आर.बी.एल.निगम, फिल्म समीक्षक
भारतीय फिल्म 'पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस' को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड 2019 से नवाजा गया है। ये फिल्म गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस की है। वहीं इसका निर्देशन रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने किया है। ईरानी-अमेरिकन फिल्म डायरेक्टर रयाक्ता ने कहा- मुझे यकीन नहीं हो रहा कि पीरियड्स पर बनाई गई फिल्म को ऑस्कर मिला है। वहीं अवार्ड मिलने पर प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने ट्वीट के जरिए अपनी खुशी जाहिर की।
Guneet Monga ✔ @guneetm WE WON!!! To every girl on this earth... know that you are a goddess... if heavens are listening... look MA we put @sikhya on the map 7,031 8:21 AM - Feb 25, 2019
91वें एकेडमी अवॉर्ड्स 'ऑस्कर' 2019 में इस वर्ष 'ग्रीन बुक' सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित की गई है। भारतीय प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की फिल्म 'पीरियड-एंड ऑफ सन्टेंस' को 'बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट' कैटेगरी में ऑस्कर मिला है। गुनीत ने मसान और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्में बनाकर शोहरत पाई है। अवॉर्ड कुल 24 कैटेगरी में दिए गए। मैक्सिकन फिल्म रोमा को तीन और फ्रेडी मरक्युरी के जीवन पर आधारित बोहेमियन रैपसोडी को सबसे ज्यादा चार कैटेगरी में ऑस्कर मिले। 30 साल के बाद यह कार्यक्रम बिना किसी होस्ट के हुआ।
भारतीय पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म 'पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस' ने शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी कैटेगरी में ब्लैक शीप, एंड गेम, लाइफबोट और ए नाइट एट द गार्डन को हराकर ऑस्कर जीता है। फिल्म को रयाक्ता जहताबची ने डायरेक्ट किया है। इसे भारतीय प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है। गुनीत ने विकी कौशल स्टारर मसान और इरफान खान स्टारर द लंच बॉक्स जैसी बेहतरीन फिल्में भी प्रोड्यूस की है। इस डॉक्यूमेंटरी को बनाने के लिए एक कैम्पेन के जरिए 28 लाख रुपए का फंड इकट्ठा किया गया था।
इस बार की बेस्ट फिल्म ग्रीन बुक डायरेक्टर पीटर फैरेली की एक पीरियड फिल्म है। यह डॉ. डॉन शिरले नाम के एक वर्ल्ड क्लास अफ्रीकन अमेरिकन पियानोवादक और उनके ड्रायवर टोनी लिप के रिश्तों पर आधारित है। इसका फिल्म का रोमा, द फेवरिट, ब्लैक पैंथर, अ स्टार इज बॉर्न और बोहेमियन रैपसोडी से कड़ा मुकाबला था।
ऑस्कर विजेता फिल्म पीरियड-एंड ऑफ सेंटेंस भारत की पृष्ठभूमि पर बनी है। इसे रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने निर्देशित किया है। यह फिल्म दिल्ली के पास हापुड़ में रहने वाली उन महिलाओं की कहानी है, जो मासिक धर्म से जुड़ी रूढ़ियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती हैं। इस फिल्म का ब्लैक शीप, एंड गेम, लाइफबोट और अ नाइट एट द गार्डन के साथ मुकाबला था।
इस वर्ष ऑस्कर अवॉर्ड्स कॉमेडियन केविन हार्ट होस्ट करने वाले थे, लेकिन समलैंगिकों के खिलाफ उनके ट्वीट्स के कारण हुए विवाद के चलते आयोजन से कुछ दिनों पहले उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। पिछले दो सालों में सेरेमनी जिम्मी किमेल ने होस्ट की थी।
लॉस एंजिलिस की स्टूडेंट्स ने हापुड़ तक पहुंचाई सैनिटरी नैपकिन मशीन
डॉक्यूमेंटरी की कहानी दिल्ली के पास हापुड़ गांव में रहने वाली महिलाओं की है, जिन्होंने मासिक धर्म से जुड़ी रूढियों के विरोध में अपनी आवाज मुखर की। लेकिन इसके पीछे का विचार आया लॉस एंजिलिस के ऑकवुड स्कूल की 12 से 14 साल की उम्र के बीच की लड़कियों को, जब उन्हें पता चला कि कई जगहों पर लड़कियों को अपनी पढ़ाई सिर्फ इसलिए छोड़ देनी पड़ती है, क्योंकि वे मासिक धर्म के समय सैनिटरी नैपकिन जैसी सुविधाएं अफॉर्ड नहीं कर सकती। उन लड़कियों ने इसके लिए कुछ करने का निर्णय लिया। बेक सेल और योगाथॉन जैसी गतिविधियों के जरिए इन बच्चियों ने करीब 3 हजार डॉलर(करीब दो लाख रुपए) जुटाए, जिससे वे बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन कम दामों पर तैयार करने वाली मशीन खरीद सकें।
इन बच्चियों ने इस काम में अपनी इंग्लिश टीचर मैलिसा बर्टोन की मदद ली। मैलिसा ने GLI(गर्ल्स लर्न इंटरनेशनल) नाम की संस्था से संपर्क किया, ताकि वे कोई ऐसा गांव चिन्हित करें, जहां यह मशीन जरूरतमंदों की मदद के लिए दी जा सके।
28 लाख रुपए का फंड इकट्ठा कर बनाई फिल्म
GLI ने 'एक्शन इंडिया' से संपर्क किया, जो दिल्ली के नजदीक स्थित गांव हापुड़ में काम कर रही थी। इसके बाद सैनिटरी पैड बनाने वाली यह मशीन हापुड़ पहुंचा दी गई। यहां की महिलाओं ने इस काम के लिए बढ़-चढ़कर भागीदारी दी। जल्द ही एक कैम्पेन शुरू हुआ, जिससे हापुड़ की मासिक धर्म को लेकर बनी सोच और मशीन से आए बदलाव पर फिल्म बनाने के लिए 40 हजार डॉलर(करीब 28 लाख रुपए) की रकम इकट्ठा की गई।
फंड इकट्ठा होने के बाद प्रोजेक्ट टीम में गुनीत मोंगा प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़ी, और इरानी-अमेरिकी डायरेक्टर रयाक्ता जहताबची ने डायरेक्शन की कमान संभाली। फिल्म की शूटिंग 2016 में हुई थी।
हापुड़ में जश्न का माहौल
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार फिल्म की एक किरदार स्नेहा के परिवार ने ऑस्कर जीतने पर जश्न मनाया। कथिखेड़ा गांव में रहने वाले इस परिवार की बेटी स्नेहा फिल्म में नजर आई थीं।
भारतीय फिल्म 'पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस' को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड 2019 से नवाजा गया है। ये फिल्म गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस की है। वहीं इसका निर्देशन रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने किया है। ईरानी-अमेरिकन फिल्म डायरेक्टर रयाक्ता ने कहा- मुझे यकीन नहीं हो रहा कि पीरियड्स पर बनाई गई फिल्म को ऑस्कर मिला है। वहीं अवार्ड मिलने पर प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने ट्वीट के जरिए अपनी खुशी जाहिर की।
Guneet Monga ✔ @guneetm WE WON!!! To every girl on this earth... know that you are a goddess... if heavens are listening... look MA we put @sikhya on the map 7,031 8:21 AM - Feb 25, 2019
91वें एकेडमी अवॉर्ड्स 'ऑस्कर' 2019 में इस वर्ष 'ग्रीन बुक' सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित की गई है। भारतीय प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की फिल्म 'पीरियड-एंड ऑफ सन्टेंस' को 'बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट' कैटेगरी में ऑस्कर मिला है। गुनीत ने मसान और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्में बनाकर शोहरत पाई है। अवॉर्ड कुल 24 कैटेगरी में दिए गए। मैक्सिकन फिल्म रोमा को तीन और फ्रेडी मरक्युरी के जीवन पर आधारित बोहेमियन रैपसोडी को सबसे ज्यादा चार कैटेगरी में ऑस्कर मिले। 30 साल के बाद यह कार्यक्रम बिना किसी होस्ट के हुआ।
भारतीय पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म 'पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस' ने शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी कैटेगरी में ब्लैक शीप, एंड गेम, लाइफबोट और ए नाइट एट द गार्डन को हराकर ऑस्कर जीता है। फिल्म को रयाक्ता जहताबची ने डायरेक्ट किया है। इसे भारतीय प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है। गुनीत ने विकी कौशल स्टारर मसान और इरफान खान स्टारर द लंच बॉक्स जैसी बेहतरीन फिल्में भी प्रोड्यूस की है। इस डॉक्यूमेंटरी को बनाने के लिए एक कैम्पेन के जरिए 28 लाख रुपए का फंड इकट्ठा किया गया था।
इस बार की बेस्ट फिल्म ग्रीन बुक डायरेक्टर पीटर फैरेली की एक पीरियड फिल्म है। यह डॉ. डॉन शिरले नाम के एक वर्ल्ड क्लास अफ्रीकन अमेरिकन पियानोवादक और उनके ड्रायवर टोनी लिप के रिश्तों पर आधारित है। इसका फिल्म का रोमा, द फेवरिट, ब्लैक पैंथर, अ स्टार इज बॉर्न और बोहेमियन रैपसोडी से कड़ा मुकाबला था।
ऑस्कर विजेता फिल्म पीरियड-एंड ऑफ सेंटेंस भारत की पृष्ठभूमि पर बनी है। इसे रयाक्ता जहताबची और मैलिसा बर्टन ने निर्देशित किया है। यह फिल्म दिल्ली के पास हापुड़ में रहने वाली उन महिलाओं की कहानी है, जो मासिक धर्म से जुड़ी रूढ़ियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती हैं। इस फिल्म का ब्लैक शीप, एंड गेम, लाइफबोट और अ नाइट एट द गार्डन के साथ मुकाबला था।
ऑस्कर विजेताओं की पूरी लिस्ट
कैटेगरी
|
विजेता
| |
1
|
बेस्ट पिक्चर
|
ग्रीन बुक
|
2
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बेस्ट एक्टर
|
रैमी मैलेक (बोहेमियन रैपसोडी)
|
3
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बेस्ट एक्ट्रेस
|
ओलिविया कोलमैन (द फेवरिट)
|
4
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बेस्ट डायरेक्टर
|
अल्फोंसो कुओराम (रोमा)
|
5
|
सपॉर्टिंग एक्टर
|
महैरशाला अली (ग्रीन बुक)
|
6
|
सपॉर्टिंग एक्ट्रेस
|
रेजिना किंग (इफ बील स्ट्रीट कुड टॉक)
|
7
|
ओरिजनल स्क्रीनप्ले
|
निक वैलेलोंगा, ब्रियान करी, पीटर फैरेली (ग्रीन बुक)
|
8
|
अडाप्टेड स्क्रीनप्ले
|
ब्लैकक्लैंसमैन (स्पाइक ली, डेविड रेबिनोविट्ज, चार्ली वॉशेल और केविन विलमॉट)
|
9
|
बेस्ट सिनेमेटोग्राफी
|
रोमा (अल्फोंसो कुआरोन )
|
10
|
प्रोडक्शन डिजाइन
|
ब्लैक पैंथर (हॉना बेचलर और जै हार्ट)
|
11
|
कॉस्ट्यूम डिजाइन
|
ब्लैक पैंथर (रुथ कार्टर)
|
12
|
फिल्म एडिटिंग
|
बोहेमियन रैपसोडी (जॉन ऑटमैन)
|
13
|
फॉरेन लैंग्वेज फिल्म
|
रोमा (मैक्सिको)
|
14
|
डॉक्यूमेंटरी फीचर
|
फ्री सोलो
|
15
|
डॉक्यूमेंटरी शॉर्ट
|
पीरियड. एंड ऑफ सेंटेंस (गुनीत मोंगा एंड टीम)
|
16
|
एनीमेटेड फीचर फिल्म
|
स्पाइडर मैन: इनटू द स्पाइडर वर्स
|
17
|
एनीमेटेड शॉर्ट फिल्म
|
बाओ
|
18
|
लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म
|
स्किन
|
19
|
ओरिजनल स्कोर
|
ब्लैक पैंथर (लुडविग गॉरैनसन)
|
20
|
ओरिजनल सॉन्ग
|
शैलो (अ स्टार इज बोर्न - लेडी गागा)
|
21
|
विजुअल इफेक्ट्स
|
फर्स्ट मैन
|
22
|
मेकअप एंड हेयर
|
वाइस
|
23
|
साउंड एडिटिंग
|
बोहेमियन रैपसोडी
|
24 | साउंड मिक्सिंग | बोहेमियन रैपसोडी |
लॉस एंजिलिस की स्टूडेंट्स ने हापुड़ तक पहुंचाई सैनिटरी नैपकिन मशीन
डॉक्यूमेंटरी की कहानी दिल्ली के पास हापुड़ गांव में रहने वाली महिलाओं की है, जिन्होंने मासिक धर्म से जुड़ी रूढियों के विरोध में अपनी आवाज मुखर की। लेकिन इसके पीछे का विचार आया लॉस एंजिलिस के ऑकवुड स्कूल की 12 से 14 साल की उम्र के बीच की लड़कियों को, जब उन्हें पता चला कि कई जगहों पर लड़कियों को अपनी पढ़ाई सिर्फ इसलिए छोड़ देनी पड़ती है, क्योंकि वे मासिक धर्म के समय सैनिटरी नैपकिन जैसी सुविधाएं अफॉर्ड नहीं कर सकती। उन लड़कियों ने इसके लिए कुछ करने का निर्णय लिया। बेक सेल और योगाथॉन जैसी गतिविधियों के जरिए इन बच्चियों ने करीब 3 हजार डॉलर(करीब दो लाख रुपए) जुटाए, जिससे वे बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन कम दामों पर तैयार करने वाली मशीन खरीद सकें।
इन बच्चियों ने इस काम में अपनी इंग्लिश टीचर मैलिसा बर्टोन की मदद ली। मैलिसा ने GLI(गर्ल्स लर्न इंटरनेशनल) नाम की संस्था से संपर्क किया, ताकि वे कोई ऐसा गांव चिन्हित करें, जहां यह मशीन जरूरतमंदों की मदद के लिए दी जा सके।
28 लाख रुपए का फंड इकट्ठा कर बनाई फिल्म
GLI ने 'एक्शन इंडिया' से संपर्क किया, जो दिल्ली के नजदीक स्थित गांव हापुड़ में काम कर रही थी। इसके बाद सैनिटरी पैड बनाने वाली यह मशीन हापुड़ पहुंचा दी गई। यहां की महिलाओं ने इस काम के लिए बढ़-चढ़कर भागीदारी दी। जल्द ही एक कैम्पेन शुरू हुआ, जिससे हापुड़ की मासिक धर्म को लेकर बनी सोच और मशीन से आए बदलाव पर फिल्म बनाने के लिए 40 हजार डॉलर(करीब 28 लाख रुपए) की रकम इकट्ठा की गई।
फंड इकट्ठा होने के बाद प्रोजेक्ट टीम में गुनीत मोंगा प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़ी, और इरानी-अमेरिकी डायरेक्टर रयाक्ता जहताबची ने डायरेक्शन की कमान संभाली। फिल्म की शूटिंग 2016 में हुई थी।
हापुड़ में जश्न का माहौल
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार फिल्म की एक किरदार स्नेहा के परिवार ने ऑस्कर जीतने पर जश्न मनाया। कथिखेड़ा गांव में रहने वाले इस परिवार की बेटी स्नेहा फिल्म में नजर आई थीं।
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