फीट ऊंची दिवार भी बना दी गई है। 
अब प्रश्न यह है कि एयरपोर्ट जहाँ बिना जाँच के कोई प्रवेश नहीं कर सकता, मस्जिद कैसे बन गयी? चलो, तुष्टिकरण पुजारियों ने बनवा दी होगी, लेकिन 10 फीट ऊँची किस सरकार के कार्यकाल में बनी और किस आधार पर बनने दी?
कट्टरपंथी विचारों वाली है मस्जिद
कोलकाता हवाई अड्डे के अधिकारियों ने इस मसले पर दारुल उलूम देवबंद के मौलानाओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। दारुल उलूम देवबंद मुसलमानों का वो तबका है जो अपनी कट्टरवादी सोच के कारण दुनिया भर में जाना जाता है। सलमान रश्दी की गर्दन काटने का फतवा भी इसी तबके ने जारी किया था। दारुल उलूम फोटोग्राफी को गैर-इस्लामी करार देने के कारण भी विवादों में रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी कट्टरपंथी सोच वाली मस्जिद एयरपोर्ट जैसी संवेदनशील जगह के अंदर कैसे चल रही है। आगे चलकर इससे हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए भी खतरा बना रह सकता है। मस्जिद कमेटी के लोग इस ढांचे को हटाने के किसी प्रस्ताव पर साफ इनकार कर चुके हैं। उनकी दलील है कि सिर्फ इस्लामिक उलेमा ही मस्जिद हटाने पर कोई फैसला ले सकते हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मुश्किल यह है कि एक सरकारी संस्था होने के नाते वो इस मामले में सीधे तौर पर किसी धार्मिक संगठन से इजाज़त नहीं मांग सकती। 
बंगाल सरकार का अजीबोगरीब रवैया
कोलकाता एयरपोर्ट की क्षमता अगले 2 साल में दोगुनी तक करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए इसके विस्तार का काम बहुत जरूरी है। पहले इसके लिए कोलकाता में दूसरा एयरपोर्ट बनाने पर भी विचार किया गया था, लेकिन बंगाल सरकार ने ये कहते हुए मना कर दिया था कि इतनी बड़ी जमीन कोलकाता या आसपास के इलाके में उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। ममता सरकार में शिक्षा मंत्री सिदकुल्लाह चौधरी बंगाल में जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख भी हैं। जब उनके सामने यह मसला उठाया गया तो बदले में उन्होंने एयरपोर्ट के बाहर बने एक मंदिर और एक ईसाई मिशनरी स्कूल को तोड़ने की बात शुरू कर दी। जबकि ये दोनों ही एयरपोर्ट की सीमा से बाहर निजी जमीन पर बने हुए हैं और उनसे हवाई अड्डे की विस्तार योजना पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मंत्रीजी कानून के बजाय कुरान का हवाला देते हुए कहते हैं कि मस्जिद किसी हाल में नहीं तोड़ी जा सकती, चाहे एयरपोर्ट बनाना हो या कोई सड़क। 
ऐसे में प्रश्न होता है कि यदि रनवे पर मस्जिद की बजाए कोई मन्दिर होता, उस स्थिति में क्या हिन्दू समाज या साधु-संतों से सरकार पूछती? बल्कि किसी से पूछे या परामर्श लिए मन्दिर को तोड़ दिया जाता और हिन्दू विरोध में एक शब्द नहीं बोलता।  
फिर इस सन्दर्भ में स्मरण आता है, लगभग 3 दशक पूर्व Organiser साप्ताहिक के Our Readers Write पृष्ठ पर रामजन्मभूमि के सन्दर्भ में एक पत्र प्रकाशित हुआ था। वह पत्र उन दिनों बहुत चर्चित हुआ था। उस पत्र में लिखा था कि "दुबई में एक हॉस्पिटल को विकसित करने में एक मस्जिद बाधक बन रही थी, मस्जिद को नहीं छूते तो हॉस्पिटल विकसित नहीं होता, अंत में एक हल निकाला कि मस्जिद नींव सहित दूसरे स्थान पर हस्तांतरित कर समस्या का हल निकाला।"        

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