अब अहमदाबाद का नाम बदलने की तैयारी

Vijay Rupaniकुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की घोषणा की थी। इसके बाद उन्होंने अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव के मौके पर फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या रखने का ऐलान किया था। इससे पूर्व योगी ने मुग़ल सराय का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर चुके हैं। अब नाम बदलने के इस क्रम में गुजरात सरकार भी शामिल होने जा रही है। राज्य की भाजपा सरकार भी अहमदाबाद शहर के नाम बदलने पर विचार कर रही है।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हम अहमदाबाद का नाम कर्णावती करने के बारे में लंबे समय से कानूनी दृष्टि से विचार कर रहे हैं। सभी कानूनी पहुलुओं पर विचार करके अगला कदम उठाया जाएगा। 'हम तब से इस बारे में सोच रहे हैं, जब हम सत्ता में आए थे।' इससे पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने गांधीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा था भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार अहमदाबाद का नाम बदलने के लिए तैयार है अगर वह कानूनी बाधाओं को पार कर लेती है और आवश्यक समर्थन हासिल कर लेती है।
पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘लोगों में अब भी ऐसी भावना है कि अहमदाबाद का नाम कर्णावती किया जाना चाहिए। कानूनी बाधाओं को पार करने में अगर हमें आवश्यक समर्थन मिलता है तो हम महानगर का नाम बदलने के लिए हमेशा तैयार हैं।’
We are contemplating changing the name of Ahmedabad to Karnavati, the talks of which have been going on since a long time. Concrete steps will be taken after looking at it from legal and all other angles. We will think about it in the time to come: Gujarat CM Vijay Rupani pic.twitter.com/9bVJiHo4ED
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवम्बर 7, 2018 को ही 'दीपोत्सव' समारोह में कुछ बड़ी घोषणाएं की थीं। मुख्यमंत्री ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या करने की घोषणा करने के अलावा अयोध्या में एक मेडिकल कॉलेज और एयरपोर्ट बनाने की भी घोषणा की। एयरपोर्ट का नाम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के नाम पर और मेडिकल कॉलेज का नाम राजा दशरथ के नाम पर होगा।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलसराय जंक्शन का नाम नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शनकरने उपर....

उत्तर प्रदेश में अब कई ऐसे-ऐसे छोटे-मोटे समूह सामने आ रहे हैं जो अब शहरों, जिलों और किसी भी इलाके के नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों में एक बात समान है वह है इनमें से अधिकतर समूह हिंदू समुदाय के हैं और जिस जगह के नाम बदलने की वे मांग कर रहे हैं उनके नाम सदियों पहले मुगल काल में रखे गए हैं। इनकी मांगों पर एक नजर डालें तो आजमगढ़ जिले को आर्यगढ़ करने की मांग की गई है। अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग रखी गई है वहीं मुजफ्फरनजर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर करने की मांग की जा रही है।
अहमदाबाद था कर्णावती, जामा मस्जिद थी भद्रकाली मंदिर
ये कहानी है एक सुंदर बसाहट वाले गौरवशाली हिंदू शहर की, जिसे ऐतिहासिक राज्य पाटन के  सोलंकी राजवंश के कर्णदेव सोलंकी ने बसाया था ..जिसे आज से करीब 700 साल पहले इतिहास में गुम कर दिया गया, और फिर एक मुस्लिम आक्रांता अल्लाउद्दीन खिलजी के दरिंदे सेनापति  अहमद शाह के नाम पर बसाकर यह झूठ फैलाया गया कि इसे उसी ने बसाया है । इस नगर की अद्भुत शौर्य-गाथा को खत्म कर रक्तरंजित बना देने की ये कहानी 1400 सदी में लिखी गई थी। यह कहानी कर्णावती शहर की है, जिसे आज आप अहमदाबाद के रूप में जानते हैं।
गुजरात का यह गौरवशाली नगर अलग-अलग युग में अलग-अलग नामों से जाना गया। कभी भद्रा, कभी कर्णावती, कभी राजनगर तो कभी असावल। मगर इन सारे नामों में एक बात आम रही कि ये सब हिंदू नाम थे। 9वीं से 14वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर मालवा-राजस्थान के शूरवीर परमार राजाओं का राज्य रहा। यह तथ्य है कि परमारों के दौर में यह नगर बहुत समृद्ध और खुशहाल हुआ करता था।
आप अहमदाबाद में अडालज में स्थित वाव यानी बावड़ी को देखिए ऐसा स्थापत्य कला आपको पूरे विश्व में नजर नहीं आएगा जहां हजारों कलाकृतियां हैं और सभी कलाकृतियों की सिमिट्री बिल्कुल एक जैसी है सोचिए आज के 800 साल पहले वह कैसे बनाई गई होंगी ..जिसे सोंलकी राजा ने अपनी रानी के लिए बनवाया था
फिर दौर आया जीवन-रस से भरपूर भारत में भूखे भेडि़यों के घुस आने का। यह दौर एक ऐसे भारत पर मुस्लिम आक्रांताओं के बर्बर हमलों का समय था, जब इस महान देश को खूब लूटा—खसोटा—नोंचा गया। सौन्दर्य, खान—पान, संगीत, पठन—पाठन और अच्छा जीवन जीने के शौकीन भारतीय हिंदुओं पर मुस्लिम आक्रांताओं ने लगातार हमले किए। तब तक, जब तक कि लड़ाका, शूरवीर या तो मारे नहीं गए, या टूट नहीं गए या फिर हाथ मिलाने को मजबूर नहीं हो गए।
पूरे भारत की देह पर जब मुस्लिम आक्रांताओं के रक्तरंजित खंजर अपने निशान गोद रहे थे, उसी दौर में कर्णावती पर भी पुरजोर हमला हुआ। यह समय 1400 ईस्वी का था। अपने व्यापार और समृद्धि के कारण प्रसिद्ध यह नगर भेडियों के नाखूनों से खूब नोंचा गया। बाजार उजाड़ दिए गए, मंदिर तोड़ दिए गए, लोगों को सरेआम हलाल किया, बच्चों को जिबह कर दिया गया। स्त्रियों के साथ क्या हुआ होगा, यह सोचना आज 700 साल बाद भी कंपकंपा देता है।
हमलावर था अहमद शाह और उसने  कर्णावती का नाम अपने घिनौने नाम पर कर दिया अहमदाबाद। रक्तरंजित, हारे और क्लांत नगर की पीठ पर लिख दिया गया कि 'इस नगर को अहमद ने आबाद किया इसलिए ये अहमदाबाद कहलाया'। और फिर शुरू हुआ कर्णावती की पहचान बदलने का षड्यंत्र। कर्णावती के विराट मां भद्रकाली के मंदिर का शिखर तोड़ा और उस पर तान दिया गुंबद। संस्कृत के मंत्र लिखे खंभे नोंचे गए और उन पर लिख दी गई हमलावरों की भाषा। मंदिर की छतों के भीतर पत्थर पर उकेरे गए सुंदर कमल के फूल मसल दिए गए। हजारों वर्षों तक जिस सभ्यता ने पल—पल करके बेजान पत्थरों के भीतर भी सौन्दर्य रचना सीखा था, उस सभ्यता के निशानों को असभ्य, उज्जड़ और अहमक आक्रांताओं ने नेस्तनाबूद कर दिया।
अंतत: भद्रकाली मंदिर को जामा मस्जिद बना दिया गया, और उस पर ठप्पा ठोंक दिया कि ये 'इस्लामी—अरबिक शैली की खूबसूरत इमारत है'। हुह.....सौन्‍दर्यप्रिय। जिन्‍होंने कभी रेतीले रेगिस्‍तान से आगे कुछ देखा न था, वे भूखे भेडि़ए कब से सौन्‍दर्यप्रिय हो गए थे ।
आज भी आप उस महान नगर कर्णावती यानी अहमदाबाद जाकर वहां स्थित उस भद्रकाली मंदिर यानी जामा मस्जिद की दीवारों पर देख सकते हैं कि वहां दीवारों—खंभों पर हाथी उकेरे हुए हैं, कमल के सुंदर फूल बने हुए हैं, देवी—देवताओं की प्रतिमाएं हैं। यदि इसे अहमद शाह ही बनवाता तो वह हिंदू देवी—देवताओं की प्रतिमाएं क्यों बनवाता! इस्लाम में तो मूर्तिपूजा हराम है ना!

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