
इस स्टैच्यू के निर्माण में 25,000 टन लोहे और 90,000 टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। मूर्ति को 7 किमी दूर से देखा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए पैदल रास्ता, फोर लेन हाईवे की सुविधा है। पास में ही 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन थ्री स्टार होटल है। एल एंड टी के अधिकारी ने बताया कि यह कंस्ट्रक्शन चार चरणों में पूरा हुआ। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण के बाद पीएम मोदी ने कहा कि आज के दिन इतिहास कभी नहीं भूला पाएगा। साथ ही उन्होंने सरदार बल्लभभाई पटेल के बारे में विस्तार से देशवासियों को बताई।

मोहनदास करमचंद गांधी यानि महात्मा गांधी के विचारों का वल्लभभाई पटेल पर जबरदस्त असर पड़ा। वल्लभ भाई पटेल की जिंदगी का सिर्फ एक ही मिशन बन गया कि देश के उन लोगों के साथ उठ खड़ा होना है जिनके तन पर कपड़े नहीं थे, जिन्हें दो वक्त का भोजन नसीब नहीं होता था। जिन लोगों को बात बात पर अंग्रेजों की प्रताड़ना सहनी पड़ती थी। अंग्रेजों के खिलाफ कांग्रेस के अलावा कई विचारधाराएं जगह बना रही थीं जिनका रास्ता गांधी के आदर्शों से अलग था। तमाम तरह के अंतर्विरोधों के बावजूद स्वतंत्रता आंदोलन अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था। 1920-30 का दशक न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ बल्कि वल्लभ भाई पटेल को देश और दुनिया ने अलग शख्सियत के तौर पर देखा।
ब्रिटिश सरकार के लगान प्रणाली से गुजरात के किसानों की कमर टूट चुकी थी। वल्लभ भाई पटेल से ये सब देखा नहीं गया और उन्होंने फैसला किया कि अब तो आर पार की लड़ाई लड़नी ही होगी। 1928 में उन्हें अहम कामयाबी मिली जब अंग्रेजों ने लगान की दर में कमी कर दी और वल्लभ भाई पटेल के नाम के साथ सरदार जुड़ गया। वल्लभ भाई पटेल की इस लड़ाई को बारदोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
पटेल की कुशल रणनीति और फौलादी इरादों का हर कोई कायल था। महिलाओं ने उन्हें प्यार से सरदार बुलाना शुरू कर दिया। अंग्रेजों के खिलाफ समय के साथ संघर्ष और तेज हो गया और 15 अगस्त 1947 को वो दिन आया जब भारत अंग्रेजो की 250 साल की गुलामी के चोले को उतार कर फेंक चुका था। लेकिन अंग्रेजों ने जो चाल चली उसमें भारत जल रहा था। भारत एक देश होते भी सैकड़ों रियासतों में बंटा हुआ था। अंग्रेजों की कोशिश थी कि भारत आजाद होते हुए भी अखंड न रहे। लेकिन सरदार पटेल ने तय कर लिया था कि खुली हवा में सांस ले रहा भारत एकता की डोर में बंधकर दुनिया को दिखा देगा कि वो सिर्फ संघर्ष ही नहीं कर सकता है बल्कि देश को दिशा भी दे सकता है।
सरदार पटेल की नीति के आगे ज्यादातर रियासतों ने खुद को भारतीय संघ में विलय कर दिया। लेकिन हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर और काठियावाड़ की रियासतें भारत माता की शरीर में कांटों की तरह चुभ रही थीं। लेकिन सरदार पटेल की नीति के आगे स्वतंत्रता का सपना देख रहे हैदराबाद के निजाम और काठियावाड़ के शासक को झुकना पड़ा। उनके प्रयासों से भारत का मौजूदा नक्शा हम सबके सामने है और तिरंगा शान से लहरा रहा है।
पीएम के भाषण की ये हैं 10 बड़ी बातें-
- आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुम्बी आधार भी रखा है। दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार साहब के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी।
- ये प्रतिमा, सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और परमार्थ की भावना का प्रकटीकरण है। ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा। सरदार साहब के दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर डैम, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे।
- सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीज़ा लेना पड़ता। सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है।
- सरदार साहब के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया। देखते ही देखते, भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए।
- सरदार पटेल ने 5 जुलाई, 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था कि विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव, हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।
- हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकि सामर्थ्य का भी प्रतीक है। बीते करीब साढ़े तीन वर्षों में हर रोज़ कामगारों ने, शिल्पकारों ने मिशन मोड पर काम किया है। राम सुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भुत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है।
- सरदार पटेल का ये स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान, हमारे सामर्थ्य, का प्रतीक तो है ही, ये देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है। इससे हज़ारों आदिवासी बहन-भाइयों को हर वर्ष सीधा रोज़गार मिलने वाला है।
- कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं। सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है। ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है।
- हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरजोर जवाब दें। इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है। समाज के तौर पर एकजुट रहना है। आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है। देश के विकास के लिए, यही एक रास्ता है, जिसको लेकर हमें आगे बढ़ना है। देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना, एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार साहब हमें देकर गए हैं।
- हम देश के हर बेघर को पक्का घर देने की भगीरथ योजना पर काम कर रहे हैं। हमने उन 18 हजार गावों तक बिजली पहुंचाई है, जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। हमारी सरकार सौभाग्य योजना के तहत देश के हर घर तक बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए काम कर रही है। देश के हर गांव को सड़क से जोड़ने, डिजिटल कनेक्टिविटी से जोड़ने का काम भी तेज गति से किया जा रहा है। देश में आज हर घर में गैस कनेक्शन पहुंचाने के प्रयास के साथ ही देश के हर घर में शौचालय की सुविधा पहुंचाने पर काम हो रहा है।
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