आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अमृतसर हादसे के बाद पंजाब में कांग्रेस सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सवालों में हैं। इस मामले में उनकी पत्नी नवजोत कौर और करीबी कांग्रेसी पार्षद सौरभ मदन मिट्ठू का नाम सामने आ चुका है। हादसे के बाद सिद्धू की पत्नी मौके से भाग गई थीं जिसे लेकर हर तरफ भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर सिंह खेमे से जुड़े सूत्र ने बताया है कि मुख्यमंत्री इस मामले में नवजोत सिद्धू की पत्नी के खिलाफ कार्रवाई करने के पक्ष में हैं, लेकिन दिल्ली से दबाव है कि न तो सिद्धू या उनकी पत्नी या न ही किसी आयोजक के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की जाए। यही कारण है कि पंजाब सरकार ने इस हादसे की जो पहली एफआईआर लिखी उसमें आयोजकों का नाम तक नहीं लिखा गया है। ये एफआईआर ‘कुछ अज्ञात लोगों’ के नाम पर दर्ज की गई है। इस फैसले से पंजाब सरकार पर विपक्ष हमलावर है, साथ ही कांग्रेस के अंदर भी इस पूरे मामले को लेकर दो धड़े बन गए हैं। एक पक्ष इस मामले में कम से कम नवजोत कौर की जिम्मेदारी तय करने के पक्ष में है और उनकी मांग है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया जाए। लेकिन ऐसा लगता है कि सिद्धू और उनकी पत्नी के सिर पर हाईकमान का हाथ है।
पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले अमृतसर रेल हादसे के बाद लगातार राज्य सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर लोगों और विरोधियों के निशाने पर हैं, जहां विरोधीगण सिद्धू से इस मसले पर इस्तीफा मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके अपने दल के नेतागण भी इस मुद्दे पर सिद्धू से खफा चल रहे हैं।
पार्टी नहीं उठा सकती है लोगों की लाशों का बोझ
डिप्टी मेयर सिद्धू पर करारा वार किया है अमृतसर शहर के डिप्टी मेयर रमन बख्शी ने, जिनका कहना है कि इस हादसे के लिए नवजोत सिंह सिद्धू की जवाबदेही तय होनी चाहिए, 60 लाशों का बोझ कांग्रेस पार्टी नहीं उठा सकती है, ये वो ही उठाएं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। बक्शी का ये बयान बताने के लिए काफी है कि सिद्धू को लेकर पार्टी के अंदर भी विरोध हो रहा है। आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने भी सिद्धू के इस्तीफे की मांग की है।
सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर विरोधियों के निशाने पर
दरअसल ऐसा कहा जा रहा है कि जिस जगह पर रावण दहन हुआ था तब वहां पर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर उपस्थित थीं, हालांकि नवजोत कौर के मुताबिक वो हादसे से पहले ही वहां से जा चुकी थी।
अमरिंदर के खिलाफ हथियार सिद्धू
ऐसा माना जाता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर राहुल गांधी ज्यादा भरोसा नहीं करते हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव के समय अमरिंदर सिंह ने अकेले दम पर पूरे राज्य में प्रचार किया था और राहुल गांधी को घुसने नहीं दिया था। तब यह बात सामने आई थी कि अमरिंदर मानते हैं कि अगर राहुल ने पंजाब में प्रचार किया तो पार्टी को नुकसान होगा। यह बात सही भी निकली क्योंकि राहुल गांधी के प्रचार के बिना पंजाब में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की। इसी का नतीजा हुआ कि राहुल गांधी के मन में अमरिंदर को लेकर एक खटास है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते वक्त अमरिंदर की काट के लिए प्रताप सिंह बाजवा को आगे बढ़ाया जाता था। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से बाजवा के बुरे दिन चल रहे हैं। राहुल नवजोत सिद्धू पर अधिक भरोसा करते हैं और वो उन्हें अमरिंदर के विकल्प के तौर पर खड़ा करना चाहते हैं। लिहाजा हर विवाद में राहुल गांधी नवजोत सिद्धू के साथ खड़े हो जाते हैं। कुछ दिन पहले इमरान खान के शपथ ग्रहण में सिद्धू पाक सेना के प्रमुख से गले मिले थे। इस पर अमरिंदर ने खुले तौर पर नाराजगी जताई थी। लेकिन बाद में हाईकमान का इशारा मिलने पर उन्हें मुंह बंद करना पड़ा। उस मामले में भी अमरिंदर चाहकर भी सिद्धू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके थे।
नवजोत सिद्धू को मिला हुआ है ‘फ्री हैंड’
हमारे सूत्र ने बताया कि नवजोत सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान की तरफ से ‘फ्री हैंड’ मिला हुआ है। सिद्धू पिछले दिनों कई विवादों में फंसे हर बार कांग्रेस हाईकमान ने उनका बचाव किया। यहां तक कि जब उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने शुरू किए तब भी कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके खिलाफ कुछ भी नहीं बोला। क्योंकि सबको पता है कि सिद्धू के सिर पर किसका हाथ है। अमृतसर हादसे में भी कांग्रेस हाईकमान ने साफ इशारा कर दिया है कि वो सिद्धू के समर्थन में है। जबकि इस मामले में सिद्धू की पत्नी की भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। यहां तक जानकारी सामने आई है कि दशहरा मेले का आयोजक सौरभ मदन मिट्ठू नवजोत सिद्धू की पत्नी का काफी मुंहलगा था। उसका रसूख इतना था कि पुलिस और प्रशासन में अपने काम वो बहुत ही आसानी से करवा लिया करता था। अमृतसर में वो सिद्धू का सबसे करीबी आदमी माना जाता है। ऐसे में अगर आयोजक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है तो समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि इसकी असली वजह क्या है।
अमृतसर हादसे के बाद पंजाब में कांग्रेस सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सवालों में हैं। इस मामले में उनकी पत्नी नवजोत कौर और करीबी कांग्रेसी पार्षद सौरभ मदन मिट्ठू का नाम सामने आ चुका है। हादसे के बाद सिद्धू की पत्नी मौके से भाग गई थीं जिसे लेकर हर तरफ भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर सिंह खेमे से जुड़े सूत्र ने बताया है कि मुख्यमंत्री इस मामले में नवजोत सिद्धू की पत्नी के खिलाफ कार्रवाई करने के पक्ष में हैं, लेकिन दिल्ली से दबाव है कि न तो सिद्धू या उनकी पत्नी या न ही किसी आयोजक के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई की जाए। यही कारण है कि पंजाब सरकार ने इस हादसे की जो पहली एफआईआर लिखी उसमें आयोजकों का नाम तक नहीं लिखा गया है। ये एफआईआर ‘कुछ अज्ञात लोगों’ के नाम पर दर्ज की गई है। इस फैसले से पंजाब सरकार पर विपक्ष हमलावर है, साथ ही कांग्रेस के अंदर भी इस पूरे मामले को लेकर दो धड़े बन गए हैं। एक पक्ष इस मामले में कम से कम नवजोत कौर की जिम्मेदारी तय करने के पक्ष में है और उनकी मांग है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया जाए। लेकिन ऐसा लगता है कि सिद्धू और उनकी पत्नी के सिर पर हाईकमान का हाथ है।
पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले अमृतसर रेल हादसे के बाद लगातार राज्य सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर लोगों और विरोधियों के निशाने पर हैं, जहां विरोधीगण सिद्धू से इस मसले पर इस्तीफा मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके अपने दल के नेतागण भी इस मुद्दे पर सिद्धू से खफा चल रहे हैं।
पार्टी नहीं उठा सकती है लोगों की लाशों का बोझ
डिप्टी मेयर सिद्धू पर करारा वार किया है अमृतसर शहर के डिप्टी मेयर रमन बख्शी ने, जिनका कहना है कि इस हादसे के लिए नवजोत सिंह सिद्धू की जवाबदेही तय होनी चाहिए, 60 लाशों का बोझ कांग्रेस पार्टी नहीं उठा सकती है, ये वो ही उठाएं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। बक्शी का ये बयान बताने के लिए काफी है कि सिद्धू को लेकर पार्टी के अंदर भी विरोध हो रहा है। आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल ने भी सिद्धू के इस्तीफे की मांग की है।
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नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी नवजोत कौर के साथ |
दरअसल ऐसा कहा जा रहा है कि जिस जगह पर रावण दहन हुआ था तब वहां पर नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर उपस्थित थीं, हालांकि नवजोत कौर के मुताबिक वो हादसे से पहले ही वहां से जा चुकी थी।
अमरिंदर के खिलाफ हथियार सिद्धू
ऐसा माना जाता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर राहुल गांधी ज्यादा भरोसा नहीं करते हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव के समय अमरिंदर सिंह ने अकेले दम पर पूरे राज्य में प्रचार किया था और राहुल गांधी को घुसने नहीं दिया था। तब यह बात सामने आई थी कि अमरिंदर मानते हैं कि अगर राहुल ने पंजाब में प्रचार किया तो पार्टी को नुकसान होगा। यह बात सही भी निकली क्योंकि राहुल गांधी के प्रचार के बिना पंजाब में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की। इसी का नतीजा हुआ कि राहुल गांधी के मन में अमरिंदर को लेकर एक खटास है। सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते वक्त अमरिंदर की काट के लिए प्रताप सिंह बाजवा को आगे बढ़ाया जाता था। लेकिन राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद से बाजवा के बुरे दिन चल रहे हैं। राहुल नवजोत सिद्धू पर अधिक भरोसा करते हैं और वो उन्हें अमरिंदर के विकल्प के तौर पर खड़ा करना चाहते हैं। लिहाजा हर विवाद में राहुल गांधी नवजोत सिद्धू के साथ खड़े हो जाते हैं। कुछ दिन पहले इमरान खान के शपथ ग्रहण में सिद्धू पाक सेना के प्रमुख से गले मिले थे। इस पर अमरिंदर ने खुले तौर पर नाराजगी जताई थी। लेकिन बाद में हाईकमान का इशारा मिलने पर उन्हें मुंह बंद करना पड़ा। उस मामले में भी अमरिंदर चाहकर भी सिद्धू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके थे।

हमारे सूत्र ने बताया कि नवजोत सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान की तरफ से ‘फ्री हैंड’ मिला हुआ है। सिद्धू पिछले दिनों कई विवादों में फंसे हर बार कांग्रेस हाईकमान ने उनका बचाव किया। यहां तक कि जब उन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने शुरू किए तब भी कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके खिलाफ कुछ भी नहीं बोला। क्योंकि सबको पता है कि सिद्धू के सिर पर किसका हाथ है। अमृतसर हादसे में भी कांग्रेस हाईकमान ने साफ इशारा कर दिया है कि वो सिद्धू के समर्थन में है। जबकि इस मामले में सिद्धू की पत्नी की भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। यहां तक जानकारी सामने आई है कि दशहरा मेले का आयोजक सौरभ मदन मिट्ठू नवजोत सिद्धू की पत्नी का काफी मुंहलगा था। उसका रसूख इतना था कि पुलिस और प्रशासन में अपने काम वो बहुत ही आसानी से करवा लिया करता था। अमृतसर में वो सिद्धू का सबसे करीबी आदमी माना जाता है। ऐसे में अगर आयोजक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है तो समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि इसकी असली वजह क्या है।
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