राम मंदिर का निर्माण भी चुनावी जुमला--डॉ प्रवीण तोगड़िया, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष


आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
बनारस के बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर अक्टूबर  को पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया ने भाजपा पर निशाना साधा।
प्रवीण तोगड़िया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा यदि चाहती तो संसद में कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण करा सकती थी लेकिन उनका मकसद तो सिर्फ राम के नाम पर वोट लेना था। भाजपा ने जैसे वोट के लिए 15 लाख रुपए देने का चुनावी जुमले का इस्तेमाल किया था उसी प्रकार राम मंदिर भी चुनावी जुमला था।
उन्होंने कहा कि ये सरदार पटेल के नाम पर राजनीति कर रहे है उनका पुतला बना रहे है यदि ये सच में उनको मानते तो जैसे उन्होंने देश आजाद होने के तीन साल के अंदर सोमनाथ मंदिर का निर्माण शुरू करा दिया था। उसी तरह भाजपा को भी राम मंदिर का निर्माण कराना चाहिए था लेकिन ये तो सिर्फ राम मंदिर के नाम पर हिंदुओ का वोट लेते हैं।

हिन्दू खुद को ठगा महसूस कर रहा 


प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि ये सरकार अगर प्रामाणिक होती तो साढ़े चार वर्ष पहले जब सत्ता में आई तभी संसद में कानून बना दिया होता तो अब तक अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बन गया होता।
उनको मंदिर बनाना ही नहीं था, इच्छा ही नहीं थी। अयोध्या से दिल्ली तक इनका शासन है फिर भी ये अपना वादा पूरा नहीं कर सके हैं। आज हिन्दू खुद को ठगा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश की जनता का अब नारा है राम मंदिर नहीं तो भाजपा को हिन्दुओं का वोट नहीं।
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Image result for लाल कृष्ण आडवाणी-तरुण विजय इस सन्दर्भ में स्मरण होती है, भाजपा के वरिष्ठ एवं भूतपूर्व उपप्रधानमन्त्री लाल कृष्ण अडवानी की वह बात जो उन्होंने पाञ्चजन्य कार्यालय में सम्पादकीय विभाग में सम्पादकीय परिचर्चा के दौरान  तत्कालीन सम्पादक श्री तरुण विजय, अब भूतपूर्व राज्यसभा सदस्य, के राम मन्दिर पर पूछे के प्रश्न कि "अब भाजपा के समर्थन से वी.पी.सिंह प्रधानमन्त्री बन गए हैं, अयोध्या में भव्य राममन्दिर बनने में कोई अड़चन नहीं आनी चाहिए?" इस प्रश्न के उत्तर में अडवानी जी ने स्पष्ट कहा था कि "जब तक केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार नहीं बनाती, अयोध्या को राम विरोधी हल नहीं होने देंगे। केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की बहुमत वाली सरकार बनने तक इंतज़ार करना होगा। कोर्ट तारीख पर तारीख देती रहेगी।" लेकिन आज केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की बहुमत वाली सरकार होने के बावजूद अयोध्या विवाद वहीँ का वहीँ है, जहाँ तीन दशक पूर्व था। भाजपा राम मन्दिर के नाम पर मालपुए खाती रहेगी और भाजपा विरोधी बाबर के नाम पर।

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अयोध्या राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई जनवरी पहले हफ्ते तक के लिए टलने के बाद से मंदिर के जल्द निर्माण ....

प्रवीण तोगड़िया का बनारस में एक कार्यक्रम होना था, जो बाद में रद्द हो गया। इसको लेकर जब पत्रकारों ने प्रश्न किया तो पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने शासन सत्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रवीण तोगड़िया की फ्लाइट को जानबूझकर लेट कराया गया। ताकि वह पीएम के संसदीय क्षेत्र में ना जा सकें। प्रवीण तोगड़िया वाराणसी एयरपोर्ट से ही मिर्जापुर रवाना हो गए। मिर्जापुर में कार्यक्रम में भाग लेने के बाद वह लखनऊ रवाना होंगे। 
न्याय मिलने में देरी अन्याय के समान--योगी आदित्यनाथ 
अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टल जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत समाज से धैर्य रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा वक्त है जब संतों को इस मुद्दे के समाधान में जो भी सार्थक प्रयास हो सकते हैं, उसमें सहभागी बनना चाहिए। जिससे कि देश में शांति और सौहार्द्र की स्थापना हो सके और साथ ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव भी सुदृढ़ हो सके।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मैं भी यही चाहता हूं कि इस पर लगातार सुनवाई हो और जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके। देश का बहुसंख्यक समाज यही चाहता है। अगर न्याय मिलने में देरी होती है तो निराशा होती है। कई बार देरी से मिला न्याय अन्याय के समान होता है। हम सभी इस पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा।
ये पूछने पर कि क्या अध्यादेश लाना सही विकल्प होगा…। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मामला कोर्ट में है। देश की शांति ओर सौहार्द्र की स्थापना के लिए जो भी विकल्प हो सकते हैं। उन पर विचार करना चाहिए। अच्छा तो यही होता कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए निर्णय दे देता लेकिन अभी इसकी संभावना नहीं दिखती। योगी ने कहा कि सर्वसम्मति से इस मसले का समाधान निकले तो सर्वोत्तम है।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी है। जनवरी 2019 में तय होगा कि सुनवाई कब और कौन सी पीठ करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं। हमें नहीं पता तारीख क्या होगी। यह जनवरी, मार्च या अप्रैल भी हो सकती है।

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