भारत रत्न अवार्ड: आखिर कौन है नानाजी देशमुख

Related imageआर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सहित भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। यह पहली बार है जब एक साल में तीन लोगों को भारत रत्न मिलेगा। गायक भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाएगा। प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस सर्वोच्च सम्मान पर ट्वीट करते हुए लिखा, 'परिवार के लिए गर्व और आनंद का क्षण'
Pranab Da is an outstanding statesman of our times.

He has served the nation selflessly and tirelessly for decades, leaving a strong imprint on the nation's growth trajectory.

His wisdom and intellect have few parallels. Delighted that he has been conferred the Bharat Ratna.
भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'मैंने देश के लोगों को जितना दिया है, मुझे उससे कहीं ज्यादा इस महान देश के लोगों से मुझे मिला है।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी को उत्कृष्ट राजनेता बताते हुए ट्वीट किया, 'प्रणब दा हमारे समय के एक उत्कृष्ट राजनेता हैं। उन्होंने दशकों तक देश की निस्वार्थ और अथक सेवा की है, जिसने देश के विकास पथ पर एक मजबूत छाप छोड़ी है। उनके ज्ञान और बुद्धिमत्ता में कुछ समानताएं हैं। बेहद खुशी हुई कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।' 
The songs and music of Shri Bhupen Hazarika are admired by people across generations. From them radiates the message of justice, harmony and brotherhood.

He popularised India's musical traditions globally.

Happy that the Bharat Ratna has been conferred on Bhupen Da.
भूपेन हजारिका के बारे में ट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, 'श्री भूपेन हजारिका के गाने और संगीत पीढ़ियों से लोगों द्वारा सराहे जाते रहे हैं। उनसे न्याय, सौहार्द और भाईचारे का संदेश जाता है। उन्होंने विश्व स्तर पर भारत की संगीत परंपराओं को लोकप्रिय बनाया। प्रसन्नता है कि भूपेन दा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।'
वहीं नानाजी देशमुख के बारे में ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, 'ग्रामीण विकास के लिए नानाजी देशमुख का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने हमारे गांवों में रहने वाले लोगों को सशक्त बनाने के एक नई राह दिखाई। वह दलितों के प्रति विनम्रता, करुणा और सेवा का परिचय देते हैं। वह सही मायनों में भारत रत्न हैं!' 
Nanaji Deshmukh's stellar contribution towards rural development showed the way for a new paradigm of empowering those living in our villages.

He personifies humility, compassion and service to the downtrodden. He is a Bharat Ratna in the truest sense!
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जनवरी 25 को कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अहम योगदान देने वाले नाना जी देशमुख, नि:स्वार्थ भाव से देश सेवा करने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और संगीत के क्षेत्र में दुनिया भर में देश को सम्मान दिलाने वाले भूपेन हजारिका वास्तव में ‘‘भारत माता के सपूत’’ हैं और वह इन शख्सियतों को भारत रत्न से सम्मानित करने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार को हार्दिक धन्यवाद देते हैं। 
nanaji deshmukhआखिर कौन हैं नानाजी देशमुख 
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2019 के शुरुआती महीने में ही भारत रत्न सम्मान का ऐलान कर दिया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख और महान संगीतकार भूपेन हजारिका को देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। बहरहाल यहां पढ़ें कौन थे नानाजी देशमुख और क्या था देश की राजनीति और समाज में उनका योगदान। 
सामाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख ने ने समाज के पुनर्निर्माण कार्यों के लिए देश में अपना अहम योगदान दिया है। खासतौर पर नानाजी ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 500 गांवों में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए अपना विशेष योगदान दिया है। नानाजी का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के परभानी जिले के छोटे से गांव कडोली में हुआ था।
वे मूल रुप से जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रमुख रहे। साथ ही बीजेपी के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से भी एक रहे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाद में यही पार्टी भारतीय जनता पार्टी बन कर उभरी। आचार्य विनोभा भावे के द्वारा शुरू किये गये भूदान आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई थी। इसके साथ ही उन्होंने जयप्रकाश नारायण के पूर्ण क्रांतिकारी आंदोलन को भी अपना पूरा समर्थन दिया था।
नानाजी को बाद में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में चुन कर आए थे लेकिन इन्होंने मोरारजी भाई देसाई की सरकार में मंत्रीपद को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने यूपी के गोरखपुर में 1950 में देश का पहला सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय खोला था। आज पूरे देश में इसकी 30000 से अधिक शाखाएं चल रही हैं। इसके अलावा वे चित्रकूट स्थित दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट के संस्थापक कहे जाते हैं। 1981 में इन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर एकात्म मानववाद के आधार पर ग्रामीण भारत के विकास की रुपरेखा तय की।
शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण स्वयं सहायता जैसे क्षेत्रों के लिए नानाजी ने कई सराहनीय काम किए। नानाजी को 1999 में अपने इन्हीं कार्यों के चलते राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया।
इसके अलावा उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। नानाजी ने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की भी स्थापना की थी। यह भारत की पहली ग्रामीण विश्वविद्यालय है जिसके नानाजी कुलाधिपति थे।
उनका निधन 93 साल की उम्र में 27 फरवरी 2010 को चित्रकूट में हुआ था। उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) को स्वेच्छा से दान में दे दिया था।
Bhupen Hazarikaसिंगर भूपेन हजारिका
सिंगर भूपेन हजारिका को भारत सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की है। भूपेन हजारिका सिंगर के अलावा संगीतकार, कवि, अभिनेता, पत्रकार, लेखक और फिल्म निर्माता थे। भारत रत्न के अलावा उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण और संगीत-नाटक अकादमी रत्न पुरस्कार भी मिल चुके हैं। 
भारत के पूर्व पीएम और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भी भूपेन हजारिका के फैन थे। 90 के दशक में भूपेन हजारिका रामलीला मैदान में परफॉर्म कर रहे थे। इस दौरान उन्हें एक चिट मिला। इसमें वाजपेयी जी का नाम लिखा था। 
भूपेन हजारिका की टीम में गिटार बजाने वाले कमल काताकी ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में बताया था - इस चिट में भूपेंद्र हजारिका का पॉपुलर गाना- मोई एति जाजबोर (मैं एक बंजारा हूं) गाने की रिक्वेस्ट की गई थी। 
कमल काताकी के मुताबिक अटल जी की रिक्वेस्ट पर भूपेन हजारिका ने ये गाना गाया। कमल कताकी कहते हैं- बाद में जब हम अटल बिहारी वाजपेयी से मिले तो उन्होंने कहा कि मैं पहली कतार में बैठा था और आपके इस गाने को सुनने का इंतजार कर रहा था।  
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा- मैं वो गाना सुनने के लिए तड़प रहा था इसिलिए ये रिक्वेस्ट भेजा। भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम में हुआ था। हजारिका 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। भूपेन हजारिका को गाने की प्रेरणा अपनी मां से मिली थी।  
भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में एक हजार गाने और 15 किताबें लिखीं। उन्होंने 'रुदाली', 'मिल गई मंजिल मुझे', 'साज', 'दरमियां', 'गजगामिनी', 'दमन' और 'क्यों' जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिए। साल 2011 में भूपेन हजारिका का निधन हो गया था।








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