मध्य प्रदेश कांग्रेस में उभरता परिवारवाद

कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के टिकट की दावेदारी में कुछ सीटें ऐसी हैं जहां एक विधानसभा क्षेत्र में सगे व नजदीकी रिश्तेदार दमदारी से दावेदारी कर रहे हैं। कुछ सीटों पर पार्टी नेतृत्व का दबाव बताया जा रहा है तो कुछ सीटों पर परिजन टिकट परिवार से बाहर न जाने देने के लिए जोड़तोड़ कर रहे हैं।
नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधानसभा सीट से नगर पालिका अध्यक्ष अर्चना जायसवाल और उनके पति रविशेखर दोनों दावेदारी कर रहे हैं। अर्चना नपा अध्यक्ष की खाली कुर्सी और भरी कुर्सी में दोबारा चुनी गई हैं। पति-पत्नी ने स्क्रीनिंग कमेटी से भोपाल प्रवास के दौरान मुलाकात कर अपना दावा पेश किया था।
मुरैना जिले में भी सबलगढ़ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक सुरेश चौधरी के परिवार से उनकी पत्नी गीता व बेटे त्रिलोक की दावेदारी है। गीता नगर पालिका अध्यक्ष हैं। वे भी खाली कुर्सी-भरी कुर्सी में दोबारा नपा अध्यक्ष का चुनाव जीती हैं। इस प्रकार गाडरवारा और सबलगढ़ विधानसभा सीट के दावेदार अपने घर में ही टिकट लाने के प्रयास में हैं। 
टिकट की टक्कर पिता-पुत्र के बीच 
वहीं, हरसूद विधानसभा सीट से कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष अजय शाह और उनके बेटे अभिजीत का नाम चर्चा में है। हालांकि भाजपा से इस सीट पर मौजूदा मंत्री विजय शाह भी इसी परिवार के सदस्य हैं।
इसी तरह रतलाम की आलोट सीट से 2013 के विधानसभा चुनाव में बेटे अजीत बौरासी को टिकट दिलाने वाले पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू खुद के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन अजीत की दावेदारी भी बनी हुई है। वहीं, दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे सज्जन सिंह वर्मा इस बार खुद दावेदारी कर रहे हैं, जबकि पिछली बार उनके भाई अर्जुन वर्मा चुनाव मैदान में उतरे थे। अर्जुन वर्मा दो हजार से कम वोट से हारे थे और उनकी दावेदारी तीन हजार से कम वोटों से हारी सीटों में सशक्त है। 
ससुर-दामाद में टिकट की टक्कर
भोपाल की नरेला विधानसभा सीट पर ससुर और दामाद के बीच टक्कर है। यहां शहर कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा और उनके दामाद मनोज शुक्ला की दावेदारी है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि यह दावेदारी केवल दूसरे दावेदारों को दूर रखने के लिए दिखाई जा रही है जिससे टिकट घर में ही रहे।
वहीं, खरगोन की कसरावद विधानसभा सीट पर विरोधी खेमे से पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव को टिकट दिए जाने की मांग उठी है। यह माना जा रहा है कि इसके पीछे अरुण यादव के भाई और मौजूदा विधायक सचिन यादव को टिकट की दौड़ से बाहर करने की रणनीति है।
नेताओं के रिश्तेदार रास्ते में बाधक
पूर्व मंत्री महेश जोशी के परिवार में टिकट को लेकर खींचतान मची है। इंदौर शहर की तीन नंबर सीट से महेश जोशी के भतीजे पूर्व विधायक अश्विन जोशी दावेदारी कर रहे हैं, जबकि पूर्व मंत्री खुद अपने बेटे दीपक (पिंटू) जोशी को टिकट दिलाना चाह रहे हैं। अश्विन जोशी तीन बार के विधायक हैं।
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इसी तरह की स्थितियां झाबुआ में बन रही हैं, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद कांतिलाल भूरिया की भतीजी कलावती इस बार फिर चुनाव मैदान में उतरना चाह रही हैं। जबकि कांतिलाल भूरिया अपने बेटे विक्रांत को टिकट दिलवाना चाह रहे हैं।
2013 में भी कलावती भूरिया कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने मैदान में उतर गई थीं। सूत्र बताते हैं कि इंदौर तीन और झाबुआ सीटों को लेकर हाईकमान द्वारा महेश जोशी व भूरिया को परिवार में बैठकर टिकट तय करने के संकेत दिए गए हैं।

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