आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
हिन्दू धर्म की प्रथाओं के खिलाफ पूरी दुनिया में दुष्प्रचार करने के बाद ईसाई मिशनरियां अब सनातन धर्म की पुरानी पुस्तकों को निशाना बना रही हैं। पुराणों और दूसरे ग्रंथों में वो इस तरह के शब्द घुसाने में जुटे हैं जिनके आधार पर कुछ साल बाद साबित किया जा सके कि हिन्दू धर्म के ग्रंथों में जिस भगवान की बात कही गई है वो कोई और नहीं बल्कि ईसा मसीह हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म को ईसाई धर्म से पैदा हुआ बताने की कोशिश भी चल रही है। हिन्दू दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से है। ईसाई धर्म इसके कई हजार साल बाद पैदा हुआ। यही कारण है कि यूरोप और दुनिया के कई ईसाई देशों में लोगों में हिन्दू धर्म को लेकर उत्सुकता बीते सालों में बढ़ी है। धर्म ग्रंथों में बदलाव के पीछे इरादा यही है कि किसी तरह से ईसाई धर्म को ज्यादा पुराना साबित किया जा सके, ताकि यूरोप में ईसाई से हिन्दू धर्मांतरण को रोका जा सके।
हिन्दू विरोधियों द्वारा कभी करवा चौथ, होली, दीपावली, शिव को दूध का अभिषेक, श्राद्धों में पितरों के नाम पर ब्राह्मण भोज, मन्दिरों में जाकर पूजा अर्चना और मृतक का लकड़ियों में दाह संस्कार करने आदि पर विरोध दर्ज किया जाता है, जिसमे तथाकथित (तथाकथित मतलब वो हिन्दू जो सनातन, आर्य समाज की मान्यताओं को जानते हुए भी विरोधियों के सुर में सुर मिलाकर हिन्दू धर्म को अपमानित करते हैं।) हिन्दू भी बढ़चढ़ का हिस्सा लेते हैं। जबकि हिन्दू धर्म से कहीं अधिक भेदभाव इस्लाम और ईसाई धर्म में हैं। हिन्दू किसी भी मन्दिर में जाकर माथा टेक सकता है, हिन्दू मृतक का एक ही शमशाम पर दाह-संस्कार होता है, जबकि कैथोलिक और बैप्टिस्ट ईसाई केवल अपने ही चर्चों में जा सकते हैं, अपने ही कब्रिस्तान में मुर्दा दफ़न कर सकते हैं, किसी अन्य के पूजा अथवा कब्रिस्तान में नहीं। बिल्कुल यही स्थिति इस्लाम में भी है, कभी सुना कोई विरोध? कहने को सबका अल्लाह और ईसा एक ही हैं। कमाई करने को कुछ और नहीं, तो बोलो हिन्दू धर्म पर हमला और भरो अपनी-अपनी तिजोरियाँ।
हिन्दू धर्म की प्रथाओं के खिलाफ पूरी दुनिया में दुष्प्रचार करने के बाद ईसाई मिशनरियां अब सनातन धर्म की पुरानी पुस्तकों को निशाना बना रही हैं। पुराणों और दूसरे ग्रंथों में वो इस तरह के शब्द घुसाने में जुटे हैं जिनके आधार पर कुछ साल बाद साबित किया जा सके कि हिन्दू धर्म के ग्रंथों में जिस भगवान की बात कही गई है वो कोई और नहीं बल्कि ईसा मसीह हैं। इसी तरह हिन्दू धर्म को ईसाई धर्म से पैदा हुआ बताने की कोशिश भी चल रही है। हिन्दू दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से है। ईसाई धर्म इसके कई हजार साल बाद पैदा हुआ। यही कारण है कि यूरोप और दुनिया के कई ईसाई देशों में लोगों में हिन्दू धर्म को लेकर उत्सुकता बीते सालों में बढ़ी है। धर्म ग्रंथों में बदलाव के पीछे इरादा यही है कि किसी तरह से ईसाई धर्म को ज्यादा पुराना साबित किया जा सके, ताकि यूरोप में ईसाई से हिन्दू धर्मांतरण को रोका जा सके।
हिन्दू विरोधियों द्वारा कभी करवा चौथ, होली, दीपावली, शिव को दूध का अभिषेक, श्राद्धों में पितरों के नाम पर ब्राह्मण भोज, मन्दिरों में जाकर पूजा अर्चना और मृतक का लकड़ियों में दाह संस्कार करने आदि पर विरोध दर्ज किया जाता है, जिसमे तथाकथित (तथाकथित मतलब वो हिन्दू जो सनातन, आर्य समाज की मान्यताओं को जानते हुए भी विरोधियों के सुर में सुर मिलाकर हिन्दू धर्म को अपमानित करते हैं।) हिन्दू भी बढ़चढ़ का हिस्सा लेते हैं। जबकि हिन्दू धर्म से कहीं अधिक भेदभाव इस्लाम और ईसाई धर्म में हैं। हिन्दू किसी भी मन्दिर में जाकर माथा टेक सकता है, हिन्दू मृतक का एक ही शमशाम पर दाह-संस्कार होता है, जबकि कैथोलिक और बैप्टिस्ट ईसाई केवल अपने ही चर्चों में जा सकते हैं, अपने ही कब्रिस्तान में मुर्दा दफ़न कर सकते हैं, किसी अन्य के पूजा अथवा कब्रिस्तान में नहीं। बिल्कुल यही स्थिति इस्लाम में भी है, कभी सुना कोई विरोध? कहने को सबका अल्लाह और ईसा एक ही हैं। कमाई करने को कुछ और नहीं, तो बोलो हिन्दू धर्म पर हमला और भरो अपनी-अपनी तिजोरियाँ।
पहला निशाना बना ईशवास्य उपनिषद
ईशवास्य या ईशोपनिषद शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के तहत एक उपनिषद है। इसमें ब्रह्म और आत्म का ज्ञान समाया हुआ है। हाल ही में पता चला कि अमेज़न की वेबसाइट पर इसी नाम से एक किताब बिक रही है, जिसमें ईशवास्य उपनिषद को ईसा मसीह से जोड़ने की कोशिश की गई है। इसे लिखने वाले प्रोफेसर एम एम निनान ने इसी तरह से हिन्दू धर्म की कई और किताबों को ईसाई धर्म से जोड़ने की कोशिश की है। इसी लेखक ने एक किताब ऋग्वेद पर लिखी है जिसमें ऊल-जलूल तर्कों के आधार पर साबित करने की कोशिश की है कि ऋग्वेद कुछ साल पहले ही लिखा गया था और इसमें बाइबिल से सारी बातें कॉपी की गई हैं। एक किताब में लेखक ने हिन्दू धर्म को ईसाई धर्म से पैदा हुआ बताया है। माना जाता है कि एम एम निनान दरअसल एक ठग है, जिसे हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने की सुपारी दी गई है। इसी तरह से कुछ समय पहले टीएन ओक नाम के एक शख्स ने किताब लिखकर दावा किया था कि भगवान कृष्ण कोई और नहीं, बल्कि जीसस क्राइस्ट थे। हैरानी की बात थी कि इस किताब को मीडिया ने खूब प्रचारित किया। नतीजा ये कि देश में कई हिन्दू आज भी सोचते हैं कि क्राइस्ट और कृष्ण में कोई रिश्ता है। जबकि कृष्ण का काल आज से करीब 5000 साल पहले का था। जबकि जीसस क्राइस्ट सिर्फ 2000 साल पहले की बात है।
आखिर हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों करती है कांग्रेस? इस सच्चाई को जानने के लिए निम्न लेखों का अवलोकन करें :--
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धर्म के नाम पर धोखेबाजी की कोशिश
दरअसल ईसाई धर्म यूरोप और अमेरिका में ही अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। रूस और कई दूसरे देशों में ईसाई धर्म की संस्थाएं धीरे-धीरे कमजोर हो रही हैं। शांति की तलाश में लोग हिन्दू और बौद्ध जैसे सनातन धर्मों की तरफ बढ़ रहे हैं। इस प्रक्रिया को रोकने और आने वाली पीढ़ियों के लिए हिन्दू धर्म की बिल्कुल गलत तस्वीर पेश करने की नीयत से ये किताबें बीते कुछ साल में लिखवाई गई हैं। माना जाता है कि इनके जरिए कुछ साल बाद यूरोप और दूसरे देशों में लोगों को बताया जाएगा कि हिन्दू धर्म ईसाई धर्म के बाद आया। इस साजिश में अमेज़न जैसे पोर्टल भी शामिल हैं। जो इन फर्जी किताबों को इंटरनेट के जरिए दुनिया भर में फैलाने में जुटे हैं।
यह हैरानी की बात है कि जो ईसाई धर्म पूरे हिन्दू धर्म को मिथक साबित करने में जुटा रहता है वो आखिर हिन्दू धर्मग्रंथो को लेकर इस तरह की जालसाजी पर क्यों उतारू है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हिन्दू धर्म को लेकर ईसाइयत के दिमाग में कोई हीनभावना भरी हुई है, जिससे उबरने के लिए वो हिन्दू धर्म ग्रंथों और भगवानों के साथ ठगी की कोशिश कर रहा है।
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