
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
देशद्रोह के कानून की जरूरत पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के सवाल उठाए जाने के कुछ दिनों बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में हिम्मत है तो 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' नारा सार्वजनिक रूप से दोहराएं। उन्होंने हालांकि यह नहीं कहा कि यह नारा राहुल गांधी ने लगाए थे।
ईरानी ने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष सार्वजनिक रूप से इस तरह की (भारत विरोधी) ताकतों के साथ सार्वजनिक रूप से खड़ा हुए थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' के बयान का समर्थन किया था। क्या उनमें सार्वजनिक रूप से खड़ा होने और भारत व भारत के हित के खिलाफ नारे दोहराने की हिम्मत है?'
उन्होंने कहा कि एक तरफ भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक मजबूत और उभरते भारत के लिए संकल्प लिया है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उन लोगों का लगातार समर्थन कर रही है, जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का नारा दिया था।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात को नजरअंदाज किया कि राहुल गांधी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उनकी दादी और पिता इस देश की खातिर मर मिटे हैं।
गौरतलब है कि 'भारत तेरे टुकड़े होंगे', 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं', JNU कैंपस में ये नारे लगे थे। दिल्ली पुलिस ने 2016 फरवरी में जेएनयू कैंपस में लगे 'राष्ट्र विरोधी' नारों के मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
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जनता कांग्रेस से यह जानना चाहती है कि इतने वर्ष सत्ता में रहने पर किसानों की दुर्दशा क्यों? क्यों किसान कर्ज़े में डूबा? देश से गरीबी क्यों नहीं दूर हुई, जबकि तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने एक चुनाव केवल "गरीबी हटाओ" के नारे पर ही जीता था? कांग्रेस पार्टी हमेशा कहती है कि जवाहर लाल नेहरु ने देश में अच्छा काम करते हुए अभूतपूर्व योगदान दिया, इसी मामले पर आतिफ रशीद ने कटाक्ष कर दिया। लोकतन्त्र की निर्मम हत्या तो कांग्रेस ने भारत के पहले ही चुनाव में कर दी थी, जब उत्तर प्रदेश के रामपुर में हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ ने कांग्रेस उम्मीदवार मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को लगभग 6000 मतों से हरा दिया था। जो जवाहर लाल नेहरू को बर्दाश्त नहीं हुई और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोबिन्द बल्लब पन्त को हारे हुए उम्मीदवार आज़ाद को किसी भी कीमत पर जितवाने को कहा,और पंत ने तुरन्त जिला अधिकारी को नेहरू जी की बात पूरी करने को कहा।
मामले में कश्मीरी छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए। इनमें से कुछ उस वक्त जेएनयू, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पढ़ाई कर रहे थे।
आरोप-पत्र में जेएनयूएसयू की पूर्व उपाध्यक्ष शहला राशिद और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता के नाम भी शामिल हैं, लेकिन वे आरोपी के रूप में नहीं हैं। राशिद और अपराजिता समेत 36 अन्य लोगों पर भी आरोप हैं, लेकिन पुलिस को उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया कि सभी फुटेज वास्तविक थे और कुछ कश्मीरी छात्रों की मौजूदगी की मोबाइल क्लिप और वीडियो के जरिए पुष्टि हुई। आरोप पत्र सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फुटेज समेत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर दायर किया गया है।
राष्ट्र विरोधी ताकतो के हौसले
9 फरवरी 2016 को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य व उनके सहयोगियों के विरुद्ध पटियाला हाऊस कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है। गौरतलब है कि संसद पर हमला करने के मास्टर माइंड अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपरोक्त आरोपियों पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाने का आरोप है। पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। कुमार जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में देशविरोधी नारे लगाने का समर्थन किया था।एबीवीपी ने कथित आयोजन को राष्ट्रविरोधी बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था। इस मामले में कश्मीरी छात्रों आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए। इनमें से कुछ उस वक्त जेएनयू, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाई कर रहे थे।
दिल्ली पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआइ) के नेता डी राजा की पुत्री अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनोज्योत्सना लाहिड़ी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। इन पर 36 अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। पर इन लोगों के खिलाफ सबूत अपर्याप्त हैं। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुमित आनंद ने आरोपपत्र सक्षम अदालत में मंगलवार को विचार के लिए सूचीबद्ध किया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपपत्र में सीसीटीवी के फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेजी प्रमाण भी शामिल हैं।
पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर वसंत कुंज उत्तरी, पुलिस थाने में 11 फरवरी, 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए तथा 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। कन्हैया कुमार को भारतीय दंड संहिता की 124ए (राजद्रोह), 323 (किसी को चोट पहुंचाने के लिए सजा), 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सजा), 147 (दंगा फैलाने के लिए सजा), 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोपी बनाया गया है। वहीं, उमर खालिद को भारतीय दंड संहिता की 124ए, 323, 465, 471, 143, 147, 149 और 120बी धाराओं के तहत आरोपी बताया है। आरोपपत्र में केवल उमर खालिद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 465 (जालसाजी) भी जोड़ी गई है।
तकरीबन 1200 पन्नों के आरोप पत्र में पुलिस ने दावा किया कि सभी फुटेज वास्तविक थे और कुछ कश्मीरी छात्रों की मौजूदगी की मोबाइल क्लिप और वीडियो के जरिए पुष्टि हुई। पुलिस ने बताया कि जुलूस के दौरान कश्मीरी छात्रों ने नकाब लगा रखे थे, लेकिन वापसी के समय उनका चेहरा ढका हुआ नहीं था। वह उनकी संलिप्तता को दर्शाता है। 10 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फुटेज समेत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर दायर किया गया है। इसमें छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बयान भी शामिल हैं। अंतिम रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी और हर सदस्य गैरकानूनी सभा का हिस्सा था। आरोपपत्र के अनुसार जब आरोपियों को कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं होने के बारे में सूचित किया गया तो उन्होंने बहस और झगड़ा शुरू कर दिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सबूत के तौर पर घटना के समय के कई वीडियो फुटेज, मौके पर मौजूद कई लोगों के बयान, मोबाइल फुटेज, फेसबुक पोस्ट, बैनर-पोस्टर शामिल हैं।
आरोपियों ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। यह देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के सात दशक बाद भी देश के भीतर राष्ट्र विरोधी ताकतें अपने पैर पसारे जा रही हैं। विदेशी धन और समर्थन व संरक्षण कारण देश के विभिन्न प्रांतों में एक छोटा वर्ग देश के नायकों को खलनायक के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहा है। विशेषतया अल्पसंख्यकों में एक वर्ग केंद्र से टकराव की नीति अपनाकर तथा समुदाय की धार्मिक भावनाओं को उकसाकर कुछ न कुछ ऐसा करने का प्रयास लगातार करता चला आ रहा है जिससे टकराव व तनाव बढ़ाने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
JNU कैंपस में लगे थे ये नारे
'हम क्या चाहते? आजादी'
'हम लेके रहेंगे, आजादी'
'गो इंडिया, गो बैक'
'संग बाजी वाली आजादी (पत्थर फेंकने की आजादी)'
'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह'
'कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी'
'भारत की बर्बादी तक आजादी'
'भारत के मुल्क को एक झटका और दो'
'भारत को एक रगड़ा और दो'
'हम छिन के लेंगे आजादी, लड़के लेंगे आजादी'
'तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा'
'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं'
'अफजल तेरे खून से इंकलाब आएगा'
'कितने मकबूल मारोगे, हर घर से मकबूल निकलेगा'
'इंडियन आर्मी को दो रगड़ा'
जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा उनके सहयोगियों ने जो किया तथा जो कश्मीर घाटी तथा पंजाब में हुआ तथा हो रहा है वह सब देश की एकता तथा अखण्डता को चुनौती देने के अलग-अलग ढंग ही कहे जा सकते हैं। लक्ष्य सबका देश की एकता व अखण्डता को चुनौती देना ही है। देश का जन जिनको नायक व राष्ट्र नायक के रूप में देखता है यह अलगाववादी तत्व उन नायकों को खलनायक के रूप में देखते हैं और धार्मिक व क्षेत्रीय भावनाएं भड़का कर स्थिति को खराब करने की कोशिश करते हैं।
राजनीतिक लाभ हेतु राष्ट्र विरोधी तत्वों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करते कई राजनीतिज्ञ भी देखने को मिल जाते हैं। प्रशासनिक स्तर पर देरी स्थिति को बद से बदतर बना देती है। समय की मांग है कि राष्ट्र विरोधी तत्वों विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई बिना किसी विलम्ब के होनी चाहिए। न्यायप्रक्रिया और प्रशासनिक स्तर पर देरी अलगाववादी तत्वों को प्रोत्साहित करती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि देशविरोधी तत्वों विरुद्ध कार्रवाई जल्द और ठोस आधार पर होनी चाहिए और सख्त सजा भी मिले ताकि अलगाववादी ताकतों के हौंसले न बढ़े।
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