उत्तर प्रदेश : 'गोडसे नगर' हो मेरठ का नाम, मनाया बलिदान दिवस--हिन्दू महासभा

गोडसे हैं महान पत्रकार व विचारक
महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फांसी की सजा दे दी गई थी। हिंदू महासभा के लोग इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं। हर बार की तरह इस बार भी मेरठ स्थित शारदा रोड कार्यालय में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान हिंदू महासभा के लोगों ने मेरठ का नाम बदलने की आवाज उठाई। उनका कहना था कि मेरठ का नाम बदलकर गोडसे नगर कर देना चाहिए।

गोडसे हैं महान पत्रकार व विचारक

महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने मीडिया से बातचीत के दौरान गोडसे को पत्रकार और एक महान विचारक बताया। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मेरठ का नाम बदलने को लेकर आवाजा उठाई। इसी कार्यक्रम में हापुड़ तथा गाजियाबाद जनपदों के नाम बदलने की मांग की गई। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष योगेंद्र वर्मा, पुरुषोत्तम उपाध्याय, अभिषेक अग्रवाल और देशबंधु गुप्ता मौजूद रहें।

गोडसे की मूर्ति की होती है पूजा

बता दें कि हिंदू महासभा के लोगों द्वारा गोडसे की मंदिर बनाने की कोशिश की जा चुकी है। बस इतना ही नहीं हिंदू महासभा ने तो अपने मेरठ स्थित दफ्तर में गोडसे की मूर्ति तक लगवा रखी है। जिसकी पूजा महासभा के लोग प्रतिदिन करते हैं। महासभा के अशोक शर्मा का कहना है कि हम चाहते हैं कि गोडसे का नाम सम्मान के साथ लिया जाए। उन्होंने इस दौरान चेतावनी देते हुए कहा कि अगर गोडसे का नाम सम्मान से नहीं लिया गया तो गांधी की तरह बाकी लोगों को भी यथास्थान पहुंचा सकते हैं। हिंदू महासभा का तर्क है कि विभाजन के बाद गोडसे ने महात्मा गांधी की सिर्फ हत्या नहीं कि बल्कि विभाजन के दौरान मारे गए हिंदुओं की मौत का बदला भी लिया था। यही वजह है कि महासभा के लोग चाहते हैं कि गोडसे का नाम सम्मान से लिया जाए।
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इन शहरों के नाम बदलने की उठ रही है मांग

इससे पहले इलाहाबाद तथा फैजाबाद जिले का नाम बदला चुका है। इसी बीच लखनऊ ,सुल्तानपुर, बिजनौर, गाजियाबाद सहित कई अन्य जिलों के नाम बदलने की मांग ने जोर पकड़ा है। लोगों का मानना है कि मुगलों द्वारा दिए गए नाम का भारतीयता से क्या वास्ता। योगी सरकार के आने के बाद से ही भगवाकरण व नाम बदलने का लगातार तेजी से किया जा रहा है।
दरअसल, जिस गोडसे को तुष्टिकरण और महात्मा गाँधी के अंधभक्त कातिल मानते हैं, राष्ट्र को जवाब दें : क्यों नाथूराम गोडसे के कोर्ट में दर्ज 150 बयानों के सार्वजनिक होने पर पाबन्दी लगाई थी? दूसरे, गाँधी हत्या उपरान्त आज़ाद भारत में हुए भयंकर चितपावन ब्राह्मणों का नरसंहार किसने और किसके कहने पर हुआ था? यह कटु सत्य है, यदि गोडसे के बयानों पर पाबन्दी नहीं लगी होती, आज शायद ही कोई गोडसे को कातिल कहने का साहस कर पता और ना ही कोई महात्मा गाँधी को इतना सम्मान देने की हिम्मत कर पाता। लेकिन सच्चाई को छिपा कर महात्मा गाँधी को सत्ता पाने के लिए ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। और इस कटु सत्य से हर राजनेता परिचित है कि गोडसे ने देशहित में ही गाँधी को मारा था।     

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