प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव बनाए जाने पर उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने बधाई दी है। प्रियंका की इस ताजपोशी पर खुशी जाहिर करते हुए वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा कि वह नई राजनीतिक पारी के लिए प्रियंका को शुभकामनाएं देते हैं। वाड्रा ने कहा कि वह जीवन के हर मोड़ पर प्रियंका का साथ देंगे। प्रियंका गांधी अभी विदेश दौरे पर हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनवरी 23 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के महासचिव पद पर अपनी बहन प्रियंका गांधी की नियुक्ति की। कांग्रेस ने प्रियंका की राजनीतिक भूमिका लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ाई है। वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, 'बधाई....मैं हमेशा और जीवन के हर मोड़ पर आपके साथ हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।'
प्रियंका को सक्रिय राजनीती में लाने का दूसरा कारण है, प्रियंका और उनके पति रोबर्ट वाड्रा के विरुद्ध चल रहे घोटालों की जाँच।
प्रियंका गांधी की अब तक सक्रिय राजनीति से दूरी रही है। वह अब तक अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रही हैं। अमेठी से उनके भाई राहुल गांधी सांसद हैं जबकि रायबरेली से उनकी मां सोनिया गांधी सांसद हैं। समझा जाता है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को यूपी की राजनीति में उतारकर सपा और बसपा पर दबाव बनाने एवं मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनावों में उसे महज दो सीटें मिली थीं। जबकि 2017 के विधानसभा चुनावों में उसे सात सीटें मिलीं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। यूपी में सपा-बसपा का गठबंधन हो जाने के बाद उसके पास अकेले चुनाव लड़ने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं बचा है। ऐसे में कांग्रेस अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ना चाहती है। राहुल गांधी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी।राजनीति में प्रियंका की एंट्री को कई तरीके से देखा जा रहा है। कुछ का मानना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के लिए उठाया गया है जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इससे ज्यादा अंदर नहीं आना है। वहीं बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी की फेल होने पर ये फैसला किया गया है।
कांग्रेस पार्टी के इसी फैसले पर Times Now Hindi ने ट्विटर पर लोगों से सवाल किया। लोगों से पूछा गया कि 'प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने से क्या कांग्रेस को फायदा होगा?' 2 घंटे में करीब 1450 लोगों ने इस पर अपनी राय दी।
इस सवाल के जवाब में 28% लोगों ने हां में जवाब दिया, जबकि 72% ने ना में जवाब दिया। यानी कि 28 फीसदी लोग ही मानते हैं कि प्रियंका के मैदान में उतरने से कांग्रेस को फायदा होगा, जबकि 72 फीसदी लोगों का मानना है कि कोई फायदा नहीं होगा।
19 hours left
वहीं Times Now के ट्विटर हैंडल पर पूछा गया कि 'क्या प्रियंका गांधी पीएम मोदी की अपील का मुकाबला कर सकती हैं?' इसके जवाब में 25% लोगों ने हां कहा, जबकि 75% ने ना कहा। यानी कि सिर्फ 25 फीसदी लोगों ने माना कि प्रियंका पीएम मोदी का मुकाबला कर सकती हैं, जबकि 75 फीसदी ने माना कि नहीं कर सकती है। 3 घंटे में इस पोल में करीब 2500 लोगों ने वोट किया।
कांग्रेस इसे ट्रम्प कार्ड बता रही है, वहीं भाजपा का दावा है कि इससे 2019 के चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस बीच, यह जानना रोचक होगा कि प्रियंका की कुंडली क्या कहती है?
प्रियंका की कुंडली कहती है कि उन्होंने अपनी जिंदगी के सर्वश्रेष्ठ समय में राजनीति में प्रवेश किया है। कुंडली के मुताबिक, 2003 से 20 साल के लिए प्रियंका शुक्र की दशा से गुजर रही हैं और यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय रहेगा। 21वीं सदी में वे जीवन का नया मुकाम देखेंगी।
प्रियंका का जन्म 12 जनवरी 1972 को हुआ है। उनके जन्म के समय मिथुन का उदय हो रहा था जो आध्यात्मिक और विशिष्ट रूप से बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है।
कुंडली के मुताबिक, प्रियंका के राजनीति में आने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन यह भी तय है कि एक बार जब उन्होंने सियासत में कदम रख लिया तो पीछे मुडकर नहीं देखेंगी। लोग उन्हें अगाध प्रेम देंगे और पार्टी के लिए वे शानदार काम करेंगी।
कांग्रेस में प्रियंका गांधी को आगे लाने की मांग
कांग्रेस में प्रियंका गांधी को आगे लाने की मांग जो़र पकड़ती जा रही थी। कई बड़े नेता अब इस अभियान में शामिल होकर चाहते थे कि प्रियंका को पार्टी में महत्वपूर्ण रोल दिया जाए। पार्टी की लोक सभा चुनाव में दुर्गति देखने के बाद वहां यह बात जो़र पकड़ रही है कि शीर्ष नेतृत्व में कुछ बदलाव हो। लोक सभा चुनाव में पार्टी को महज 44 सीटें मिलीं।
अवलोकन करें:--
मणिशंकर अय्यर बोले – पार्टी को प्रियंका गांधी का इंतजार
पहले तो कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रियंका को लाने के पक्ष में नारे लगा रहे थे लेकिन अब कुछ पूर्व मंत्री भी इस मांग में शामिल हो गए। उन्होंने भी मांग रख दी है कि पार्टी प्रियंका गांधी की भूमिका बड़ी करे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने आज तक के साथ खास बातचीत में कहा है कि पिछले सात सालों से कार्यकर्ता से नेता तक हर कोई प्रियंका गांधी को पार्टी में देखना चाहता है।1998 से पहले हम चाहते थे कि सोनिया गांधी पार्टी में आएं, वो आईं और उन्होंने पार्टी का भविष्य बदल डाला।
उन्होंने कहा कि प्रियंका एक बड़े राजनीतिक परिवार से हैं और राजनीति को बेहतर समझती भी हैं। हमें पार्टी में उनका इंतजार है। हमें खुशी होगी अगर वह पार्टी ज्वाइन कर सक्रिय राजनीति में आती हैं। अब ये उनका फैसला हैं कि वो कब आएंगी।
उन्होंने कहा, ‘मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजा है जिसमें लिखा है कि पार्टी को किस-किस दिशा में काम करने की जरूरत है. इसकी एक कॉपी राहुल गांधी को भी मैंने भेजी है।’
विपक्ष का नेता कौन होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनना चाहिए. लेकिन हमारे पास सोनिया गांधी का भी विकल्प है। ये पार्टी को तय करने दें।’
हार से निराश अय्यर ने कहा कि पीएम के मीडिया सलाहकार संजय बारू और पंकज पचौरी समय पर संवाद करने में नाकाम रहे। देर से जवाब देने पर गलत संदेश जाता था।
मुख्य धारा में आएं प्रियंका: केवी थॉमस
पूर्व मंत्री केवी थॉमस ने मेल टुडे से कहा कि प्रियंका को अब पार्टी की मुख्य धारा में आना चाहिए और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के कार्यों में हाथ बंटाना चाहिए। थॉमस चुनाव जीतने वाले मुठ्ठी भर कांग्रेसियों में हैं।
कांग्रेस के कई और नेता यह मानते हैं कि प्रियंका एक स्वाभाविक नेता हैं और उनका हर काम स्वाभाविक सा दिखता है। वह वोटरों से बेहतर ढंग से जुड़ सकती हैं।
पूर्व मंत्री पल्लम राजू ने कहा कि प्रियंका सोनिया और राहुल का हमेशा समर्थन करती रही हैं। लेकिन वह सामने आना चाहेंगी या नहीं यह उनकी अपनी च्वाइस है। उन्होंने कहा कि उनके ख्याल से उनमें जनता से जुड़ने की स्वाभाविक योग्यता है। यह उनकी ताकत है।
शोभा ओझा
महिला कांग्रेस की प्रमुख शोभा ओझा के मुताबिक पूरी पार्टी प्रियंका के लिए सक्रिय भूमिका चाहती है। लेकिन वह खुद तय करंगी कि उन्हें कब आना है।
पिछले चुनाव में प्रियंका ने सिर्फ गांधी परिवार की दोनों सीटों के लिए प्रचार किया था। पार्टी नेताओं कुछ नेताओं ने उनसे वाराणसी में भी प्रचार करने को कहा था लेकिन वह नहीं गईं।
प्रियंका ने नरेन्द्र मोदी पर सीधे हमला करके चुनाव प्रचार अभियान में थोड़ी हलचल मचाई जिसके बाद पीएम कैंडिडेट ने उनके प्रति नरम रुख अख्तियार कर लिया। वरिष्ठ नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि यह सोनिया गांधी पर निर्भर करता है कि वे प्रियंका की क्या भूमिका तय करें। शशि थरूर ने इस बहस को निरर्थक बताया।
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा कि तरह इस मसले पर चुप्पी साधे रखी। उसके प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि प्रियंका की ओर से कोई फैसला लेने के बारे में हमसे न पूछिए।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जनवरी 23 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के महासचिव पद पर अपनी बहन प्रियंका गांधी की नियुक्ति की। कांग्रेस ने प्रियंका की राजनीतिक भूमिका लोकसभा चुनावों से पहले बढ़ाई है। वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, 'बधाई....मैं हमेशा और जीवन के हर मोड़ पर आपके साथ हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।'
क्या कांग्रेस को होगा फायदा?
लगता है, कांग्रेस पार्टी में केवल गाँधी परिवार की जी-हजूरी करने वालों की कोई कमी नहीं, जिन्हें इस परिवार के बिना अपना जीवन अंधकारमय दिखता प्रतीत होता है। यानि 1972 में जन्मी प्रियंका में कांग्रेस पार्टी अपना भविष्य देख रही है, जबकि पार्टी में एक से बढ़कर एक बुद्धिजीवी और प्रतिष्ठावान विराजमान है, जिन्हें पार्टी ने दरकिनार कर रखा है, जिस कारण पार्टी इतनी दुर्दशा से गुजर रही है। अनुभवहीनों के हाथ बाग़डोर होने का ही प्रमाण है कि पिछली सरकार में अपने भ्रष्टाचार आदि अपराधों से बचने वाली पार्टियाँ 2019 लोक सभा चुनावों में गठबन्धन में कांग्रेस से दूरी बनाकर रख रही हैं।प्रियंका को सक्रिय राजनीती में लाने का दूसरा कारण है, प्रियंका और उनके पति रोबर्ट वाड्रा के विरुद्ध चल रहे घोटालों की जाँच।
प्रियंका गांधी की अब तक सक्रिय राजनीति से दूरी रही है। वह अब तक अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रही हैं। अमेठी से उनके भाई राहुल गांधी सांसद हैं जबकि रायबरेली से उनकी मां सोनिया गांधी सांसद हैं। समझा जाता है कि कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को यूपी की राजनीति में उतारकर सपा और बसपा पर दबाव बनाने एवं मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
Congratulations P... always by your side in every phase of your life.
Give it your best. 😊👍
Give it your best. 😊👍
कांग्रेस पार्टी के इसी फैसले पर Times Now Hindi ने ट्विटर पर लोगों से सवाल किया। लोगों से पूछा गया कि 'प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने से क्या कांग्रेस को फायदा होगा?' 2 घंटे में करीब 1450 लोगों ने इस पर अपनी राय दी।
प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने से क्या कांग्रेस को फायदा होगा?#priyankagandhi
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वहीं Times Now के ट्विटर हैंडल पर पूछा गया कि 'क्या प्रियंका गांधी पीएम मोदी की अपील का मुकाबला कर सकती हैं?' इसके जवाब में 25% लोगों ने हां कहा, जबकि 75% ने ना कहा। यानी कि सिर्फ 25 फीसदी लोगों ने माना कि प्रियंका पीएम मोदी का मुकाबला कर सकती हैं, जबकि 75 फीसदी ने माना कि नहीं कर सकती है। 3 घंटे में इस पोल में करीब 2500 लोगों ने वोट किया।
कांग्रेस इसे ट्रम्प कार्ड बता रही है, वहीं भाजपा का दावा है कि इससे 2019 के चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस बीच, यह जानना रोचक होगा कि प्रियंका की कुंडली क्या कहती है?
प्रियंका की कुंडली कहती है कि उन्होंने अपनी जिंदगी के सर्वश्रेष्ठ समय में राजनीति में प्रवेश किया है। कुंडली के मुताबिक, 2003 से 20 साल के लिए प्रियंका शुक्र की दशा से गुजर रही हैं और यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय रहेगा। 21वीं सदी में वे जीवन का नया मुकाम देखेंगी।
प्रियंका का जन्म 12 जनवरी 1972 को हुआ है। उनके जन्म के समय मिथुन का उदय हो रहा था जो आध्यात्मिक और विशिष्ट रूप से बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है।
कुंडली के मुताबिक, प्रियंका के राजनीति में आने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन यह भी तय है कि एक बार जब उन्होंने सियासत में कदम रख लिया तो पीछे मुडकर नहीं देखेंगी। लोग उन्हें अगाध प्रेम देंगे और पार्टी के लिए वे शानदार काम करेंगी।
कांग्रेस में प्रियंका गांधी को आगे लाने की मांग
कांग्रेस में प्रियंका गांधी को आगे लाने की मांग जो़र पकड़ती जा रही थी। कई बड़े नेता अब इस अभियान में शामिल होकर चाहते थे कि प्रियंका को पार्टी में महत्वपूर्ण रोल दिया जाए। पार्टी की लोक सभा चुनाव में दुर्गति देखने के बाद वहां यह बात जो़र पकड़ रही है कि शीर्ष नेतृत्व में कुछ बदलाव हो। लोक सभा चुनाव में पार्टी को महज 44 सीटें मिलीं।
अवलोकन करें:--
मणिशंकर अय्यर बोले – पार्टी को प्रियंका गांधी का इंतजार
पहले तो कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रियंका को लाने के पक्ष में नारे लगा रहे थे लेकिन अब कुछ पूर्व मंत्री भी इस मांग में शामिल हो गए। उन्होंने भी मांग रख दी है कि पार्टी प्रियंका गांधी की भूमिका बड़ी करे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने आज तक के साथ खास बातचीत में कहा है कि पिछले सात सालों से कार्यकर्ता से नेता तक हर कोई प्रियंका गांधी को पार्टी में देखना चाहता है।1998 से पहले हम चाहते थे कि सोनिया गांधी पार्टी में आएं, वो आईं और उन्होंने पार्टी का भविष्य बदल डाला।
उन्होंने कहा कि प्रियंका एक बड़े राजनीतिक परिवार से हैं और राजनीति को बेहतर समझती भी हैं। हमें पार्टी में उनका इंतजार है। हमें खुशी होगी अगर वह पार्टी ज्वाइन कर सक्रिय राजनीति में आती हैं। अब ये उनका फैसला हैं कि वो कब आएंगी।
उन्होंने कहा, ‘मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजा है जिसमें लिखा है कि पार्टी को किस-किस दिशा में काम करने की जरूरत है. इसकी एक कॉपी राहुल गांधी को भी मैंने भेजी है।’
विपक्ष का नेता कौन होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनना चाहिए. लेकिन हमारे पास सोनिया गांधी का भी विकल्प है। ये पार्टी को तय करने दें।’
हार से निराश अय्यर ने कहा कि पीएम के मीडिया सलाहकार संजय बारू और पंकज पचौरी समय पर संवाद करने में नाकाम रहे। देर से जवाब देने पर गलत संदेश जाता था।
मुख्य धारा में आएं प्रियंका: केवी थॉमस
पूर्व मंत्री केवी थॉमस ने मेल टुडे से कहा कि प्रियंका को अब पार्टी की मुख्य धारा में आना चाहिए और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी के कार्यों में हाथ बंटाना चाहिए। थॉमस चुनाव जीतने वाले मुठ्ठी भर कांग्रेसियों में हैं।
कांग्रेस के कई और नेता यह मानते हैं कि प्रियंका एक स्वाभाविक नेता हैं और उनका हर काम स्वाभाविक सा दिखता है। वह वोटरों से बेहतर ढंग से जुड़ सकती हैं।
पूर्व मंत्री पल्लम राजू ने कहा कि प्रियंका सोनिया और राहुल का हमेशा समर्थन करती रही हैं। लेकिन वह सामने आना चाहेंगी या नहीं यह उनकी अपनी च्वाइस है। उन्होंने कहा कि उनके ख्याल से उनमें जनता से जुड़ने की स्वाभाविक योग्यता है। यह उनकी ताकत है।
शोभा ओझा
महिला कांग्रेस की प्रमुख शोभा ओझा के मुताबिक पूरी पार्टी प्रियंका के लिए सक्रिय भूमिका चाहती है। लेकिन वह खुद तय करंगी कि उन्हें कब आना है।
पिछले चुनाव में प्रियंका ने सिर्फ गांधी परिवार की दोनों सीटों के लिए प्रचार किया था। पार्टी नेताओं कुछ नेताओं ने उनसे वाराणसी में भी प्रचार करने को कहा था लेकिन वह नहीं गईं।
प्रियंका ने नरेन्द्र मोदी पर सीधे हमला करके चुनाव प्रचार अभियान में थोड़ी हलचल मचाई जिसके बाद पीएम कैंडिडेट ने उनके प्रति नरम रुख अख्तियार कर लिया। वरिष्ठ नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि यह सोनिया गांधी पर निर्भर करता है कि वे प्रियंका की क्या भूमिका तय करें। शशि थरूर ने इस बहस को निरर्थक बताया।
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा कि तरह इस मसले पर चुप्पी साधे रखी। उसके प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि प्रियंका की ओर से कोई फैसला लेने के बारे में हमसे न पूछिए।
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बिना सक्रिय राजनीति में आए तो इतना बड़ा आवास और इतनी संपत्ति अर्जित किया. सक्रिय हुईं तो मोदी योगी कहाँ गए किसी को पता नहीं चलेगा.
कांग्रेस ने इंडिया व पाक को उपनिवेश बनाया. मुसलमानों को पाक भी दिया और इंडिया भी. संविधान का अनुच्छेद २९(१) बना कर पंथनिरपेक्ष ईसाइयों व मुसलमानों को लूट, बलात्कार और हत्या की संस्कृति को बनाए रखने का मौलिक अधिकार दिया. कांग्रेस शर्मिंदा है. सनातन धर्म जिंदा है. प्रियंका आईं तो सनातन धर्म गया.
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