
दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि आंतकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। गोखले ने बताया कि बातचीत के दौरान पेंस ने 26 नवम्बर को मुंबई आतंकवादी हमले के 10 वर्ष पूरा होने का जिक्र किया और आंतकवाद को शिकस्त देने के लिए दोनों पक्षों के बीच सहयोग की सराहना की।
मोदी ने सहानुभूति जताने के लिए पेंस का आभार जताया, साथ ही किसी भी देश अथवा संगठन का नाम लिए बिना कहा कि विश्व भर में हुए आतंकवादी हमलों के सभी सुराग किसी न किसी प्रकार से 'एक ही सूत्र और एक ही स्थान से उपजे होने' की ओर इशारा करते हैं।
उनका इशारा परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर था।गौरतल है कि विश्व भर में हुए आतंकवादी हमलों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी मूल के लोगों का हाथ होने की बात सामने आई है। कैलिफोर्निया के सैन बर्नार्डिनों में दो दिसंबर 2015 को पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति की गोलीबारी में 14 लोग मारे गए थे
वहीं जून 2017 में लंदन में चाकू से हमला करने वाले तीन आतंकवादियों में से एक पाकिस्तानी मूल का था।इस हमले में सात लोग मारे गए थे और 49 लोग जख्मी हो गए थे।
मोदी ने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की पार्टी के पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव लड़ने पर भी चिंता जताई। गोखले ने बताया, 'उन्होंने (मोदी) कहा कि मुंबई हमले में शामिल लोगों को पाकिस्तान में हाल ही में हुए चुनाव में एक राजनीतिक प्रक्रिया में मुख्यधारा में लाना केवल दो देशों भारत और अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का कारण होना चाहिए।'
पाकिस्तान में हाल ही में हुए चुनाव में कुछ खुंखार आतंकवादी सरगना भी खडे़ हुए थे। विदेश सचिव ने कहा, 'दोनों देशों के बीच इस बात पर अच्छी सहमति बनी है कि आंतकवाद निरोधक सहयोग को किस प्रकार से आगे बढ़ाया जाए साथ ही दोनों देशों ने स्वीकार किया है कि यह एक चुनौती है जिसके खिलाफ हमें एक साथ तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिल कर लड़ना है।'
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का समर्थक बना हुआ है और इसके अलावा वो मानवता के लिए सीरिया की तुलना में 3 गुना ज्यादा खतरनाक है। 'ह्यूमनिटी एट रिस्क- ग्लोबल टेरर थ्रेट इंडिकेंट (GTTI)' शीर्षक वाली रिपोर्ट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्ट्रैटजिक फोरसाइट ग्रुप (SFG) द्वारा प्रकाशित की गई है। जीटीटीआई के मुताबिक, अफगान तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अधिकतम खतरा पैदा किया है, वहीं पाकिस्तान को सबसे ज्यादा आतंकवादी अड्डों और उनके लिए सबसे सुरक्षित वाले देशों की सूची में रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया, 'यदि हम तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर सबसे खतरनाक आतंकवादी समूहों को देखते हैं, तो हम पाते हैं कि पाकिस्तान उनमें से सबसे ज्यादा उनकी सहायता करता है। इसके अलावा, अफगानिस्तान में स्थित समूहों की एक बड़ी संख्या है, जो पाकिस्तान के समर्थन से संचालित होते हैं।'
80 से अधिक पेज की रिपोर्ट, जो अगले दशक में सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए तैयार की गई है, आतंकवाद से निपटने के लिए नीति निर्माताओं के लिए एक विश्लेषणात्मक रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
रिपोर्ट में कहा गया कि हर प्रकार का उग्रवाद, सामूहिक विनाश के हथियारों का दुरुपयोग और आर्थिक व्यवधान, अब से 2030 तक मानव प्रगति को कमजोर कर सकते हैं। वे सभी आतंकवाद से जुड़े हुए हैं।
स्ट्रैटजिक फोरसाइट ग्रुप ने 21वीं शताब्दी के पहले आधे दशक में आतंक के कृत्यों को करने में सक्रिय रूप से शामिल कुछ 200 समूहों का विश्लेषण किया। इनमें से, आईएसआईएस ने पिछले पांच वर्षों में मीडिया में अधिक जगह बनाई है, लेकिन आईएसआईएस के तेज वृद्धि और गिरावट के साथ, अल-कायदा सबसे लचीला नेटवर्क बना हुआ है।
2011 तक इसका नेतृत्व ओसामा बिन लादेन ने किया था, लेकिन अब उसका बेटा हमजा बिन ओसामा बिन लादेन उभरा है। आतंकवादी समूहों के भविष्य को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक राज्य, खुफिया एजेंसियां और आपराधिक नेटवर्क से प्राप्त समर्थन होगा।
रिपोर्ट में अफगानिस्तान, लीबिया, सीरिया, यमन और दूसरे देशों के साथ जुड़े वैश्विक आतंकवादी संगठनों के बारे में व्यापक विवरण भी दिए गए हैं।
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