अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले यह किसान इकट्ठा हुए हैं। पूर्ण ऋण माफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजे की मांग और एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग को लेकर किसान जुटे हैं।
अभी कुछ दिन पूर्व एक चैनल पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की महाराष्ट्र में हुए किसान आन्दोलन पर पूछे प्रश्न का उत्तर स्मरण आता है, कि "आंदोलनकारियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके पास तो ज़मीन भी नहीं है, खेती कहाँ से करेंगे।"
हालांकि पिछले आंदोलन से ये आंदोलन काफी हद तक अलग है। एक तरफ किसानों की संख्या कम नजर रही है तो वहीं दूसरी ओर ये किसान बेहद व्यवस्थित हैं। पिछली बार सड़कों पर जमे किसान इस बार सामुदायिक भवन में ठहरे हुए हैं. इस बार इनका नेतृत्व योगेंद्र यादव कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने किसानों के कूच को देखते हुए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें साफ कहा है कि जंतर-मंतर पर एक हजार से ज्यादा लोगों का जमा होना प्रतिबंधित है। ऐसे में अगर किसानों की संख्या इससे ज्यादा जाती है तो उन्हें रामलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन करना होगा।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान-मजदूर संगठन दो दिनों तक देश की राजधानी दिल्ली में जुट रहे हैं। प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक, ‘किसान मुक्ति यात्रा’ नाम से किए जा रहे इस विशाल प्रदर्शन में किसान दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटेंगे और फिर वहां से संसद के लिए मार्च करेंगे।
करीब 200 किसान संगठनों की रैली
किसानों की तादाद को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एहतियातन एडवाइजरी जारी करते हुए बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर न जुटने के निर्देश दिए हैं।
किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने और कृषि उत्पाद लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराने की मांग को लेकर लगभग 200 किसान संगठनों के आह्वान पर आयोजित आंदोलन के लिये किसानों का दिल्ली का पहुंचना शुरू हो गया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा बुलाए गए संसद मार्च को वाम दलों सहित 21 राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है। मेघालय, जम्मू कश्मीर, गुजरात और केरल सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसानों के समूह सड़क और रेल मार्ग से दिल्ली और आसपास के इलाकों में इकट्ठा होने लगे हैं। समिति के संयोजक हन्नान मोल्लाह ने इसे अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन होने का दावा करते हुए कहा कि नवंबर 29 को रामलीला मैदान में किसान सभा के आयोजन के बाद नवंबर 30 को किसानों का हुजूम रामलीला मैदान से संसद मार्च करेगा.किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने और कृषि उत्पाद लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराने की मांग को लेकर यह प्रदर्शन बुलाया गया है।
योगेंद्र यादव इस मार्च की अगुवाई कर रहे हैं।
स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव किसानों के इस मार्च की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, 'बृजवासन में महिला किसानों ने आज सुबह हमारा स्वागत किया। ये सभी किसान मुक्ति मार्च शुरू करने वाले हैं।' किसानों का 25 किलोमीटर का यह मार्च मजनू का टीला, निजामुद्दीन और आनंद विहार से गुजरेगा। शाम के समय किसानों के लिए आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम 'एक शाम किसान के नाम' में गायक, लेखक और कवियों के शरीक होने की उम्मीद है।
सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'किसान 30 नवंबर को रामलीला मैदान से संसद भवन की तरफ मार्च करेंगे। पार्लियामेंट स्ट्रीट पर किसान नेता कृषि संकट से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे।' उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में भाजपा को छोड़कर अन्य दलों के नेता शामिल होंगे। ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने किसानों को राहत देने के लिए कौन से उपाय किए हैं।
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