मूर्तियों और हाथी की प्रतिमाओं पर खर्च जनता को लौटाएं : सुप्रीम कोर्ट ने मायावती से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बसपा सुप्रीमो मायावती से कहा है कि स्‍मारक, अपनी मूर्तियां और हाथी की प्रतिमाएं बनाने पर जो जनता का पैसा खर्च हुआ है, उसको जनता को वापस लौटाएं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि "प्रथम दृष्टया बीएसपी नेता मायावती को उनकी प्रतिमाओं और हाथियों पर खर्च किए गए सभी सार्वजनिक धन का भुगतान करना है"।  सुप्रीम कोर्ट ने एक पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही लेकिन अंतिम आदेश आना बाकी है। 
mayawatiरंजन गोगोई की अगुआई में SC की बेंच ने कहा, "यह हमारा विचार है कि मैडम मायावती, इन हाथियों के लिए खर्च की गई सरकारी राशि की प्रतिपूर्ति करें।'' इसके साथ ही कोर्ट ने कहा, ‘‘हमारे विचार में मायावती को अपनी और चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा। ’’ हालांकि पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह अभी संभावित विचार है क्योंकि मामले की सुनवाई में कुछ वक्त लगेगा। अब सुप्रीम कोर्ट 2 अप्रैल को हाथी की मूर्तियों पर खर्च की गई धनराशि की जनहित याचिका की अंतिम सुनवाई करेगा। 


Supreme Court says prima facie BSP leader Mayawati has to pay back all the public money spent on statues while hearing a plea seeking direction to restrain her from spending public money on building statues. CJI Ranjan Gogoi says it would hear the plea on April 2. (file pic)
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2009 में दायर हुई याचिका
न्‍यायालय एक वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक धन का प्रयोग अपनी मूर्तियां बनवाने और राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता। याचिका 2009 में दायर हुई थी जिसमें मायावती पर हाथियों की मूर्तियों और मायावती व कांशीराम की मूर्तियों के निर्माण पर 2600 करोड़ रूपये करने का आरोप है। 
मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर अपने शासनकाल के दौरान (2007-2012) पूरे राज्य में बड़ी संख्या में विशाल मुर्तियों का निर्माण करवाया था। इसमें उन्होंने अपनी पार्टी चिन्ह हाथी की कई बड़ी-बड़ी विशाल मूर्तियां बनवाई थी इसके अलावा उन्होंने खुद की भी और बसपा पार्टी के संस्थापक कांशीराम की कई मूर्तियां लखनऊ और नोएडा समेत के कई पार्कों में लगवाई थी। मायावती के इस कदम पर विपक्षी पार्टियों ने उन पर खूब निशाना साधा था कि वे सरकारी पैसों का खर्त इन फिजूल कामों के लिए कर रही हैं और आज तक इस बात के लिए मायावती को निशाने पर लिया जाता रहा है। 
अखिलेश यादव के शासनकाल में हुआ था खुलासा
सपा सरकार अखिलेश यादव के शासनकाल में लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा एक आंकड़ा पेश किया गया था। 
2012 विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। तब अखिलेश ने मायावती पर 40 हजार करोड़ के मूर्ति घोटाले का आरोप लगाया था। उस आंकड़ों के मुताबिक मायावती के शासनकाल में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में बनाए गए इन मूर्तियों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक हाथी की कुल 30 पत्थर की मूर्तियां जबकि कांसे की 22 मूर्तियां लगवाई थी। इसके लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए थे।

खर्च हुए थे करीब 6000 करोड़ रुपए


उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ विकास प्राधिरकरण (LDA) के रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा स्थित दलित प्रेरणा स्थल पर BSP के चुनाव चिन्ह हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थी। इसमें 685 करोड़ का खर्च आया था इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन पार्कों और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे

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