
- 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद अयोध्या के माहौल में गर्मी थी और सरयू का पानी उबल रहा था। उस वक्त अयोध्या में हर दूसरे हिंदू के घर पर भगवा झंडा लहरा रहा था। लेकिन इस दफा माहौल थोड़ा बदला हुआ है। विहिप की धर्म सभा से पहले अयोध्या अपनी सामान्य जिंदगी को जी रहा था। लिहाजा माहौल में 1992 वाली गर्मी नहीं है।
- इस समय 1992 के विपरीत मुस्लिम संगठनों ने एक तरह से चुप्पी साध रखी है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी भी सॉफ्ट हिंदुत्व के साथ आगे बढ़ रही है। लिहाजा विरोधी दलों की तरफ से भी उस तरह की बयानबाजी नहीं हो रही है।
- राज्य में सत्तासीन बीजेपी ने विहिप के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रही है। लेकिन 1992 में ये तस्वीर नहीं थी। बीजेपी और उसके कार्यकर्ता करीब से सभी घटनाक्रम को देख रहे हैं लेकिन सीधे तौर पर धर्म सभा में शिरकत करने से बचते हुए नजर आ रहे हैं।
1992 की हालात को समझने के लिए उससे पहले क्या हो रहा था उसे समझना जरूरी है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी की अगुवाई में रथयात्रा निकाली थी। इसके साथ ही विहिप और दूसरे संगठन जबरदस्त अंदाज में राम मंदिर के लिए माहौल बना रहे थे। देश के सबसे बड़े सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। वो बार बार कहा करते थे कि उनकी जान भले ही चली जाए लेकिन वो अयोध्या के माहौल के खराब नहीं होने देंगे। अपने बयानों को उन्होंने जमीन पर उतारा जिसमें बड़ी संख्या में कारसेवकों की गिरफ्तारियां शुरू हुईं। अयोध्या में जमे कार सेवकों पर गोलियां चलाई गईं जिसमें कारसेवकों की मौत हो गई। प्रदेश में खासतौर पर इस तरह का माहौल बनने लगा जिसकी वजह से राम मंदिर के लिए आस्था रखने वालों में गुस्सा इकठ्ठा होता गया।
समय बीतने के साथ मुलायम सिंह यादव की सरकार सत्ता से बाहर हो चुकी थी। यूपी की सियासत में नया चेहरा( कल्याण सिंह) लखनऊ की गद्दी पर आसीन था। तमाम हिंदूवादी संगठनों को ये संदेश गया कि अब उनकी आगे की राह आसान रहने वाली है। अयोध्या में एक बार फिर माहौल गरम था। विरोधी दल बार बार ये आरोप लगा रहे थे कि बीजेपी की प्रदेश सरकार कार सेवकों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। 1992 में देश के अलग अलग हिस्सों से कारसेवकों आ चुके थे और 6 दिसंबर 1992 तक माहौल में हद से ज्यादा गर्मी फैल चुकी थी। विवादित ढांचे के करीब ही बीजेपी के बड़े नेताओं का भाषण जारी था।किसी को शायद ये नहीं पता था ( हिंदूवादी संगठन दावा करते हैं) कि अयोध्या में एक ऐतिहासिक धार्मिक इमारत जमींदोज कर दी जाएगी। इन सबके बीच जानकारों का कहना है कि इस दफा 1992 या उससे पहला जैसा माहौल नहीं है।
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