पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के शिविर पर स्ट्राइक करने के लिए कम से कम पांच एयरबेसों से फाइटर जेट्स, मिड-एयर रिफ्यूएलर्स और अर्ली-वॉर्निंग एयरक्राफ्ट को बारीकी से समन्वित किया गया। हमले के लिए न सिर्फ 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया बल्कि सुखोई 30 लड़ाकू विमानों, हवा में उड़ान भरते समय विमान में ईंधन भरने वाले एक विशेष विमान और दो एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) ने भी मिराज की पूरी मदद की।
इस कारवाई की शुरुआत तड़के तीन बजकर 45 मिनट पर हुई और यह सुबह 4:05 बजे तक चली। 12 मिराज 2000 ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी। 4 सुखोई-30MKI ने बरेली और हलवारा एयरबेस से उड़ान भरी। 2 मिड-एयर रिफ्यूएलर्स आईएल-78 ने आगरा से उड़ान भरी। भारतीय वायुसेना ने आगरा से एक फाल्कन AWACS और बठिंडा से एक स्वदेशी मिनी-AWACS भी तैनात किया। तकनीक के तहत एक विमान सुरक्षित दूरी पर उड़ते हुए लड़ाकू विमानों को दुश्मन के इलाके से जुड़ी जानकारी, कमांड और चेतावनी देने का काम करता है।
अवलोकन करें:-
मिराज 2000 ने ग्वालियर से उड़ान भरी, इसकी पीछे कारण था कि पाकिस्तान की नजर पठानकोट और आदमपुर एयर बेस पर थी। इसी वजह से फॉरवर्ड एयरबेस को नहीं चुना गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां से उड़ान भरने पर पाकिस्तान सतर्क हो सकता था।
भारतीय लड़ाकू विमानों को रोकने के लिए पाकिस्तान ने F-16 का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय वायुसेना की फॉर्मेशन देखकर उसे वापस जाना पड़ा। साल 1971 के युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना ने पहली बार पाकिस्तान के भीतर ऐसी कार्रवाई की है। दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में पूरे अभियान की निगरानी की जा रही थी। वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ सहित सैन्य बल के कई आला अधिकारी इस दौरान मौजूद थे।
इस कारवाई की शुरुआत तड़के तीन बजकर 45 मिनट पर हुई और यह सुबह 4:05 बजे तक चली। 12 मिराज 2000 ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी। 4 सुखोई-30MKI ने बरेली और हलवारा एयरबेस से उड़ान भरी। 2 मिड-एयर रिफ्यूएलर्स आईएल-78 ने आगरा से उड़ान भरी। भारतीय वायुसेना ने आगरा से एक फाल्कन AWACS और बठिंडा से एक स्वदेशी मिनी-AWACS भी तैनात किया। तकनीक के तहत एक विमान सुरक्षित दूरी पर उड़ते हुए लड़ाकू विमानों को दुश्मन के इलाके से जुड़ी जानकारी, कमांड और चेतावनी देने का काम करता है।
अवलोकन करें:-
भारतीय लड़ाकू विमानों को रोकने के लिए पाकिस्तान ने F-16 का इस्तेमाल किया, लेकिन भारतीय वायुसेना की फॉर्मेशन देखकर उसे वापस जाना पड़ा। साल 1971 के युद्ध के बाद भारतीय वायुसेना ने पहली बार पाकिस्तान के भीतर ऐसी कार्रवाई की है। दिल्ली स्थित वायुसेना मुख्यालय में पूरे अभियान की निगरानी की जा रही थी। वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ सहित सैन्य बल के कई आला अधिकारी इस दौरान मौजूद थे।
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