
अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले उन्नाव के सांसद और भाजपा नेता साक्षी महाराज ने एक बार फिर बेबाक बयान दिया है। साक्षी महाराज ने जामा मस्जिद के अन्दर हिन्दू मूर्तियों की मौजूदगी बताते हुए धार्मिक इमारत को गिराने की बात कही है। एक रैली को संबोधित करते हुए साक्षी महाराज ने कहा जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां मौजूद हैं। भाजपा नेता ने यह भी कहा कि अगर वहां मूर्तियां नहीं मिलती हैं तो वह फांसी चढ़ने के लिए तैयार हैं।
साक्षी महाराज ने कहा, 'मैं जब राजनीति में आया तो मेरा पहला बयान मथुरा में था कि अयोध्या, मथुरा और काशी रहने दो दिल्ली की जामा मस्जिद तोड़ो। अगर सीढ़ियों में मूर्तियां नहीं मिलें तो मुझे फांसी पर लटका दिया जाए। अपनी बात पर मैं आज भी कायम हूं।'
भाजपा नेता ने हिन्दुओं पर अत्याचार के लिए मुगलों को दोषी ठहराया और कहा कि पूरे भारत में मन्दिरों को तोड़कर 2 हजार मस्जिदों का निर्माण किया गया था।
भारत के वास्तविक इतिहास से अज्ञान या अनदेखा करने वाले इसे साम्प्रदायिकता भड़काने वाला बयान के नाम से सम्बोधित करेंगे, परन्तु है यह कटु सच। शंका यह भी व्यक्त की जा रही कि रामजन्मभूमि मन्दिर बनने में यदि और अधिक अवरोध उत्पन्न किए जाने पर राममन्दिर का गुस्सा दिल्ली की जामा मस्जिद पर न निकल जाए।
सेवा निर्वित होने उपरान्त तत्कालीन पुरातत्व निदेशक डॉ के.के.मोहम्मद ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि इतिहासकारों ने खुदाई में मिले समस्त सबूत कोर्ट के समक्ष नहीं रखे गए। कोर्ट में केवल एक ही खम्बा दिखाया गया। अब वर्तमान सरकार को चाहिए कि देश के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने वाले समस्त इतिहासकारों की मान्यता समस्त कर काली सूची में डाला जाये। जिन्होंने ने चाँद चांदी के टुकड़ों की खातिर भारतीय इतिहास को ही धूमिल नहीं किया, बल्कि अपने जमीर ही को नहीं बेच अरबो भारतीयों के जीवन को डर के साये में रहने को विवश कर दिया।
स्मरण हो, 1986/87 में हिन्दुओं के तीर्थ स्थान अयोध्या, काशी और मथुरा के लिए संघर्ष करते विश्व हिन्दू परिषद ने कहा भी था कि "मुस्लिम इन तीन स्थानों से अपना हक़ छोड़ दें, अन्यथा बाकी लगभग 3000 से अधिक मन्दिर जिन्हे मस्जिद और दरगाह में परिवर्तित कर किया गया है, सब मुक्त करवा कर रहेंगे।" लेकिन तुष्टिकरण के पुजारियों ने अपनी तिजोरियों को भरने के चक्कर में हिन्दू जयचन्दों के साथ मिलकर जनता को गुमराह करते रहे और आज भी कर रहे हैं।उन परिवर्तित स्थानों में दिल्ली की जामा मस्जिद, हुमायूँ मकबरा, लाल किला और क़ुतुब मीनार आदि के नाम हैं।
दूसरे, लगभग तीन दशक पूर्व जब जामा मस्जिद के तत्कालीन शाही इमाम अब्दुल्ला बुखारी द्वारा नीचे खुदाई करवाए जाने का समाचार पुरातत्व विभाग में मिला, तुरन्त हस्तक्षेप कर खुदाई के काम को रुकवाया गया था। सम्भव है, मस्जिद में दबी मूर्तियों को हटाया जा रहा हो। कहते हैं, कि लाल किला में बनी सुरंगे जामा मस्जिद के नीचे से होती हुई रोशनारा रोड और अजमल खान में जाकर खुलती हैं। इस सन्दर्भ में Organiser weekly में समाचार भी प्रकाशित हुआ था।
इतना ही नहीं, 1985/86 में उर्दू दैनिक क़ौमी आवाज़ में एक जामा मस्जिद निवासी चिक्की परिवार का एक पत्र प्रकाशित हुआ था "अब्दुल्ला बुखारी किस हैसियत से शाही लब्ज़ इस्तेमाल कर रहे हैं?" इस पत्र में वक़्फ़ बोर्ड से सवाल भी किया था कि "क्यों हमें मस्जिद की मैनेजमेंट में सम्मिलित किया जाता, जबकि हमें इस मस्जिद का मुतलवी नियुक्त किया गया था?" जो स्पष्ट करता है कि कांग्रेस किस तरह विघटनकारी कामों को अंजाम देती रही है।
तीसरे, जब कश्मीरी गेट से बदरपुर तक की मेट्रो खुदाई में सुभाष मैदान में जो मन्दिर निकला, जिसे मस्जिद बताया जा रहा है, के विषय में उस समय एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते विस्तार से स्पष्ट लिखा था कि "खुदाई में मिली मस्जिद या मन्दिर जो कुछ भी था, मेट्रो विभाग ने पुरातत्व विभाग को क्यों नहीं सौंपी? क्यों तत्कालीन मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित को सौंपा और शीला दीक्षित ने क्षेत्रीय विधायक शोएब इक़बाल को सौंप क्यों? आखिर मेट्रो और दीक्षित ने पुरातत्व विभाग को किस आधार पर अनदेखा किया? मुग़ल समय तक यमुना दरिया गंज तक बहती थी, और किसी भी नदी के किनारे आपको मंदिर ही मिलेंगे, कोई मस्जिद नहीं, मेट्रो और शीला दीक्षित का यह शरारत भरा कदम है।" अयोध्या में हुई खुदाई में मंदिर के सबूतों को कोर्ट से छुपाया गया, ठीक उसी तरह की शरारत खुदाई में मिली तथाकथित मस्जिद के साथ कर देश का सौहार्द बिगड़ने का काम कांग्रेस करती रही है।
शंकराचार्य हिल्स का नाम परिवर्तित करने पर कश्मीर जाकर विरोध करते कश्मीर में शंकराचार्य जितेंद्र सरस्वती |
http://www.hinduhumanrights.info/kashmiri-hindus-protest-against-renaming-of-shankaracharya-hill/
कहते हैं यह हिल 250BC की है। जहाँ जगतगुरु शंकराचार्य आत्म मंथन करते थे। इतिहास से छेड़छाड़ का दुस्साहस जवाहर लाल के चहिते मौलाना आज़ाद को केन्द्रीय शिक्षा मन्त्री के कार्यकाल से शुरू हो गयी थी। मौलाना आज़ाद, जिन्हे हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ ने लगभग 6000 से अधिक वोटों से हरा दिया था, लेकिन लोकतन्त्र का रोने वाली कांग्रेस के जवाहर लाल ने भारत के लोकतंत्र की निर्मम हत्या कर विजयी घोषित सेठ को पराजित घोषित करवा दिया था।
अवलोकन करें:--
और जैसे ही जिलाधिकारी ने उनसे कहा कि मतगणना दुबारा होगी तो सेठ विशन चन्द्र ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि मेरे सभी कार्यकर्ता जुलुस मे गए है ऐसे मे आप बिना मतगणना एजेंट के दुबारा कैसे मतगणना कर सकते है ? उनको मिले मतों में उनके ही सामने मौलाना आज़ाद के बक्से में डालने पर विशन सेठ चीखते-चिल्लाते रहे, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी और जिलाधिकारी के साफ साफ कहा कि सेठ जी हम अपनी नौकरी बचाने के लिए आपकी बलि ले रहे है क्योंकि ये नेहरु का आदेश है।
There were about 6000 places that were broken down by the Mughal emperors. Delhi's Jama Masjid was originally Jamuna Devi temple, similarly Taj Mahal was Tejo Mahalaya: Vinay Katiyar
इस दौरान कांग्रेस नेताओं को बाबर, औरंगज़ेब और शाहजहां की औलाद बताते हुए कहा कि इस मुद्दे को जीवित रखने के लिए बाबरी के पक्षकार कांग्रेस नेता कपिल सिबल 2019 के बाद सुनवाई चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि "हम विवाद को आगे नहीं बढ़ाना चाहते, इसलिए शान्ति से अयोध्या में रामजन्म स्थान, काशी विश्वनाथ मन्दिर और मथुरा में कृष्णजन्म स्थान दे दें, अन्यथा आगे संघर्ष के लिए तैयार रहे। कहाँ तक और कब तक इतिहास को झुठलाओगे?
इस बीच बीजेपी के एक अन्य सांसद रविंद्र कुशवाहा ने दावा किया है कि केंद्र सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में राम मंदिर को लेकर विधेयक लाने की तैयारी कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर विधेयक राज्यसभा में गिर जाता है तो सरकार इसके लिए अध्यादेश भी लाएगी। गौरतलब है कि राम जन्मभूमि से जुड़ा मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसकी सुनवाई चल रही है।
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