गठबंधन के साथ मायावती ने किया सीटों का ऐलान, कांग्रेस-बीजेपी को जमकर कोसा

SP BSP Alliance
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
उत्तर प्रदेश की राजनीति लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तेजी से करवट ले रही है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का ऐलान हो चुका है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने साझा प्रेस कांफ्रेंस किया. मायावती ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की साझा प्रेस कांफ्रेंस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने वाली है. पहले 1993 में कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन करके उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें में बड़ी सफलता मिली थी. मायावती ने स्पष्ट किया कि गेस्ट हाउस कांड से ऊपर उठते हुए हमने यह गठबंधन करने का फैसला लिया है. हमने देशहित में गेस्ट हाउस कांड को भुला दिया है. उन्होंने कहा कि लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से ऊपर जनहित है।
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क्या है गेस्ट हाउस कांड: साल 1993 में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। दिसंबर 1993 में गठबंधन की सरकार बनी थी लेकिन इसके बाद जून 1995 में मायावती ने गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया। बसपा के समर्थन वापस लेते ही मुलायम सिंह यादव की पार्टी कम मतों की स्थिति में आ गई और मायावती ने सत्ता में आने के लिए बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद उन्मादी लोगों एक गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया था जिसमें मायावती ठहरी हुई थीं
मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं कि सपा के समर्थन वाली भीड़ मायावती को समर्थन वापस लेने के लिए सबक सिखाना चाहती थी। इस कांड को लेकर मायावती कहती रही हैं कि उस दिन जान लेने के इरादे से उन पर हमला किया गया था और वह किसी तरह वहां से बच निकली थीं। इस घटना के बाद से सपा और बसपा में कड़वाहट बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और शायद तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि दोनों पार्टियां भविष्य में दोबारा गठबंधन करेंगी।
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दोनों ही नेता ताज होटल में यह वार्ता कर रहे हैं। अखिलेश यादव यहां मायावती की अगवानी करेंगे।लोकसभा चुनाव के लिए दोनों नेता सीटों के बंटवारे का ऐलान करेंगे। 25 साल बाद सपा-बसपा का गठबंधन बना है. यह गठबंधन बीजेपी जैसे घोर जातिवादी और सांप्रदायिक पार्टी से लड़ने के लिए बनी है. यह गठबंधन न केवल दो पार्टियों का गठबंधन है बल्कि बहुसंख्यक समाज का गठबंधन है.
  • सपा और बसपा दोनों मिलकर भाजपा के अत्याचारों का मुकाबला करेंगे। भाजपा ने यूपी को जाति प्रदेश बनाया: मायावती
  • जख्मी लोगों के इलाज से पहले आज उनकी जाति पूछी जा रही है, धर्म के नाम पर भाजपा समाज में नफरत बढ़ा रही है: अखिलेश
  • भाजपा सरकार में बेकसूर लोगों के एनकाउंटर हो रहे हैं। बीजेपी ने समाज में नफरत बढ़ाई- अखिलेश यादव
  • 38-38 सीटों पर सपा और बसपा चुनाव लड़ेंगे जबकि 2 सीटें अन्य दलों के लिए हैं और रायबरेली तथा अमेठी की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई है- मायावती
  • हमसे कांग्रेस फायदा ले लेती है लेकिन हमें कुछ नहीं मिलता: मायावती
  • बीजेपी घोर जातिवादी, सांप्रदायिक है. 1993 में भी हमारा गठबंधन हुआ था, मगर कुछ कारणों से हमें अलग होना पड़ा था: मायावती
  • लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से जनहित के मुद्दे को ऊपर रखते हुए हमने गठबंधन करे का फैसला किया है: मायावती
  • जनविरोधी पार्टी को सत्ता में आने से रोकेंगे। भाजपा ने यूपी में बेईमानी करके सरकार बनाई: मायावती
  • भाजपा के राज में अघोषित इमरजेंसी लगी हुई है। भाजपा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। आने वली विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1977 की तरह नुकसान उठाना पडेगा- मायवाती
  • कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही एक नीति, कांग्रेस ने देश में इमरजेंसी लगाई, बोफोर्स में कांग्रेस की सरकार गई, राफेल में भाजपा की सरकार जाएगी: मायावती
  • कांग्रेस के शासन में सबसे ज्यादा घोटाले हुए। कांग्रेस के साथ लड़ने से हमें कोई फायदा नहीं मिलता: मायावती
  • बड़े व्यापारियों को खुश करने के लिए उनके कर्ज माफ किए जा रहे हैं: अखिलेश
  • केंद्र की गलत नीतियों के कारण किसान आत्महत्या कर रहे: अखिलेश
  • BJP ने बेईमानी से UP में सरकार बनाई: मायावती
याद होगा जनवरी 2017 का वो दिन, जब लखनऊ के ताज होटल में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी के लड़कों ने एक गठबंधन का ऐलान किया था। जी हां, वो थे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और राहुल गांधी और तारीख थी 29 जनवरी 2017। तब दोनों नेताओं ने लखनऊ के ताज होटल में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में यूपी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया था। आज एक बार फिर उसी ताज होटल में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी है लेकिन दूसरा चेहरा बदला हुआ है। यहां बुआ और भतीजे (मायवती-अखिलेश) की प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी है।
हालांकि 2017 में हुआ गठबंधन सफल नहीं हुआ था और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ही नहीं बल्कि कांग्रेस को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। तब कांग्रेस को 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद महज 7 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी जबकि समाजवादी पार्टी को 47 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। अब तस्वीर बिल्कुल अगल है और सामने हैं लोकसभा चुनाव। समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन हो गया है जिसका औपचारिक ऐलान आज खुद दोनों दल के प्रमुख- मायावती और अखिलेश यादव करेंगे।
BSP Chief Mayawati: Moreover, we won't gain anything by including Congress in our alliance. Both BSP and SP have experienced in the past that Congress's vote is not transferrable
सूत्रों के मानें तो उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से सपा और बसपा की योजना 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ने की है। इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को भी दो या तीन सीटें देने की चर्चा है। हालांकि आरएलडी ने 6 सीटों पर लड़ने की मांग की है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सीट अमेठी और सोनिया गांधी की सीट रायबरेली पर महागठबंधन अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगा।

निषाद पार्टी को भी महागठबंधन में शामिल किया जा सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 80 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने 73 सीटें जीती थीं और इस बार उसके नेता 73 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। आपको बता दें कि बसपा-सपा, कांग्रेस और रालोद ने साथ मिलकर उपचुनाव लड़ा था जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट और उप मुख्यमंत्री की फूलपुर सीट से सपा उम्मीदवारों की जीत मिली थी। जबकि कैराना सीट पर रालोद प्रत्याशी ने भाजपा से यह सीट छीनी थी।
अवलोकन करें:--
खामोश मीडिया क्यों?
स्वतन्त्र भारत में इतनी भयानक घटना घटती है, मीडिया में कोई चर्चा ही नहीं होती। माना जा रहा है कि यह घटनाक्रम कांग्रेस समर्पित सरकार के राज में होने के कारण मीडिया इसे छुपाने की कोशिश कर रही है। यही नहीं, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अखिलेश यादव के कार्यकाल में एक मुस्लिम पदाधिकारी द्वारा के दलित को मूत्र पिलाये जाने पर भी मीडिया खामोश रही। उस समय भी किसी #metoo#mob lynching, #intolerance#not in my name, और #award vapsi आदि गैंग के मुँह से आवाज़ तक नहीं निकली थी।
अब प्रश्न यह है कि कांग्रेस अपने राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में असफल है। लेकिन राहुल गाँधी भी अब तक खामोश हैं।

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स्मरण हो, अक्टूबर 2013 में पूर्व तत्कालीन मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में मुज़फ्फर नगर दंगा हुआ था, जिसमे अखिलेश ने आर्मी की सहायता भी ली थी। आर्मी के सक्रिय होते ही, अखिलेश की रातों की नींद और रोटी हराम हो गयी। आर्मी को छापेमारी के दौरान घरों के साथ-साथ मस्जिदों तक में से इतना असला बरामद हुआ, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उस समय प्राप्त समाचारों के अनुसार आर्मी साहिबाबाद से लेकर सहारनपुर तक तलाशी की योजना बना ही रही थी कि तुष्टिकरण के पुजारी अखिलेश यादव ने केन्द्र की सहायता से आर्मी कार्यवाही को रुकवा दिया। जिस व्यापक स्तर पर आर्मी छापेमारी कर रही थी, उससे अखिलेश ही नहीं छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपने वोट बैंक की चिन्ता हो गयी। यदि अखिलेश और उनके समर्थक छद्दम धर्म-निरपेक्षों ने अपने वोट की बजाए प्रदेश और देशहित के बारे में सोंचा होता, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आतंकियों का गढ़ नहीं बनता।
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उत्‍तर प्रदेश आतंकियों के गढ़ के रूप में उभर रहा है। पश्चिम यूपी में आतंकी पनाह लेकर बड़े स्‍तर पर अपनी गतिविधियों...


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बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती को अब तक का सबसे करारा जवाब दि....
मायावती जी का अपमान मेरा अपमान : अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी से अगर हमें दो कदम पीछे भी हटना पड़ेगा तो हम हटेंगे और बीजेपी को कड़ा जवाब देंगे. आदरणीय मायावती का सम्‍मान मेरा सम्‍मान है और अगर कोई भी मायावती जी का अपमान करता है तो वो मेरा अपमान होगा. हमें संयम और धैर्य से काम लेना है. बीजेपी के हर षड्यंत्र को बेकार करना है.(इनपुट सहित)

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