लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर आचार संहिता उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को नोटिस भेजा है। राजीव कुमार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा न्याय योजना के तहत गरीबों के खातों में 72 हजार रुपये सालाना देने की घोषणा पर सवाल उठाए थे। राजीव कुमार ने कहा कि ऐसा करना आर्थिक तौर पर संभव नहीं है। राजीव कुमार की टिप्पणी को संज्ञान में लेते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजकर दो दिन में जवाब देने को कहा है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मार्च 25 को कहा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की पांच करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देने के वादे से राजकोषीय अनुशासन धराशायी हो जायेगा और इस योजना से एक तरह से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। राजीव कुमार ने कहा कि यह कांग्रेस का पुराना दांव है। कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह औऱ कर सकती है।
कुमार ने ट्वीट कर लिखा, ‘‘कांग्रेस के पुराने रिकार्ड को देखा जाए तो वह चुनाव जीतने के लिये चांद लाने जैसे वादें करती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस योजना की घोषणा की है उससे राजकोषीय अनुशासन खत्म होगा, काम नहीं करने को लेकर एक प्रोत्साहन बनेगा और यह कभी क्रियान्वित नहीं होगा।’’
राहुल गांधी ने 25 मार्च को कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आयी तो देश के सर्वाधिक गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को 72,000-72,000 रुपये सालाना बतौर न्यूनतम आय उपलब्ध कराई जायेगी। एक अन्य ट्वीट में राजीव कुमार ने कहा कि न्यूनतम आय गारंटी योजना की लागत सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत तथा बजट का 13 प्रतिशत बैठेगा। इससे लोगों की वास्तविक जरूरतें पूरी नहीं हो पायेंगी। कुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीतने के लिये 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया, 2008 में वन रैंक-वन पेंशन का वादा किया, 2013 में खाद्य सुरक्षा की बात कही लेकिन इसमें से कुछ भी पूरा नहीं कर सकी।
इस बीच, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने भी ट्विटर पर गांधी की चुनाव पूर्व घोषणा की आलोचना की है। लेकिन बाद में एक ट्विटर उपयोगकर्ता के यह कहने पर कि वह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है, ट्वीट को हटा दिया गया। पीएमईएसी ने ट्विटर पर लिखा था कि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति तथा राजकोषीय अनुशासन में सही संतुलन स्थापित करने को लेकर पिछले पांच साल में काफी कार्य किये गये हैं। परिषद ने कहा, ‘‘कांग्रेस की आय गारंटी योजना इस संतुलन को बिगाड़ देगी या सरकार के महत्वपूर्ण खर्चों में कमी आएगी। दोनों विकल्प खतरनाक हैं।
ट्विटर उपयोग करने वाले @सुमेधभागवत ने जब पीएमईएसी सदस्यों से कहा कि उनके ट्वीट चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने ट्विटर से संदेश को हटा दिया।देबरॉय ने ट्वीट किया, ‘‘ट्वीट को हटा दिया गया है। बताने के लिये धन्यवाद।’’ अगले महीने से शुरू होने वाले आम चुनाव के लिये पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा। सात चरणों में होने वाले चुनाव में करीब 90 करोड़ लोग वोट देने के पात्र हैं।
वैसे देखा जाए तो पिछले कुछ चुनावों से सरकारी चन्दे यानि खजाने को लुटाने की प्रक्रिया, जैसे किसानो का कर्ज माफ़ी, खातों में 15 लाख और अब गरीबो के खातों में 72000 रूपए आदि काफी जोर पकड़ चुकी है। जिस ओर चुनाव लगता है, गम्भीरता से संज्ञान नहीं ले रहा। क्या यह मतदान पूर्व मतदाताओं की खरीद- फरोख्त नहीं? जब मतदान पूर्व शराब और धन वितरण पर चुनाव आयोग पाबन्दी लगा सकता है, फिर इन प्रलोभनों पर क्यों नहीं? वैसे चुनाव आयोग धरातल पर देखे तो मतदान पूर्व शराब और धन के आधार पर मतदाता को प्रभावित करना, केवल कागजों पर है, वास्तविकता में नहीं। यदि चुनाव आयोग वास्तव में चुनाव में शराब और धन पर पाबन्दी लगाने में गंभीर है तो मतदान वाले दिन, सडकों पर मेज-कुर्सी पर पाबन्दी लगानी चाहिए। यह बहुत गम्भीर है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मार्च 25 को कहा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की पांच करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देने के वादे से राजकोषीय अनुशासन धराशायी हो जायेगा और इस योजना से एक तरह से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। राजीव कुमार ने कहा कि यह कांग्रेस का पुराना दांव है। कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कह औऱ कर सकती है।
कुमार ने ट्वीट कर लिखा, ‘‘कांग्रेस के पुराने रिकार्ड को देखा जाए तो वह चुनाव जीतने के लिये चांद लाने जैसे वादें करती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस योजना की घोषणा की है उससे राजकोषीय अनुशासन खत्म होगा, काम नहीं करने को लेकर एक प्रोत्साहन बनेगा और यह कभी क्रियान्वित नहीं होगा।’’
राहुल गांधी ने 25 मार्च को कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आयी तो देश के सर्वाधिक गरीब 20 प्रतिशत परिवारों को 72,000-72,000 रुपये सालाना बतौर न्यूनतम आय उपलब्ध कराई जायेगी। एक अन्य ट्वीट में राजीव कुमार ने कहा कि न्यूनतम आय गारंटी योजना की लागत सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत तथा बजट का 13 प्रतिशत बैठेगा। इससे लोगों की वास्तविक जरूरतें पूरी नहीं हो पायेंगी। कुमार ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीतने के लिये 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया, 2008 में वन रैंक-वन पेंशन का वादा किया, 2013 में खाद्य सुरक्षा की बात कही लेकिन इसमें से कुछ भी पूरा नहीं कर सकी।
इस बीच, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने भी ट्विटर पर गांधी की चुनाव पूर्व घोषणा की आलोचना की है। लेकिन बाद में एक ट्विटर उपयोगकर्ता के यह कहने पर कि वह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है, ट्वीट को हटा दिया गया। पीएमईएसी ने ट्विटर पर लिखा था कि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति तथा राजकोषीय अनुशासन में सही संतुलन स्थापित करने को लेकर पिछले पांच साल में काफी कार्य किये गये हैं। परिषद ने कहा, ‘‘कांग्रेस की आय गारंटी योजना इस संतुलन को बिगाड़ देगी या सरकार के महत्वपूर्ण खर्चों में कमी आएगी। दोनों विकल्प खतरनाक हैं।
ट्विटर उपयोग करने वाले @सुमेधभागवत ने जब पीएमईएसी सदस्यों से कहा कि उनके ट्वीट चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है, परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने ट्विटर से संदेश को हटा दिया।देबरॉय ने ट्वीट किया, ‘‘ट्वीट को हटा दिया गया है। बताने के लिये धन्यवाद।’’ अगले महीने से शुरू होने वाले आम चुनाव के लिये पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा। सात चरणों में होने वाले चुनाव में करीब 90 करोड़ लोग वोट देने के पात्र हैं।
वैसे देखा जाए तो पिछले कुछ चुनावों से सरकारी चन्दे यानि खजाने को लुटाने की प्रक्रिया, जैसे किसानो का कर्ज माफ़ी, खातों में 15 लाख और अब गरीबो के खातों में 72000 रूपए आदि काफी जोर पकड़ चुकी है। जिस ओर चुनाव लगता है, गम्भीरता से संज्ञान नहीं ले रहा। क्या यह मतदान पूर्व मतदाताओं की खरीद- फरोख्त नहीं? जब मतदान पूर्व शराब और धन वितरण पर चुनाव आयोग पाबन्दी लगा सकता है, फिर इन प्रलोभनों पर क्यों नहीं? वैसे चुनाव आयोग धरातल पर देखे तो मतदान पूर्व शराब और धन के आधार पर मतदाता को प्रभावित करना, केवल कागजों पर है, वास्तविकता में नहीं। यदि चुनाव आयोग वास्तव में चुनाव में शराब और धन पर पाबन्दी लगाने में गंभीर है तो मतदान वाले दिन, सडकों पर मेज-कुर्सी पर पाबन्दी लगानी चाहिए। यह बहुत गम्भीर है।
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