पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं वैसे-वैसे इन राज्यों का सियासी पारा गर्म हो रहा है। नेताओं के जुबानी हमले भी बढ़ते जा रहे हैं और वे एक-दूसरे पर तीखा हमला बोलने से नहीं चूक रहे। इसी क्रम में एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने नवम्बर 8 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए विवादित बयान दिया। ओवैसी ने कहा कि भाजपा देश को 'मुस्लिम मुक्त भारत' बनाना चाहती है।
ओवसी ने कहा कि भाजपा देश को 'कांग्रेस मुक्त भारत' नहीं 'मुस्लिम मुक्त भारत' बनाना चाहती है। ओवैसी का यह बयान मुस्लिम समुदाय में डर पैदा करने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। तेलंगाना में सात दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और विधानसभा चुनावों के नतीजे 11 दिसंबर आएंगे। तेलंगाना में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं।
पांच नवंबर को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि यह महाकुटुम्बी (कांग्रेस-टीडीपी और अन्य के गठबंधन) नहीं है। यह 2018 की ईस्ट इंडिया कंपनी है। उन्होंने कहा, 'मैं आपको बताऊंगा क्यों। तेलंगाना का गठन किया गया था। अब तेलंगाना के फैसले नायडू द्वारा किए जाएंगे, जो विजयवाड़ा में बैठे हैं? नागपुर बेस्ड आरएसएस द्वारा? दिल्ली में कांग्रेस द्वारा?'
तत्कालीन जनसंघ यानि वर्तमान भाजपा पर आज तक मुस्लिम विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाने वाले, वास्तव में स्वयं ही साम्प्रदायिकता का नंगा नाच खेल देश में मुसलमानो का खौफ फैलाते हैं, और प्रतिक्रिया होने पर सारे छद्दम देशप्रेमी कौओं की भांति एकजुट होकर हाहाकार करने लगते हैं। यही कारण है कि मुस्लिम भाजपा के साथ जुड़ने के बावजूद भी भाजपा को वोट नहीं करते और वोटों का ध्रुवीकरण हो जाता है। राममंदिर के नाम पर कोर्ट को धोखा देकर जनमानस में विश्व हिन्दू परिषद्, आरएसएस, बजरंग दल और भाजपा के विरुद्ध विष घोलते हैं। क्या ऐसे नेताओं से देश को एकजुट रखने की कोई उम्मीद की जा सकती हैं? इन्ही जयचन्दों के कारण भारत मुग़ल और ब्रिटिश सरकार का गुलाम बना। इन्ही छद्दमों की वजह से मुस्लिम समाज अपने आपको मुख्यधारा से नहीं जोड़ पाया। मुस्लिमों को भाजपा से सुविधाएँ सारी चाहिए, लेकिन वोट नहीं देंगे।
अवलोकन करें:--
हाथ से संविधान लिखते प्रेम बिहारी नारायण रायजादा, कायस्थ आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ
इसी साल सितंबर महीने में तेलंगाना की चंद्रशेखर राव सरकार ने समय से पहले विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी। जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर लिया था। जबकि कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा था। तेलंगाना देश का सबसे नया राज्य है। 2014 में आंध्रप्रदेश के बंटवारे के बाद 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना का भारतीय राजनीति के नक्शे पर उदय हुआ।
ओवसी ने कहा कि भाजपा देश को 'कांग्रेस मुक्त भारत' नहीं 'मुस्लिम मुक्त भारत' बनाना चाहती है। ओवैसी का यह बयान मुस्लिम समुदाय में डर पैदा करने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। तेलंगाना में सात दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और विधानसभा चुनावों के नतीजे 11 दिसंबर आएंगे। तेलंगाना में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं।
पांच नवंबर को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि यह महाकुटुम्बी (कांग्रेस-टीडीपी और अन्य के गठबंधन) नहीं है। यह 2018 की ईस्ट इंडिया कंपनी है। उन्होंने कहा, 'मैं आपको बताऊंगा क्यों। तेलंगाना का गठन किया गया था। अब तेलंगाना के फैसले नायडू द्वारा किए जाएंगे, जो विजयवाड़ा में बैठे हैं? नागपुर बेस्ड आरएसएस द्वारा? दिल्ली में कांग्रेस द्वारा?'
तत्कालीन जनसंघ यानि वर्तमान भाजपा पर आज तक मुस्लिम विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाने वाले, वास्तव में स्वयं ही साम्प्रदायिकता का नंगा नाच खेल देश में मुसलमानो का खौफ फैलाते हैं, और प्रतिक्रिया होने पर सारे छद्दम देशप्रेमी कौओं की भांति एकजुट होकर हाहाकार करने लगते हैं। यही कारण है कि मुस्लिम भाजपा के साथ जुड़ने के बावजूद भी भाजपा को वोट नहीं करते और वोटों का ध्रुवीकरण हो जाता है। राममंदिर के नाम पर कोर्ट को धोखा देकर जनमानस में विश्व हिन्दू परिषद्, आरएसएस, बजरंग दल और भाजपा के विरुद्ध विष घोलते हैं। क्या ऐसे नेताओं से देश को एकजुट रखने की कोई उम्मीद की जा सकती हैं? इन्ही जयचन्दों के कारण भारत मुग़ल और ब्रिटिश सरकार का गुलाम बना। इन्ही छद्दमों की वजह से मुस्लिम समाज अपने आपको मुख्यधारा से नहीं जोड़ पाया। मुस्लिमों को भाजपा से सुविधाएँ सारी चाहिए, लेकिन वोट नहीं देंगे।
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