जम्मू और कश्मीर में आतंकी एक बार फिर सुरक्षाबलों पर बड़े हमले की तैयारी में जुटे हैं। एजेंसियों के खुफिया इनपुट में यह खुलासा हुआ है।
इसके मुताबिक आतंकी जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पुलवामा आतंकी हमले की तरह ही सुरक्षाबलों के काफिले या वाहनों पर घात लगाकर आईईडी ब्लास्ट कर सकते हैं। 14 फरवरी को जम्मू से श्रीनगर जा रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले पर आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया था। इसमें 40 जवान शहीद हुए थे।
इस बार भी एजेंसियों को जो इनपुट मिला है, उसके अनुसार आतंकी एक बार फिर कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों के काफिले को अपना निशाना बना सकते हैं। पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके बाद सुरक्षाबलों और सेना ने अभियान चलाकर कश्मीर में पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आतंकी मुदासिर समेत जैश के कई टॉप कमांडरों को मौत के घाट उतार दिया है।
पाकिस्तान के नए बने प्रधानमंत्री इमरान खान के दिल में क्या है, कहना कठिन है। दरअसल, पाकिस्तान की फौज का सरकार पर इतना ज्यादा दबदबा है कि सरकार कोई भी पार्टी बनाए, उसे फौज के इशारे पर ही काम करना पड़ेगा, अन्यथा फौज कब तख्ता पलट दे, और जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को एक पल भी सोंचने का मौका नहीं होगा। जैसाकि पीछे होता रहा है। हालाँकि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान को कुछ दिन पूर्व ही सचेत कर चुके हैं कि "अब अगर भारत में कोई आतंकी हमला हुआ तो उसके भयंकर परिणाम होंगे।" इस चेतावनी के बावजूद अगर पाकिस्तान समर्थक आतंकी पुनः पुलवामा जैसी घटना को अंजाम देने का दुस्साहस करने का मतलब तो खुद ही अपनी मौत को बुलावा देने से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
शायद यही कारण था कि ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो और उनकी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो हज़ार साल तक भारत से युद्ध करते रहने की बात करते थे। यह भारत ही है, जहाँ आतंकवादियों पर सख्त कार्यवाही करने पर नेता जनरल को "सड़क का गुण्डा" कह सकते हैं, "बलात्कार" के आरोप लगा सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान में किसी में साहस नहीं, कि फौज के विरुद्ध एक भी शब्द निकाल सके। वास्तव में जबकि भारत की सरकार और वर्तमान सरकार की कार्यशैली और सोंच में ज़मीन आसमान का अन्तर है। अब भारत पर होने वाले आतंकी हमले का मुँह तोड़ जवाब दिया जाएगा।
इसके मुताबिक आतंकी जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पुलवामा आतंकी हमले की तरह ही सुरक्षाबलों के काफिले या वाहनों पर घात लगाकर आईईडी ब्लास्ट कर सकते हैं। 14 फरवरी को जम्मू से श्रीनगर जा रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के काफिले पर आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया था। इसमें 40 जवान शहीद हुए थे।
इस बार भी एजेंसियों को जो इनपुट मिला है, उसके अनुसार आतंकी एक बार फिर कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों के काफिले को अपना निशाना बना सकते हैं। पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके बाद सुरक्षाबलों और सेना ने अभियान चलाकर कश्मीर में पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आतंकी मुदासिर समेत जैश के कई टॉप कमांडरों को मौत के घाट उतार दिया है।
पाकिस्तान के नए बने प्रधानमंत्री इमरान खान के दिल में क्या है, कहना कठिन है। दरअसल, पाकिस्तान की फौज का सरकार पर इतना ज्यादा दबदबा है कि सरकार कोई भी पार्टी बनाए, उसे फौज के इशारे पर ही काम करना पड़ेगा, अन्यथा फौज कब तख्ता पलट दे, और जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को एक पल भी सोंचने का मौका नहीं होगा। जैसाकि पीछे होता रहा है। हालाँकि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान को कुछ दिन पूर्व ही सचेत कर चुके हैं कि "अब अगर भारत में कोई आतंकी हमला हुआ तो उसके भयंकर परिणाम होंगे।" इस चेतावनी के बावजूद अगर पाकिस्तान समर्थक आतंकी पुनः पुलवामा जैसी घटना को अंजाम देने का दुस्साहस करने का मतलब तो खुद ही अपनी मौत को बुलावा देने से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
शायद यही कारण था कि ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो और उनकी पुत्री बेनज़ीर भुट्टो हज़ार साल तक भारत से युद्ध करते रहने की बात करते थे। यह भारत ही है, जहाँ आतंकवादियों पर सख्त कार्यवाही करने पर नेता जनरल को "सड़क का गुण्डा" कह सकते हैं, "बलात्कार" के आरोप लगा सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान में किसी में साहस नहीं, कि फौज के विरुद्ध एक भी शब्द निकाल सके। वास्तव में जबकि भारत की सरकार और वर्तमान सरकार की कार्यशैली और सोंच में ज़मीन आसमान का अन्तर है। अब भारत पर होने वाले आतंकी हमले का मुँह तोड़ जवाब दिया जाएगा।
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