2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को आज(नवम्बर 19) को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह केस बांबे हाईकोर्ट में लंबित है। इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं देंगे. बता दें कि इस मामले की सुनवाई बांबे हाईकोर्ट में 21 नवंबर को होनी है।
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने मांग की है कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में दर्ज केस में उनके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि कानून की धारा लगाई है, जिसके लिए जांच एजेंसी ने सरकार से पहले मंजूरी नहीं ली. इसलिए इस केस का ट्रायल रोका जाए।
कर्नल पुरोहित ने इस मामले से खुद को बरी किए जाने के लिए बांबे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस मामले में पुरोहित का कहना था कि एनआईए ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सेना से अनुमति नहीं ली थी। इस आधार पर उन्होंने खुद को बरी किए जाने की मांग की थी।
पिछले साल मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में थे। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जमानत दी थी।पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था। पुरोहित ने एटीएस पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था, जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और तकरीबन 80 लोग जख्मी हो गए थे।
अवलोकन करें:--
ज्ञात हो, जब मालेगाँव में यह दुर्घटना हुई थी, तब कर्नल पुरोहित आर्मी के ही आतंकवाद को हो रही फंडिंग के सूत्रों के तारों को पकड़ने के मिशन पर कार्य कर रहे थे। वह अपने काम के शायद अंतिम पड़ाव पर पहुँचने वाले ही थे, कि पिछली यूपीए सरकार ने झूठे आरोप में धर दबोचा। दरअसल, पुरोहित के हाथ सत्ता में एक बड़े नेता तक पहुँचने से पहले ही झूठे केस में आरोपित कर दिया गया। वैसे जिस नेता तक इनके हाथ पहुँचने वाले थे, उस नेता पर आतंकवाद का नाम कई बार डॉ सुब्रमण्यन स्वामी भी लेते रहे हैं। झूठा केस होने के कारण ही इतने वर्षों तक एटीएस उन पर कोई चार्ज फाइल नहीं कर पायी। साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित को झूठे आरोपों में आरोपित करना सिद्ध करता है कि आतंकवाद पर अंकुश लगाने का पिछली सरकार किस तरह जनता को भ्रमित कर "भगवा आतंकवाद" के नाम पर हिन्दू समाज को कलंकित करने में व्यस्त थी।
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने मांग की है कि मालेगांव ब्लास्ट मामले में दर्ज केस में उनके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि कानून की धारा लगाई है, जिसके लिए जांच एजेंसी ने सरकार से पहले मंजूरी नहीं ली. इसलिए इस केस का ट्रायल रोका जाए।
कर्नल पुरोहित ने इस मामले से खुद को बरी किए जाने के लिए बांबे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस मामले में पुरोहित का कहना था कि एनआईए ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सेना से अनुमति नहीं ली थी। इस आधार पर उन्होंने खुद को बरी किए जाने की मांग की थी।
पिछले साल मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में थे। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जमानत दी थी।पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया था। पुरोहित ने एटीएस पर उन्हें फंसाने का आरोप लगाया था। गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था, जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और तकरीबन 80 लोग जख्मी हो गए थे।
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