दरअसल, मतदाताओं का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद हो चुका है और परिणाम आना बाकी है। इस दौरान ईवीएम की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इसको लेकर लगातार लापरवाही के मामले भी सामने आ रहे हैं जिससे विवाद बढ़ता जा रहा है और इसे लेकर अब चुनाव आयोग को सफाई देनी पड़ रही है। प्रदेश के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के विधानसभा क्षेत्र खुरई से ईवीएम मशीनों के 48 घंटे देरी से स्ट्रॉग रूम तक पहुँचने का मामला सामने आया है, जिसके बाद नायब तहसीलदार को सस्पेंड कर दिया गया।
इसी तरह से राजधानी भोपाल के स्ट्रांग रूम के बाहर लगी एलईडी के कुछ देर के लिए बंद होने का मामला भी सामने आया, जिसके बाद कांग्रेस द्वारा आरोप लगाया गया कि एलईडी बंद होने के पीछे भाजपा का हाथ है और इसको लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा जमकर हंगामा किया गया। ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सतना और खरगोन से भी शिकायतें आ चुकी हैं।
आ रही इन शिकायतों को देखते हुये कांग्रेस पार्टी ने निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंप कर ईवीएम मशीनों में छेडछाड की संभावना जताते हुये मांग की कि ईवीएम मशीनों की निगरानी के लिए लगाये गए कैमरों की रिकार्डिंग का लिंक सार्वजनिक किया जाये तथा मशीनों की निगरानी के लिये उसके कार्यकर्ताओं को स्ट्रांग रूम के नजदीक स्थान उपलब्ध कराया जाये, जहां से वे स्ट्रांग रूम पर नजर रख सकें।
इस सम्बन्ध में कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी साजिश का अंदेशा जताते हुये ट्वीट किया है कि “मेरा प्रदेश के सभी जाबांज़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी अनुरोध है कि वो भी मतगणना तक स्ट्रांग रूम पर कड़ी नजर रखे जिससे भाजपा किसी भी तरह की साज़िश में कामयाब ना हो सके।”
ईवीएम मशीनों की सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग ने किसी भी गड़बड़ी की संभावना से इनकार करते हुये कहा है कि ‘चुनाव में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है और जो घटनायें सामने आयी है वे महज मानवीय भूल हैं।’
कांग्रेस को मतगणना में गड़बड़ी की आशंका
कांग्रस को मतगणना में भी गड़बड़ी का डर सता रहा है इसलिये पार्टी अपने प्रत्याशियों को मतगणना में गड़बड़ी रोकने के लिये ट्रेनिंग देने जा रही है। इसके लिये कांग्रेस के सभी 229 प्रत्याशियों को 6 दिसंबर को भोपाल बुलाया गया है जिसमें उन्हें मतगणना के दौरान क्या सावधानी बरतनी है और इस दौरान होने वाली गड़बड़ियों को कैसे पहचानना और रोकना है इसके बारे में बताया जायेगा।
इतने वर्षों तक कांग्रेस क्यों चुप रही?
ज्ञात हो, ईवीएम की शुरुआत कांग्रेस ने ही की थी, और उसी कांग्रेस पार्टी द्वारा इसका विरोध करना हास्यप्रद लगता है। इसका अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि कांग्रेस को मालूम है ईवीएम में किस तरह गड़बड़ी की जा सकती है। अगर ईवीएम का प्रयोग उचित नहीं था, इतने वर्षों तक कांग्रेस क्यों चुप रही?
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