दरअसल, ब्रिज खोलने से पहले दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग एजेंसियों के साथ मिलकर एक सर्वे किया था। इसमें पाया गया कि सिग्नेचर ब्रिज पर ट्रैफिक जरुर स्मूथ हो जाएगा, लेकिन उसके आगे के इलाके में यानि वजीराबाद से भजनपुरा, यमुना विहार बी-ब्लाक, गोकुलपुरी की ओर ट्रैफिक कई गुणा बढ़ जाएगा।
सर्वे में पाया गया है कि यमुना विहार बी-ब्लाक से वजीराबाद पर बैक टू बैक यू-टर्न से ट्रैफिक बढ़ जाएगा, जिसका मुख्य कारण सडक की चौड़ाई कम है। इससे निजात पाने के लिए डिवाइडर की चौड़ाई कम करने की जरूरत पड़ेगी।
सर्वे के बाद ये निर्णय लिया गया कि गोकुलपुरी की ओर जाने वाली सड़क को साढ़े 6 मीटर चौड़ा करने की जरुरत है। खजूरी की ओर आने वाली रोड को ढाई मीटर चौड़ी करने की जरुरत है। इन कमियों के उजागर होने के बाद दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और पीडब्लूडी को चिठ्ठी लिखी है।
उल्लेखनीय है कि सिग्नेचर ब्रिज का प्रस्ताव 2004 में प्रस्तुत किया गया था जिसे 2007 में दिल्ली मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिली थी। शुरूआत में अक्टूबर 2010 में दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के पहले 1131 करोड़ रूपये की संशोधित लागत में पूर्ण होना था।
इस परियोजना की लागत 2015 में बढ़कर 1,594 करोड़ रूपये हो गई थी। खबरों के मुताबिक जब पहली बार इस ब्रिज को 1997 में प्रस्तावित किया गया था तब इसकी लागत 464 करोड़ रूपये आंकी गयी थी। यह ब्रिज वर्तमान में वजीराबाद पुल के वाहनों के बोझ को साझा करेगा।
No comments:
Post a Comment