Original Rooms and Foundations \ that existed have been hiden and crudely covered up away from the public gaze |
1976 में हिंदू अवेकनिँग फोरम न्यूयार्क ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी को ख़त लिखा और सुझाव दिया कि रिटायर्ड जजों का समूह या बेंच बैठाइये। भारत के जितने मानुमेन्ट्स हैं उनकी सुनवाई करें। हिंदू अपने पक्ष में प्रमाण दें, मुस्लिम अपने पक्ष में। जजों की बेंच निर्णय करे। इंदिरा गाँधी इसके लिये तैयार नहीँ हुईं क्योंकि वे जानती थीं मुग़लों ने कोई निर्माण नहीँ किया।
दूसरी बात ताजमहल के तल मंजिलें में चार वर्गाकार कमरे और चार आयताकार कमरे है। एक कमरे में घुसने पर सभी कमरों में जा सकते है। शिवलिंगम भी वहीँ है।
नक्कार खाने क्यों ?
मूल भवन अश्तकोनिय है जिस पर शतदल कमल पर गुम्बद .कमल ,स्वास्तिक ,ॐ और बेलबूटे ,त्रिशूल क्यों ?
उसी समय मेन गेट की छिलपट का अमेरिका में रासायनिक परीक्षण किया। रिपोर्ट में कहा गया इसका निर्माण बताए गये समय से दो से ढाई सौ साल पहले का है।
अर्जुमंद बानो बेगम को 17 साल में 14 संतान। वह बीमार पड़ी तो बूरहानपूर चली गयी। वहीँ मरी और राजा बाग में दफ़न की गयी। जहाँ शिलापट्ट पर अंकित है , यहाँ हिन्दुस्तान की मल्लिका सो रही है।
बटेस्सर शिलालेख की 21 से 24 श्लोक भी उसके निर्माण पर प्रकाश डालते है। मुमताज की मृत्यु आगरा से 600 मील दूर बुरहानपुर में हुई थी। उसे वहीं दफनाया गया था। आगरा में जहां उसके दफन की बात कही जाती है, वहां खाली प्लॉट नहीं, बल्कि भवन था। बादशाहनामा में इसका वर्णन है। शाहजहां ने राजा मानसिंह के पौत्र जयसिंह से इसे लिया था। इसके प्रामाणिक साक्ष्य भी हैं।
पुणे से आई प्रो. पीएन ओक की बेटी जयश्री वैद्य ने तेजोमहालय स्वाध्याय मंडल की प्रेसवार्ता में यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने अध्ययन और साक्ष्यों के आधार पर ही किताब 'ताजमहल: एक शिव मंदिर' में ताज को शिव मंदिर बताया है। उनके तर्को को काटिए, लेकिन उन्हें बदनाम मत कीजिए। हमारा इतिहास गलत लिखा गया है। हमें हमारे गौरवपूर्ण इतिहास का सच पता चलना चाहिए। प्रो. ओक के साथ ताज पर अध्ययन करने वाले सिंगापुर से आए अशोक अठावले ने कहा कि हमें पढ़ाया जाता है कि बाहर से लोग आए और हिन्दुस्तान बसता रहा। क्या यह सच है? उन्होंने बताया कि भारत सरकार से ताज के बंद तहखानों को खुलवाने की मांग प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के समय में भी की थी। उन्हें ओक के साथ ताज के बंद हिस्सों में जाने का मौका मिला था। यमुना किनारे की ओर ताज में 300 फुट लंबा गलियारा व 22 कमरे हैं। सच सामने लाने को और अध्ययन की जरूरत है।
ताज या तेजोमहालय वाद में अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन थर्ड अभिषेक सिन्हा के न्यायालय में सुनवाई हुई। इसमें शिवसेना के जिला प्रभारी वीनू लवानिया व गाइड शमसुद्दीन व वीरेश्वर नाथ त्रिपाठी के पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्रों पर बहस हुई। वादी अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने विरोध करते हुए कहा कि दोनों के प्रार्थना पत्र आधारहीन होने की वजह से खारिज करने योग्य हैं। अवलोकन करें :--
इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था। यह सब मनगढ़ंत बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने 18वीं सदी में लिखी।
दरअसल 1632 में हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू हुआ। 1649 में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्दू शैली का छोटे गुम्बद के आकार का मंडप है और अत्यंत भव्य प्रतीत होता है। आस पास मीनारें खड़ी की गई और फिर सामने स्थित फव्वारे
को फिर से बनाया गया।
ताजमहल शाहजहाँ से 500 वर्ष पूर्व निर्मित
जे ए माॅण्डेलस्लो ने मुमताज की मृत्यु के 7 वर्ष पश्चात Voyages and Travels into the East Indies नाम से निजी पर्यटन के संस्मरणों में आगरे का तो उल्लेख किया गया है किंतु ताजमहल के निर्माण का कोई उल्लेख नहीं किया। टाॅम्हरनिए के कथन के अनुसार 20 हजार मजदूर यदि 22 वर्ष तक ताजमहल का निर्माण करते रहते तो माॅण्डेलस्लो भी उस विशाल निर्माण कार्य का उल्लेख अवश्य करता।
ताज के नदी के तरफ के दरवाजे के लकड़ी के एक टुकड़े की एक अमेरिकन प्रयोगशाला में की गई कार्बन जांच से पता चला है कि लकड़ी का वो टुकड़ा शाहजहां के काल से 300 वर्ष पहले का है, क्योंकि ताज के दरवाजों को 11वीं सदी से ही मुस्लिम आक्रामकों द्वारा कई बार तोड़कर खोला गया है और फिर से बंद करने के लिए दूसरे दरवाजे भी लगाए गए हैं। ताज और भी पुराना हो सकता है। असल में ताज को सन् 1115 में अर्थात शाहजहां के समय से लगभग 500 वर्ष पूर्व बनवाया गया था।
ताजमहल के गुम्बद पर जो अष्टधातु का कलश खड़ा है वह त्रिशूल आकार का पूर्ण कुंभ है। उसके मध्य दंड के शिखर पर नारियल की आकृति बनी है। नारियल के तले दो झुके हुए आम के पत्ते और उसके नीचे कलश दर्शाया गया है। उस चंद्राकार के दो नोक और उनके बीचोबीच नारियल का शिखर मिलाकर त्रिशूल का आकार बना है। हिन्दू और बौद्ध मंदिरों पर ऐसे ही कलश बने होते हैं। कब्र के ऊपर गुंबद के मध्य से अष्टधातु की एक
जंजीर लटक रही है। शिवलिंग पर जल सिंचन करने वाला सुवर्ण कलश इसी जंजीर पर टंगा रहता था। उसे निकालकर जब शाहजहां के खजाने में जमा करा दिया गया तो वह जंजीर लटकी रह गई। उस पर लाॅर्ड कर्जन ने एक दीप लटकवा दिया, जो आज भी है।
कब्रगाह को महल क्यों कहा गया? मकबरे को महल क्यों कहा गया? क्या किसी ने इस पर कभी सोचा, क्योंकि पहले से ही निर्मित एक महल को कब्रगाह में बदल दिया गया। कब्रगाह में बदलते वक्त उसका नाम नहीं बदला गया। यहीं पर शाहजहां से गलती हो गई। उस काल के किसी भी सरकारी या शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ‘ताजमहल’ शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल समझना हास्यास्पद है।
‘महल’ शब्द मुस्लिम शब्द नहीं है। अरब, ईरान, अफगानिस्तान आदि जगह पर एक भी ऐसी मस्जिद या कब्र नहीं है जिसके बाद महल लगाया गया हो। यह भी गलत है कि मुमताज के कारण इसका नाम मुमताज महल पड़ा, क्योंकि उनकी बेगम का नाम था #मुमता -उल-जमानी। यदि मुमताज के नाम पर इसका नाम रखा होता तो ताजमहल के आगे से मुम को हटा देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता।
हुमायूँनामा में इसे रहस्य महल बताया है
विंसेंट स्मिथ अपनी पुस्तक 'Akbar the Great Moghul' में लिखते हैं, बाबर ने सन् 1630 में आगरा के वाटिका वाले महल में अपने उपद्रवी जीवन से मुक्ति पाई। वाटिका वाला वो महल यही ताजमहल था। यह इतना विशाल और भव्य था कि इसके जितना दूसरा कोई भारत में महल नहीं था। बाबर की पुत्री गुलबदन ‘हुमायूंनामा’ नामक अपने ऐतिहासिक वृत्तांत में ताज का संदर्भ ‘रहस्य महल’ (Mystic House) के नाम से देती है।
ताजमहल का निर्माण राजा परमर्दिदेव के शासनकाल में 1155 अश्विन शुक्ल पंचमी, रविवार को हुआ था। अतः बाद में मुहम्मद गौरी सहित कई मुस्लिम आक्रांताओं ने ताजमहल के द्वार आदि को तोड़कर उसको लूटा। यह महल आज के ताजमहल से कई गुना ज्यादा बड़ा था और इसके तीन गुम्बद हुआ करते थे। हिन्दुओं ने उसे फिर से मरम्मत करके बनवाया, लेकिन वे ज्यादा समय तक इस महल की रक्षा नहीं कर सके।
वास्तुकला के विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में शिवलिंगों में ‘तेज-लिंग’ का वर्णन आता है। ताजमहल में ‘तेज-लिंग’ प्रतिष्ठित था इसीलिए उसका नाम ‘तेजोमहालय’ पड़ा था। शाहजहां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन का उल्लेख ‘ताज-ए-महल’ के नाम से किया है, जो कि उसके शिव मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम ‘तेजोमहालय’ से मेल खाता है। इसके विरुद्ध शाहजहां और औरंगजेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुए उसके स्थान पर पवित्र मकबरा शब्द का ही प्रयोग किया है।ओक के अनुसार अनुसार हुमायूं, अकबर, मुमताज, एतमातुद्दौला और सफदरजंग जैसे सारे शाही और दरबारी लोगों को हिन्दू महलों या मंदिरों में दफनाया गया है।
हिन्दू मंदिर परंपरा में 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।
ताजमहल तेजोमहल शिव मंदिर है - इस बात को स्वीकारना ही होगा कि ताजमहल के पहले से बने ताज के भीतर मुमताज की लाश दफनाई गई न कि लाश दफनाने के बाद उसके ऊपर ताज का निर्माण किया गया। ‘ताजमहल’ शिव मंदिर को इंगित करने वाले शब्द ‘तेजोमहालय’ शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मंदिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे। देखने वालों ने अवलोकन किया होगा कि तहखाने के अंदर कब्र वाले कमरे में केवल सफेद संगमरमर के पत्थर लगे हैं जबकि अटारी व कब्रों वाले कमरे में पुष्प लता आदि से चित्रित चित्रकारी की गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि मुमताज के मकबरे वाला कमरा ही शिव मंदिर का गर्भगृह है। संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिन्दू मंदिर परंपरा में 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।
आगरा को प्राचीनकाल में अंगिरा कहते थे
तेजोमहालय उर्फ ताजमहल को नागनाथेश्वर के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उसके जलहरी को नाग के द्वारा लपेटा हुआ जैसा बनाया गया था। यह मंदिर विशालकाय महल क्षेत्र में था। आगरा को प्राचीनकाल में अंगिरा कहते थे, क्योंकि यह ऋषि अंगिरा की तपोभूमि थी। अंगिरा ऋषि भगवान शिव के उपासक थे। बहुत प्राचीन काल से ही आगरा में 5 शिव मंदिर बने थे। यहां के निवासी सदियों से इन 5 शिव मंदिरों में जाकर दर्शन व पूजन करते थे। लेकिन अब कुछ सदियों से बालकेश्वर, पृथ्वीनाथ, मनकामेश्वर और राजराजेश्वर नामक केवल 4 ही शिव मंदिर शेष हैं। 5वें शिव मंदिर को सदियों पूर्व कब्र में बदल दिया गया। स्पष्टतः वह 5वां शिव मंदिर आगरा के इष्टदेव नागराज अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर ही हैं, जो कि तेजोमहालय मंदिर उर्फ ताजमहल में प्रतिष्ठित थे।
सच्चाई जाननी है, तो खुलवाओ इसके बंद कमरे। क्यों नहीं सरकार को बाध्य करते कि बंद कमरों को खोले? जिस दिन इतने वर्षों से बंद खुलेंगे, मोहब्बत की निशानी और शाहजहां द्वारा निर्मित कहने वाले दीवार से सिर पीट-पीट कर अपनी मौत मर जाएंगे। यही नहीं, जिन इतिहासकारों ने इसे शाहजहाँ द्वारा निर्मित बताया है, उन पर देश के वास्तविक इतिहास को अपमानित करने के विरुद्ध केस दर्ज़ कर, उन्हें दण्डित किया जाए।
पद्मनाभन मन्दिर से स्वर्ण मुद्राएँ लेने वहाँ के बन्द कक्षों को खुलवाने जब तत्कालीन युपीए सरकार कोर्ट जा सकती थी, ताजमहल में बन्द कमरों को खुलवाने क्यों नहीं गयी, डर था अपनी कुर्सी जाने का।
अक्टूबर 26, 2017 को सोशल मीडिया पर निम्न लिंक दिया :--
ताजमहल को लेकर पिछले कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विवाद के बीच अक्टूबर 26 को ताजमहल का दौरा किया. अब इसी बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास विंग अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति (ABISS) ने मांग की है कि ताजमहल में शुक्रवार को होने वाली नमाज़ पर रोक लगा दी जाए.
बता दें कि ताजमहल शुक्रवार को नमाज की वजह से बंद रखा जाता है. इंडिया टुडे से बात करते हुए ABISS के नेशनल सेकेट्ररी डॉ. बालमुकुंद पांडे ने कहा कि ताजमहल एक राष्ट्रीय संपत्ति है, तो उसे मुस्लिमों को धार्मिक स्थान के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत क्यों दी जाती है. ताजमहल में नमाज पढ़ने की प्रक्रिया पर रोक लगा देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों को वहां पर नमाज करने की इजाजत दी जा सकती है, तो हिंदुओं को शिव चालीसा पढ़ने की भी दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि दो दिन पहले ही हिंदू युवा वाहिनी के कुछ कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के बाहर शिव चालीसा का पाठ किया था.
पांडे बोले कि ये बात सिद्ध है कि ताजमहल एक शिवमंदिर था, जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था. ताज मोहब्बत की निशानी नहीं है, शाहजहां ने तो मुमताज की मौत के चार महीने बाद ही दूसरी शादी कर ली थी. उन्होंने कहा कि हम लोग इस बात की सबूत इकट्ठे कर रहे हैं, जिसके बाद हम सभी के सामने पेश करेंगे.
आपको बता दें कि अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इतिहास विंग है. जिसका मकसद इतिहास को राष्ट्रभक्ति के नजरिये से लिखना या उसे सही करना है.
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