हिंदुस्तान अखबार में सूत्रों के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली नगर निगम की तरफ से दिसंबर के अंत तक सर्वे का काम किया जाना है और इसके बाद ही सीलिंग की कार्रवाई शुरू होगी. इस तरह नए साल 2019 में कारोबारियों पर फिर से गाज गिरनी शुरू हो जाएगी.
अवलोकन करिये:--
दिल्ली में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहाँ भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है। और इन क्षेत्रों में कार्यवाही करने का किसी में साहस भी नहीं। सरकारी जमीन पर अधिक्रमण कर रखा है। यदि गम्भीरता से जाँच की जाए, तो सर्वप्रथम उन अधिकारियों और नेताओं के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाए, जिनके कार्यकाल में सरकारी ज़मीन का अधिक्रमण या अवैध निर्माण किया गया। 2014 चुनावी रैलियों में भाजपा भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने को कहती थी, लेकिन दिल्ली की तीनों नगर निगमों पर भाजपा का ही कब्ज़ा है, भाजपा बताए नगर निगमों में कितना भ्रष्टाचार समाप्त हुआ? फिल्म "उपकार" का एक चर्चित संवाद है "राशन पर भाषण है, भाषण पर कोई राशन नहीं" जो आज भी हमारे नेता समाज पर सटीक बैठता है। नगर निगमों में सत्ता अगर भाजपा की है तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के भी सदस्य हैं, कोई नहीं बोलता। चुनाव आएंगे, तब सभी नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार पर लम्बे-चौड़े भाषण देते नज़र आएंगे। लेकिन किसी भी मतदाता ने यह पूछ लिया, "जब सदन में तुम्हारी पार्टी विराजमान थी, क्यों नहीं आवाज़ उठाई? क्यों नहीं धरने या प्रदर्शन किये?" तुरन्त उस मतदाता पर विरोधी पक्ष का होने का आरोप लगाकर बदनाम कर देंगे।
खबर में कहा गया है कि डीएसआईडीसी ने ईडीएमसी को जिन 6400 फैक्ट्रियों की जो फाइल सर्वे के लिए सौंपी है, उनमें वह फैक्ट्री शामिल है, जिन्हें बवाना या दूसरी इंडस्ट्रीयल एरिया में प्लॉट अलॉट नहीं हुए हैं.
अधिकारियों का मानना है इनमें से ज्यादा फैक्ट्रियां अभी पूर्वी दिल्ली में ही चल रही हैं और इनमें से ज्यादातर प्रदूषण फैलाने वाली हैं. इनमें रंगाई-डाई करने वाली फैक्ट्रियां खास तौर पर शामिल हैं. इसलिए इनके खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है.
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