एपल मैनेजर हत्याकांड: फॉरेंसिक रिपोर्ट ने पलटकर रख दी पूरी कहानी

मृतक एपल मैनेजर विवेक तिवारी (बाएं), आरोपी कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी
मृतक एपल मैनेजर विवेक तिवारी (बाएं), आरोपी कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी
28 सितंबर की देर रात इसी कार में थे विवेक, जिस पर कॉन्स्टेबल प्रशांत ने गोली चलाई थी।
28 सितंबर की देर रात इसी कार में थे विवेक,
 जिस पर कॉन्स्टेबल प्रशांत ने गोली चलाई थी।
एपल मैनेजर हत्याकांड मामले में सामने आई फॉरेंसिक रिपोर्ट ने कहानी पलटकर रख दी है। रिपोर्ट से हत्याकांड के मेन आरोपी कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी की वो दलील खारिज होती दिख रही है, जिसमें उसने विवेक द्वारा तीन बार कुचलने के प्रयास के बाद सेल्फ डिफेंस में गोली चलाने की बात कही थी। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बाइक से उतरते ही विवेक पर प्रशांत ने पिस्टल तानी होगी। जिससे घबराकर मैनेजर ने भागने की कोशिश की होगी। रिपोर्ट यह भी कहती है कि गोलीकांड के बाद कॉन्स्टेबल की बाइक और विवेक की कार में तोड़फोड़ की गई है। फिलहाल, फॉरेंसिक रिपोर्ट के हिसाब से जानते हैं आखिर क्या हुआ होगा उस रात।
कार के बोनेट से की गई छेड़छाड़
कार के बोनेट से की
गई छेड़छाड़
28 सितंबर की देर रात गोमतीनगर इलाके में एपल मोबाइल लॉन्चिंग कार्यक्रम से लौटने के दौरान कॉन्स्टेबल प्रशांत की गोली से एपल सेल्स मैनेजर विवेक की मौत हो गई थी।
फॉरेंसिक टीम के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कॉन्स्टेबल प्रशांत ने विवेक की कार से तकरीबन ढाई से तीन फीट आगे बाइक खड़ी की।
इसके बाद हाथ में पिस्टल लिए विवेक की ओर पहुंचा। लेकिन उसने कार का शीशा नहीं उतारा। पिस्टल देख विवेक घबराया होगा और डर से भागने की कोशिश में कार आगे बढ़ा दी।
घबराहट में विवेक ने कार की स्टीयरिंग पूरी तरह से घुमाई, लेकिन बाइक पास खड़ी होने से कार का बायां पहिया बाइक के अगले पहिए से टकराया और बाइक गिर गई।
लेकिन विवेक को जाने नहीं देना चाहता था प्रशांत: एक्सपर्ट
फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइक से टकराने के बाद विवेक ने कार बैक कर फिर से आगे बढ़ाई। लेकिन प्रशांत उसे भागने नहीं देना चाहता था।
अवलोकन करें:--
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लखनऊ में हुए विवेक हत्याकांड के बाद सिपाहियों पर हुई कार्रवाई के बाद से लगातार…
इस कारण प्रशांत पिस्टल तानकर कार के सामने आ गए। फिर फायर करने के इरादे से ट्रिगर दबा दी। जिसके बाद गोली विंड स्क्रीन को चीरते हुए सीधे विवेक की ठोड़ी में जा लगी।
हत्याकांड की इकलौती गवाह सना ने बताया था, सफेद अपाचे सवार दो कॉन्स्टेबल गुस्से में हमारी कार की ओर आए। फिर कार के सामने बाइक खड़ी कर दी। वो हमें रोकना चाहते थे। हमें पता नहीं था कि आखिर हमें क्यों रोका जा रहा है।
एक्स्पर्ट्स का कहना है, जिस दूरी से खड़े होकर प्रशांत ने विवेक पर गोली चलाई थी बुलेट उसकी गर्दन को चीरती हुई पार हो जाती। लेकिन विंड स्क्रीन में टकराने के बाद रेंज कम हो गया और गोली गर्दन में फंसी रह गई।
प्रशांत के पास 9 एमएम पिस्टल थी। जो 50 मीटर तक इफेक्टिव फायर कर सकती है। हालांकि, इसकी अधिकतम रेंज 1800 मीटर है।
हड़बड़ी में पुलिस ने छोड़ दिए कई सुराग
वारदात को सेल्फ डिफेंस का रूप देने के लिए पुलिस ने स्क्रिप्टिंग करना शुरू कर दी थी। लेकिन इस दौरान कई बड़ी गलती कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, उस रात मौके पर पड़ी बाइक में कार के बंपर के नीचे लगे सपोर्टर को फंसा दिखाया गया।
जबकि फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि बंपर में अगर बाइक फंसती, तो वह घिसटती जाती या फिर कार उसके ऊपर से होकर निकल जाती। लेकिन कार के नीचे से ऐसे कोई निशान नहीं मिले, जिससे कॉन्स्टेबल के बयान पर मुहर लगे।
मतलब, घटना के बाद बाइक से तोड़फोड़ की गई। यह भी कहा जा रहा है कि विवेक की कार से भी तोड़फोड़ की गई थी। पिलर से टकराने के बाद की फोटो और दूसरे दिन की तस्वीर में अंतर है।

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